सोमवार, 3 जुलाई 2017

एमएस के नुस्खे के प्रमाणिकता पर मुहर लगाएगा पीजीआई

एमएस के नुस्खे के प्रमाणिकता पर मुहर लगाएगा पीजीआई

मोनोक्लोनल एंटीबाडी सीडी 20 प्रोटीन से मिल सकती है राहत 
क्लीनिकल ट्रायल में देश के साथ संस्थान होंगे शामिल 
कुमार संजय। लखनऊ
तंत्रिका तंत्र की बीमारी मल्टिपल स्किलरोसिस(एमएस)  के इलाज के लिए विश्व स्तर पर तैयार की गए नए  नुस्खे की प्रमाणिकता पर संजय गांधी पीजीआइ भी मुहर लगाएगा।  ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया ने इस बीमारी की नई दवा के क्लीनिकल ट्रायल के लिए देश के साथ संस्थानों को हरी झंडी दी है। नई दवा का क्लीनिकल ट्रायल 33 देशों में 900 लोगों पर किया जा रहा है। इनमें भारत के सात संस्थान शामिल है । यह  कुल 120 मरीजों पर दवा के प्रभाव का अध्ययन करेंगे। नयी दवा कई चरणों के परीक्षण को पार कर चुका है देखा गया है कि यह दवा इस समय जी रही टेरीफ्लूनोमाइड से अधिक प्रभावी और कुप्रभाव विहीन है। ड्रग कंट्रोलर ने पीजीआइ चंडीगढ, एम्स दिल्ली, अमृता इंस्टीट्यूट केरल सहित अन्य देश के सात संस्थानों को अनुमति दी है जिसमें पीजीआई लखनऊ का न्यूरोलाजी विभाग भी शामिल है। संस्थान के न्यूरोलाजी विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि मल्टीपिल स्कैलोरोसिस तंत्रिका तंत्र की ऐसी परेशानी है जिसमें उपचार के समिति विकल्प है। ओफाट्युमैब कारगर और सुरक्षित साबित होती है तो इलाज के एक नया विकल्प मिलेगा जो मरीजों को हित में होगा। यह  मोनोक्लोनल एंटीबाडी सीडी 20 प्रोटीन है बी लिम्फोसाइट के क्रियाशीलता को शुरूअती दौर में रोकती है।         

आटो इम्यून डिजीज है मल्टीपिल स्कैलोरोसिस
मस्तिष्क तथा स्पाइनल कार्ड तंत्रिका नर्व को सुरक्षा प्रदान करने वाले वसायुक्त माइलिन के आवरण क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।  आवरण नष्ट होने और घाव के निशान होने के साथ-साथ परेशानी होती है। आम तौर पर युवा वयस्कों में पायी जाती है।  यह महिलाओं में ज्यादा आम होती है। इसकी व्यापकता प्रति 100,000 में से  2 से 150 के बीच होती है। संजय गांधी पीजीआइ के तंत्रिका रोग विभाग के प्रमुख प्रो.सुनील प्रधान के मुताबिक यह परेशानी  मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में तंत्रिका कोशिकाओं के एक दूसरे से संवाद करने की क्षमता को प्रभावित करता है। तंत्रिका कोशिकाएं लम्बे तंतुओं के नीचे विद्युत संकेत भेज कर संवाद स्थापित करते हैं।  माइलिन नामक एक रोधक पदार्थ में लिपटे हुए रहते हैं। शरीर का अपना प्रतिरोधी तंत्र माइलिन पर हमला करता है और उसे नुकसान पहुंचाता है। जब माइलिन नष्ट हो जाता है तो प्रभावकारी ढंग से संकेतों को बिलकुल ही संचालित नहीं कर सकता है। 

यह होती है परेशानी
एम्एस से प्रभावित व्यक्ति तंत्रिका संबंधी किसी भी रोग लक्षण या संकेतों से पीड़ित हो सकता है
-संवेदना में परिवर्तन 
- मांसपेशी की कमजोरी
- मांसपेशी में ऐंठन
- चलने- फिरने में कठिनाई
- समन्वय और संतुलन में कठिनाई 
-भाषा में कठिनाई 
- निगलने में कठिनाई
- दृश्य संबंधी समस्याएं 
-थकान
- मूत्राशय तथा आंत संबंधी 

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