शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

नौकरी अौर सामाजिक सरोकार के बीच एेसे संतुलन बना रही अकेली महिला-- सावित्री सिंह ने कहा महिला किसी से कम नहीं

नौकरी अौर  सामाजिक सरोकार के बीच एेसे संतुलन बना रही अकेली महिला
इनसे लें सकते ही सीख
महिला किसी पुरूष से नहीं है कम



हम अाप केवल 9 से पांच बजे तक नौकरी करके थक जाते है लेकिन संजय गांधी पीजीआइ के नर्सिग सेवा से जुडी सावित्री सिंह नौ से पांच नौकरी के साथ तमाम लोगों के दर्द को अपनाने के लिए हर दम खडी रहती है। सावित्री जी तमाम मरीजों को दिखाने में मदद के साथ उन्हें कहां कैसे जाना राह दिखाती रहती है इसी बीच वह अपने मरीजों का भी काम करती रहती है। इसके साथ ही कर्मचारियों के हित के लिए भी लगातार संघर्ष करती है। सावित्री जी कहती है कि घर अौर सामाज के बीच सामाजस्य़ स्थापित करना थोडा कठिन होता है लेकिन इसके लिए थोडे से मैनजमेंट की जरूरत है। मेरे दिन की शुरूअात सुबह 5.30 से होती है सबसे पहले थोडा व्यायाम करती हूं फिर बच्चे को जगा कर उसे तैयार करती हूं । बच्चे अौर अपने लिए नाश्ता तैयार कर पहले बच्चे को स्कूल भेजती फिर अपने तैयार होकर 9.30 तक ड्यूटी पर अाती हूं। पति बाहर सेना में है एेसे में मरी जिम्मेदारी अौर बढ जाती है। संस्थान के अधिकारियों के सहयोग के कारण सभी जिम्मेदारी निभा पा रही हूं। बच्चा 3.30 पर घर अा जाता है । पांच बजे मै घर पहुंचती हूं फिर बच्चे को खिला कर अपने दूसरे सामाजिक काम के लिए प्लान तैयार कर निकलती हूं । यह सब करते -करते रात को दस बज जाता है तामम काम के बीच बच्चे पर नजर रखती हूं । बच्चा 8 में पढ़ता है इस लिए ध्यान कम देना होता है। कई बार तो कर्मचारियों या किसी मरीज के दिखाने , सेवा के लिए रात में भी पीजीआइ अाना पड़ता है। सावित्री जी का कहना है कि एक महिला किसी पुरूष से कम नहीं है। इस लिए लोगों को पुरूष वादी सोच से बाहर निकलने की जरूरत है।  

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