शुक्रवार, 7 जुलाई 2017

आइसोटोप थेरेपी से कैंसर के मरीजों को मिलेगी दर्द से राहत

आइसोटोप थेरेपी से कैंसर के मरीजों को मिलेगी दर्द से राहत

पीजीआइ के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में 3600 में संभव है थेरेपी



कुमार संजय ’ लखनऊ
‘किन शब्दों से आभार प्रकट करूं कि मेरे पिता जी भी रात की नींद ले रहे हैं और हम लोग भी। अब वह दर्द से नहीं कराहते हैं।’ यह कहना है कैंसर के लगभग अंतिम स्टेज में पहुंच चुके रामकृष्ण के बेटे अनुज का। रामकृष्ण को प्रोस्टेट का कैंसर था तमाम इलाज के बाद कैंसर हड्डी तक पहुंच गया। कैंसर के इस स्टेज में जीवन के जो भी दिन बचे है वह दर्द से कराहते हुए कट रहे थे। दर्द से निजात पाने के लिए तमाम दवाएं ओपियाड, पेन किलर सब बेअसर साबित हो रही थी। 
ऐसे में वह संजय गांधी पीजीआइ के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में आए जहां पर विशेषज्ञों ने खास आइसोटोप इंजेक्ट किया और दर्द से काफी हद तक आराम मिल गया। आइसोटोप का असर तीन महीने बाद थोड़ा कम हो गया है तो दोबारा दवा लेने के लिए आए रामकृष्ण ने कहा कि डॉक्टर हमारे लिए देवदूत साबित हुए। अब कम से कम चैन से बची जिंदगी कट रही है।
न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. एसके गंभीर के मुताबिक कई तरह के कैंसर में कई बार कैंसर हड्डी तक पहुंच जाता है, ऐसे में काफी दर्द होता है। पेन क्लीनिक में ओपियाड, पैच और पैन किलर देते है, लेकिन कई बार इसका असर कम हो जाता है। दवा की मात्र बढ़ाने के बाद भी चैन नहीं मिलता है ऐसे में हम लोग समेरियम 153 आइसोटोप मरीज को देते है जिससे दर्द कम हो जाता है और दर्द के लिए दवाओं की मात्र भी काफी कम हो जाती है। इस दवा का असर तीन से छह महीने रहता है। यही इलाज कारपोरेट अस्पताल में स्ट्रानसियम देकर करते है जिसमें एक लाख रुपये का खर्च आता है। हम समेरियम से जिसमें मात्र 3600 रुपये खर्च आता है। 
ओपियाड से कई तरह की परेशानी : प्रो.गंभीर के मुताबिक ओपियाड देने से मरीज बेहोशी की हालत में सोता रहता है न तो वह खाता है न पीता है। ऐसे में कुपोषण का शिकार हो जाता है। इसके अलावा कब्ज की परेशानी हो जाती है सात -आठ दिन वह मल नहीं कर पाता है। घर वाले परेशान रहते है। आइसोटोप थेरेपी में इस तरह के साइड इफेक्ट नहीं होते है। मरीज की क्वालिटी ऑफ लाइफ काफी हद तक ठीक हो जाती है। 
 प्रो. एसके गंभीर
आइसोटोप थिरेपी में उसी दिन जा सकते हैं घर
समेरियम आइसोटोप 153 थेरेपी में मरीज को दवा इंजेक्ट की जाती है। दवा देने के बाद उसी दिन छुट्टी दे दी जाती है। दवा देने से पहले लिवर फंक्शन, किडनी फंक्शन टेस्ट के अलावा ब्लड सेल काउंट और हीमोग्लोबीन का परीक्षण कराया जाता है। दवा देने के बाद कुछ मरीजों में हीमोग्लोबीन कम हो जाता है ऐसे में दवा देने से पहले इंट्रावेनस आयरन इंजेक्ट कर हीमोग्लोबीन का स्तर बढ़ाते है।

कारपोरेट अस्पताल से सस्ता करना होगा इलाज
 संजय गांधी पीजीआइ को अपनी चमक बरकरार रखने के लिए कारपोरेट अस्पतालों के मुकाबले सस्ते इलाज का विकल्प स्थापित करना होगा। इसके अलावा इलाज की नई तकनीक खोजना होगा। आइसोटोप थेरेपी ही दिल्ली के कारपोरेट अस्पताल में होता है, लेकिन खास तरह का आइसोटोप विदेश से मंगाते है जिसके लिए एक लाख रुपये चार्ज करते है। लेकिन हम लोग उसी गुणवत्ता का काम 3600 रुपये में करते है। हमें और सस्ता करने की जरूरत है।

हड्डी में कैंसर से बढ़ जाता है पेन स्कोर

कैंसर जब हड्डी में फैल जाता है तो दर्द का स्कोर सात से आठ के बीच हो जाता है ऐसे में दवाएं काम नहीं करती हैं। मरीज पहले दो गोली खा रहा होता है तो उस समय चार गोली खाने लगता है। ऐसे में वह महीने में पांच से छह हजार की दवाएं खाता है फिर भी राहत नहीं मिलती। आइसोटोप थिरेपी से दर्द का स्कोर दो से तीन के बीच हो जाता है।





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