शनिवार, 15 जुलाई 2017

पीजीआइ ट्रामा सेंटर को मिले अलग संस्थान का दर्जा

पीजीआइ ट्रामा सेंटर को मिले अलग संस्थान का दर्जा

ट्रामा  चलाने के लिए न्यूरोसर्जरी के प्रमुख प्रो.राजकुमार ने शासन को दिया प्रस्ताव

ट्रामा सेंटर की नींव से जुडे रहे प्रो.राजकुमार 

चिकित्सा शिक्षा मंत्री को सौंपी कार्य योजना


संजय गांधी पीजीआइ के न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख एवं एम्स ऋषिकेश के पूर्व निदेशक प्रो.राजकुमार ने ट्रामा सेंटर को संस्थान परिसर में स्थित  सीबीएमअार की तरह अलग संस्थान का दर्जा देने का प्रस्ताव सरकार को सौंपा है। वर्ष 2009 में जब ट्रामा सेंटर की नींव पडी थी तब से वह इसका काम देख रहे थे। प्रो.राजकुमार का कहना है कि एम्स दिल्ली की तरह इसे चलाने के लिए इसे अलग संस्थान का दर्जा देने की जरूरत है। इससे ट्रामा सेंटर के संचालन में निर्णय लिया जा सकेगा। निदेशक पीजीआइ की भूमिका सलाहकार के रूप में होगी ।चिकित्सा संकाय सदस्यों का रोटेशन ट्रामा सेंटर में निदेशक पीजीआइ के सलाह किया जाए। संस्थान में जो विभाग उस विभाग के लिए ट्रामा सेंटर में संकाय सदस्यों का चयन संस्थान के विभागों में ही किया जाए तभी ट्रामा सेंटर के लिए संकाय सदस्य अाएंगे केवल ट्रामा सेंटर के लिए संकाय सदस्य नहीं अाएंगे। ट्रामा अौर संस्थान के संकाय सदस्यों का रोटेशन किया जाए। जो विभाग पीजीआइ में नहीं उन विभागों के लिए ट्रामा सेंटर में ट्रामा सेंटर निदेशक द्वारा नियुक्ति की जाए। प्रो. राजकुमार का कहना है कि ट्रामा सेंटर को चलाने के लिए शुरूअाती दौर में सीटी स्कैन, एमअारअाई, लैब , सर्जरी के लिए उपकरण , अाईसीयू की जरूरत होगी इसके लिए मंहगे उपकरण प्राइवेट प्रार्टरनर शिप पर लगा कर सेवाएं शुरू की जा सकती हैं। 

ट्रामा सेंटर के लेवल वन है

पीजीआइ का ट्रामा सेंटर लेवल 1 स्तर का होगा इसकी योजना इस तरह बनायी गयी थी ट्रामा शिकार का सभी इलाज हो सके जिसमें ब्रेन की सर्जरी से लेकर रिहैबिलेटेशन की व्यस्था हो। यह ट्रामा सेंटर प्रदेश के अन्य ट्रामा सेंटर का सुपरविजन कर सके। इसमें विभिन्न स्तर के मैन पावर का प्रशिक्षण एवं शोध किया जा सके। प्रदेश के अन्य पांच ट्रामा सेंटर को विकसित करने में इसकी अहम भूमिका हो लेकिन वर्ष 2012 से दो सौ करोड की लगात से बना ट्रामा सेंटर काम नहीं कर पाया जिसका खामियाजा प्रदेश के ट्रामा ग्रस्त लोगों को भुगतना पड़ रहा है।   

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