जीएफअार से संभव है किडनी खराबी के स्टेज का खुलासा
नेशनल किडनी फाउंडेशन ने जारी की नई गाइड लाइन
पहले, दूसरे अौर तीसरे स्टेज पर ही उपाय से संभव है खराबी को रोकना
कुमार संजय। लखनऊ
पहली स्टेज: पेशाब में कुछ गड़बड़ी पता चलती है लेकिन क्रिएटनिन और ईजीएफआर (ग्लोमेरुलर फिल्टरेशन रेट) सामान्य होता है। ईजीएफआर से पता चलता है कि किडनी कितना फिल्टर कर पा रही है।
दूसरी स्टेज: जीएफआर 90-60 के बीच में होता है लेकिन क्रिएटनिन सामान्य ही रहता है। इस स्टेज में भी पेशाब की जांच में प्रोटीन ज्यादा होने के संकेत मिलने लगते हैं। शुगर या हाई बीपी रहने लगता है।
तीसरी स्टेज: जीएफआर 60-30 के बीच में होने लगता है, वहीं क्रिएटनिन भी बढ़ने लगता है। इसी स्टेज में किडनी की बीमारी के लक्षण सामने आने लगते हैं। एनीमिया हो सकता है। ब्लड टेस्ट में यूरिया ज्यादा आ सकता है। शरीर में खुजली होती है। यहां मरीज को डॉक्टर से सलाह लेकर अपना लाइफस्टाइल सुधारना चाहिए।
चौथी स्टेज: जीएफआर 30-15 के बीच होता है और क्रिएटनिन भी 2-4 के बीच होने लगता है। यह वह स्टेज है, जब मरीज को अपनी डायट और लाइफस्टाइल में जबरदस्त सुधार लाना चाहिए नहीं तो डायलसिस या ट्रांसप्लांट की स्टेज जल्दी आ सकती है। इसमें मरीज जल्दी थकने लगता है। शरीर में कहीं सूजन आ सकती है।
पांचवीं स्टेज :ईजीएफआर 15 से कम हो जाता है और क्रिएटनिन 4-5 या उससे ज्यादा हो जाता है। फिर मरीज के लिए डायलसिस या ट्रांसप्लांट जरूरी हो जाता है।
दूसरी स्टेज: जीएफआर 90-60 के बीच में होता है लेकिन क्रिएटनिन सामान्य ही रहता है। इस स्टेज में भी पेशाब की जांच में प्रोटीन ज्यादा होने के संकेत मिलने लगते हैं। शुगर या हाई बीपी रहने लगता है।
तीसरी स्टेज: जीएफआर 60-30 के बीच में होने लगता है, वहीं क्रिएटनिन भी बढ़ने लगता है। इसी स्टेज में किडनी की बीमारी के लक्षण सामने आने लगते हैं। एनीमिया हो सकता है। ब्लड टेस्ट में यूरिया ज्यादा आ सकता है। शरीर में खुजली होती है। यहां मरीज को डॉक्टर से सलाह लेकर अपना लाइफस्टाइल सुधारना चाहिए।
चौथी स्टेज: जीएफआर 30-15 के बीच होता है और क्रिएटनिन भी 2-4 के बीच होने लगता है। यह वह स्टेज है, जब मरीज को अपनी डायट और लाइफस्टाइल में जबरदस्त सुधार लाना चाहिए नहीं तो डायलसिस या ट्रांसप्लांट की स्टेज जल्दी आ सकती है। इसमें मरीज जल्दी थकने लगता है। शरीर में कहीं सूजन आ सकती है।
पांचवीं स्टेज :ईजीएफआर 15 से कम हो जाता है और क्रिएटनिन 4-5 या उससे ज्यादा हो जाता है। फिर मरीज के लिए डायलसिस या ट्रांसप्लांट जरूरी हो जाता है।
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