मंगलवार, 18 जुलाई 2017

कैसे हो इलाज जांच किट का टोटा

खून की जांचों के लिए नहीं अा रहा है किट 

बीमारी का पता नहीं कैसे हो इलाज

70 फीसदी  इंपोर्टेड किट और केमिकल के सहारे होती है विशेष जांचे




कुमार संजय। लखनऊ 



बीमारी पता करने के लिए लैबों में जांच होती है  जिसमें लगने वाले किट की अापूर्ति थम गयी है। पुराने स्टाक से कुछ जांचे चल रहा है।  तमाम जांचे बंद हो गयी है खास तौर विशेष जांचे जिससे लिवर, किडनी, अाटो इम्यून डिजीज सहित कई बीमारी का पता चलता है। इसके पीछे कारण जीएसटी बताया जा रहा है। जांच के केमिकल अौर किट के तीन स्लैब है जिसमें हिपेटाइटिस, मलेरिया, बल्ड कंपोनेंट की दर पांच फीसदी बतायी जा रही है बाकी जांचो की दर 12 फीसदी बतायी जा रही है। लैब के समान की सप्लाई करने वाली कंपनी के प्रतिनिध का कहना है कि हम लोग विदेश से किट मंगा कर अस्पताल अौर जांच केंद्रो को सप्लाई करते है लेकिन विदेशों से किट नहीं अा रही है क्योंकि जीएसटी के  अाधार पर टैक्स अभी फिक्स नहीं हुअा है। हम लोगों के पास जो सामान पहले है उसी को दे रहे है। अाटोइम्यून डिजीज के लिए डीएस डीएनए जांच होती है जिसके लिए अाटोमेटेड एलाइजा किट की सप्लाई नहीं अा रही है । लिवर प्रोफाइल, हारमोन प्रोफाइल सहित तमाम जांच के लिए विशेष किट इस्तेमाल होती है जिसकी सप्लाई नहीं हो रही है। केवल प्राइमरी जांच की कुछ किट भारत में बनती है जिसकी सप्लाई हो रही है।

डायग्नोस्टिक किट पर विदेशी कंपनियों का 70 फीसदी कब्जा

डायग्नोस्किटक क्षेत्र से जुडे लोगों का कहना है कि जांच के लिए बनने वाली किट या केमिकल पर 70 फीसदी विदेशी कंपनियों का कब्जा है। संजय गांधी पीजीआइ इनवेस्टीगेशन रिवाल्विंग फंड के वीके जायसवाल कहते है कि तमाम जांच किट केवल विदेश में बनती है जो भारत में बेचती है। उनकी गुणवत्ता से जांच करने वाले विभाग संतुष्ट है रिपोर्ट में 10 फीसदी तक वैरिएशन होता है। बताता है कि केवल इम्यूनोकमेंस्टी के केमिकल अौर किट का भारतीय बाजार में विदेशी कंपनियों का शेयर 17 सौ करोड के अास -पास है। 


सही जांच से चलती है बीमारी का पता

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं पैथोलाजिस्ट डा.पीके गुप्ता के मुकाबिक किडनी का कितना काम कर रही है। शुगर का लेवल क्या है  जैसे तमाम शरीर के अंदर की जानकारी जांच से होती है। बीमारी की डायग्नोसिस भी विशेष जांचों से होती है । बीमारी की सही जानकारी के बिना इलाज संभव नहीं है। विदेशी कंपनियों की क्वालिटी उतना क्वालिटी कंट्रोल नहीं है। इसे करने की जरूरत है तभी निर्भरता कमी होगी। 


जांचे होंगी मंहगी

पहले वैट पांच फीसदी लगता था अब विशेष जांच किट अौर समाना पर जीएसटी पर 12 फीसदी हो गया है जिससे जांच की दरों में इजाफा संभव है । नए दर पर सामान कंपनियां सप्लाई करेंगी तो रेट बढाना पडेगा। इससे निजि लैब में जांच कराने वाले मरीजों पर भार पडेगा। 

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