शनिवार, 18 मार्च 2023

पीजीआई में किडनी जागरूकता कार्यक्रम किडनी ट्रांसप्लांट नहीं संभव तो भी पेरीटोनियल डायलिसिस पर मिल सकती है लंबी जिंदगी

 





पीजीआई में किडनी जागरूकता कार्यक्रम


किडनी ट्रांसप्लांट नहीं संभव तो भी पेरीटोनियल डायलिसिस पर मिल सकती है लंबी जिंदगी


हर अस्पताल में बने आपात चिकित्सा प्रकोष्ठ


  


किडनी खराब होने तमाम लोग सोचते है कि जिंदगी बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है। किडनी देने वाले परिवार में नहीं है तो भी लंबी जिंदगी मिल सकती है। यह संभव हो सकता है पेरीटोनियल डायलिसिस के जरिए । नीना चौधरी 14 साल से होम डायलिसिस( पेरीटोनियल डायलिसिस) पर अच्छी जिंदगी जी रही है। संजय गांधी पीजीआई में विश्व किडनी दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में नीना ने बताया कि वह हीमोडायलिसिस पर पहले थी लेकिन इसके लिए अस्पताल जाना पड़ता है । अब होम डायलिसिस पर हूं किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है। नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. नरायन प्रसाद एवं प्रो. धर्मेंद्र भदौरिया ने बताया कि सौ से अधिक किडनी के मरीज जिनमें किडनी ट्रांसप्लांट किसी कारण नहीं हो पया वह होम डायलिसिस पर अच्छी जिंदगी जी रहे हैं। इस मौके पर जागरूकता रैली , पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। विशेषज्ञों ने कहा कि साल के विश्व किडनी दिवस का थीम है - सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य, अप्रत्याशित की

तैयारी और कमजोरों का समर्थन। कहा कि अप्रत्याशित घटनाएं (भूकंप, बाढ़, युद्ध, अत्यधिक मौसम) या वैश्विक (कोविड जैसी)  महामारी हो सकती हैं। भूकंप में अचानक ही मृत्यु की संख्या बढ़ जाती है, और  चोटें बढ़ती हैं। ऐसे मयोग्लोबिनुरिया, दर्द निवारक दवाओं के उपयोग  और त्वचा सूखापन से किडनी रोगियों की संख्या बढ़ती है। इनकी जिंदगी  बचाने के लिए  संसाधनों की जरूरत होती है। पहले से ही संसाधन प्रशिक्षित मानव शक्ति और डायलिसिस उपकरण कम है। इनकी  बढ़ जाती है।अंतर्राष्ट्रीय किडनी सोसाइटी के सलाहकार एवं पूर्व भारतीय किडनी सोसाइटी सचिव रहे प्रो. नरायन  प्रसाद ने सरकार हर जिले में एक चिकित्सा आपदा कक्ष स्थापित करे, जो आपदा के समय सहायता करें। नेफ्रोलॉजी सोसाइटी ने एक्यूट किडनी इंजरी मरीजों का प्रबंधन करने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए। डायलिसिस की आवश्यकता  और 3 से 4 दिन से अधिक डायलिसिस के बिना नहीं रह सकते।




इलाज महंगा इस लिए बरतें सावधानी


क्रोनिक किडनी डिजीज इलाज महंगा और जीवन भर का होता है। इसलिए बेहतर होगा कि बीमारी को रोका जाए। उच्च


रक्तचाप वाले रोगियों, मधुमेह रोगियों, बुढ़ापे के लोगों, मोटापे वालों, जेनेटिक और परिवार के इतिहास वालों,बार-बार पथरी बनने वालों लोगों को  प्रोटीन्यूरिया और मूत्र में रक्त   और सीरम क्रिएटिनिन की जांच हर 6-12 महीनों में की जानी चाहिए। किसी भी असामान्यता वाले लोगों को नेफ्रोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए।


जागरूकता रैली में 600 लोगों ने लिया भाग


 


 निदेशक प्रो. आर.के. धीमन . सीएमएस प्रो. संजय धिराज, मेडिकल. चिकित्सा अधीक्षक  प्रो. वीके पालीवाल , कर्मचारी संगठन की महामंत्री सावित्री सिंह, कर्मचारी महासंघ के पूर्व महामंत्री धर्मेश, डा. रवि शंकर कुशवाहा, प्रो. अनुपमा कौल सहित 600 से अधिक लोगों ने जागरूकता रैली में भाग लिया।

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