गुरुवार, 27 जुलाई 2017

पीजीआइ----अब इमरजेंसी के मामले में एक्सीलेंस अाफ सेंटर का सपना होगा साकार

पीजीआइ गवर्निंग बाडी की बैठक में हुए कई फैसले
 
अब इमरजेंसी के मामले में एक्सीलेंस अाफ सेंटर का सपना होगा साकार

6 महीने में पीजीआइ ट्रामा सेंटर होगा शुरू

ट्रामा सेंटर अधिकारिक रूप से पीजीआइ को मिला



संजय गांधी पीजीआइ के निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने इमरजेंसी मेडिसिन सेंटर फार एक्सीलेंस का जो खाका तैयार किया था वह साकार हो सकता है। संस्थान प्रशासन ने इस पर होने वाले खर्च 453 करोड़ को ब्योरा सरकार को पिछली सरकार को सौंपा था जिसमें तय हुअा था । तय हुअा था कि संस्थान स्टेट बैंक से लोन लेकर सेंटर स्थापित करें कर्ज की राशि की ईएमआई सरकार अौर संस्थान दोनों वहन करें लेकिन इस योजना पर विराम लग गया था लेकिन गुरूवार को शासन में संस्थान के गवर्निग बाडी की बैठक में इस योजना को शुरू करने पर सहमति बनी है। शासी निकाय की  बैठक में तय हुअा कि संस्थान के कर्मचारियों का कैडर रीसटक्चरिंग एक -एक करके न भेजा जाए संस्थान के सभी सवर्ग के कर्मचारियों का प्रस्ताव एक साथ भेजा जाए। इसके लिए किसी एजेंसी या पूर्व अाईएएस की सेवा ली जा सकती है। बैठक में ट्रामा सेंटर टू को पीजीआइ को सौंप दिया गया है। अब मेडिकल विवि इसे संस्थान को हैंड अोवर करेगा। बैठक में तय हुअा कि मौजूदा संसाधन के अाधार पर 6 महीने में इसे शुरू किया जाए। इसके अलावा शासी निकाय में कहा गया कि संस्थान विजन डाक्यूमेंट बना कर सरकार को सौंपे जिससे संस्थान अाने वाले बीस साल में कैसे इलाज अौर तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी रहे इसके लिए काम शुरू हो सके। संस्थान के निदेशक के विजन का ही नतीजा है कि संस्थान में सेंटर फार एक्सीलेंस इन इमरजेंसी मेडिसिन पर बात हो रही है। बैठक में प्रमुख सचिव राजीव कुमार, निदेशक प्रो.राकेश कपूर, चिकित्सा शिक्षा सचिव अनीता जैन भटनागर, वित्त सचिव , विशेष इनवाइटी राम निवास जैन, इंडोसर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो.एसके मिश्रा, इंडोक्राइनोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो.ईश भाटिया, रेडियोलाजी विभाग  की प्रो. नमिता मोहिंद्रा सहित कई लोग शामिल थे।    

 

ब्रेन स्ट्रोक ,गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीड और इंफेक्शियस डिजीज का संभव होगा इलाज


 निदेशक प्रो. राकेश कपूर का कहना है कि  प्रदेश में स्ट्रोक, संक्रामक बीमारियों के इलाज के सुपर स्पेशलाइज्ड यूनिट नहीं है जिसके कारण तमाम लोगों की मौत हो जाती है। इनकों सही और अच्छा इलाज उपलब्ध कराने के लिए कार्य़ योजना तैयार की गयी है ।  इस योजना में इमरजेंसी मेडिसिन की दिशा काम कर रहे है अमेरिका के वाल्टीमोर एवं न्यू जर्सी के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जिससे इलाज का स्तर इंटरनेशनल लेवल का हो। इस योजना के तहत 210 वेड का रखा गया है। पड़ने के एक घंटे के अंदर सभी तरह का इलाज देना संभव होगा। इसमें स्ट्रोक यूनिट बनाने का प्रस्ताव है जिसमें न्यूरो लाजिस्ट, न्यूरो सर्जन एवं इंटरवेंशन रेडियोलाजिस्ट की टीम इस केस को मैनेज करेंगी। कहा कि स्ट्रोक पड़ने के दो से तीन घंटे के अंदर मरीज को लाने पर उसे काफी हद तक बचाया जा सकता है लेकिन संसाधन के आभाव में कई बार समय से मरीज के आने के बाद भी सही इलाज नहीं मिल पाता है। 


जीआई ब्लीड यूनिट  

गैस्ट्रोइंटेशटाइनल ब्लीड के साथ आने वाले लोगों को भी तुरंत इलाज की जरूरत होती है। इस यूनिट गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट   की टीम होगी जो इस परेशानी के आत आने वालो मरीज  को तुंरत इंडोस्कोप या दूसरी तकनीक से पेट में हो रक्त स्राव को रोक कर मरीजों की जिंदगी बचाने का काम करेंगे। देखा गया है कि समय से इलाज न मिलने के कारण 80 फीसदी लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाता है। बताया कि तीस बेड हाई डिपेंडेंसी आईसीयू रखा गया है। 

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