सोमवार, 3 जुलाई 2017

जीएफअार से संभव है किडनी खराबी के स्टेज का खुलासा

जीएफअार से संभव है किडनी खराबी के स्टेज का खुलासा

नेशनल किडनी फाउंडेशन ने जारी की नई गाइड लाइन

पहले, दूसरे अौर तीसरे स्टेज पर ही उपाय से संभव है खराबी को रोकना

कुमार संजय। लखनऊ

किस हद तक किडनी खराबी के चपेट में अा चुके है यह जानने के लिए नेशनल किडनी फाउंडेशन ने नई गाइड लाइन जारी की है जिसमें ग्लूमलर फिल्टरेशन रेट( जीएफअार) के अाधार पर बीमारी की स्टेज पता करना संभव हो गया है। स्टेज के अाधार पर इलाज के विकल्पों की भी जानकारी हासिल की जा सकती है। संजय गांधी पीजीआइ के किडनी रोग विशेषज्ञ प्रो.नरायन प्रसाद ने बताया कि फाउंडेशन ने पाच स्टेज बनाया है जिसमें दूसरे अौर तीसरे स्टेज पर किडनी की खराबी को अागे बढने से दवाअों से रोका जा सकता है। इसमें रक्तदाब, शुगर कंट्रोल के साथ लाइफ स्टाइन में बदलाव लाने की सलाह दी जाती है। स्टेज चार अौर पांच में डायलसिस , किडनी ट्रांसप्लांट जैसे विकल्प ही बचते हैं। प्रो.नरायन प्रसाद ने कहा कि 70 फीसदी लोग किडनी खराबी के चौथे अौर पांचवे स्टेज पर ही हम लोगों के पास अाते है। बताया कि जीएफअार की गणना मरीज के उम्र, लिंग, नश्ल( भारतीय, यूरोपियना अादि) अौर सीरम क्रिएटनिन के अाधार पर गणना कर निकला जाता है। स्टेज टू अौर थ्री में ब्लड प्रेशर 130-85  से कम रखने की जरूरत होती है। इसके लिए भऱीर के भार में कमी, खाने में कंट्रोल , कम नमक का सेवन के साथ एंजियो टेंसिन कनवर्टिग एंजाइम दवाएं दी जाती है जिससे बीमारी का प्रोगेशन रूक जाता है। बताया डायबटीज मरीजों को एचबीएवन सी का 6.5 फीसदी से कम होना चाहिए। 


पहली स्टेज: पेशाब में कुछ गड़बड़ी पता चलती है लेकिन क्रिएटनिन और ईजीएफआर (ग्लोमेरुलर फिल्टरेशन रेट) सामान्य होता है। ईजीएफआर से पता चलता है कि किडनी कितना फिल्टर कर पा रही है।
दूसरी स्टेज: जीएफआर 90-60 के बीच में होता है लेकिन क्रिएटनिन सामान्य ही रहता है। इस स्टेज में भी पेशाब की जांच में प्रोटीन ज्यादा होने के संकेत मिलने लगते हैं। शुगर या हाई बीपी रहने लगता है।
तीसरी स्टेज: जीएफआर 60-30 के बीच में होने लगता है, वहीं क्रिएटनिन भी बढ़ने लगता है। इसी स्टेज में किडनी की बीमारी के लक्षण सामने आने लगते हैं। एनीमिया हो सकता है।  ब्लड टेस्ट में यूरिया ज्यादा आ सकता है। शरीर में खुजली होती है। यहां मरीज को डॉक्टर से सलाह लेकर अपना लाइफस्टाइल सुधारना चाहिए।
चौथी स्टेज: जीएफआर 30-15 के बीच होता है और क्रिएटनिन भी 2-4 के बीच होने लगता है। यह वह स्टेज है, जब मरीज को अपनी डायट और लाइफस्टाइल में जबरदस्त सुधार लाना चाहिए नहीं तो डायलसिस या ट्रांसप्लांट की स्टेज जल्दी आ सकती है। इसमें मरीज जल्दी थकने लगता है। शरीर में कहीं सूजन आ सकती है।
पांचवीं स्टेज :ईजीएफआर 15 से कम हो जाता है और क्रिएटनिन 4-5 या उससे ज्यादा हो जाता है। फिर मरीज के लिए डायलसिस या ट्रांसप्लांट जरूरी हो जाता है।

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