शनिवार, 25 मार्च 2023

आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस से पता चलेगी हृदय की सही स्थिति

 








आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस से पता चलेगी हृदय की सही स्थिति


- एसजीपीजीआइ में हार्ट फेल्योर पर सेमिनार

- कंबीनेशन थेरेपी से हार्ट फेल्योर के मरीजों को मिलेगी राहत

- रक्त वाहिकाओं में लंबे समय से रुकावट बनता है हार्ट फेल्योर का कारण


: दिल कमजोर हो जाए तो शरीर के बाकी अंगों पर भी इसका प्रत्यक्ष या परोक्ष असर पड़ता ही है। ऐसे में हृदय को सुचारू रूप से चलाने के लिए नित नए शोध किये जा रहे हैं। संजय गांधी स्नाकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) में हार्ट फेल्योर पर आयोजित सेमिनार में संस्थान के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सुदीप कुमार ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हार्ट फेल्योर के मरीजों में बीमारी की गंभीरता का अंदाजा पहले से लगाया जा सकता है। ईसीजी, ईको रिपोर्ट को साफ्टवेयर में फीड किया जाता है जिसके आधार पर बीमारी की स्थिति के बारे में पता लगता है। भर्ती होने की स्थिति से पहले दवाओं में बदलाव कर मर्ज की गंभीरता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।


एसजीपीजीआइ के कन्वेंशन सेंटर में कार्डियोलाजिकल सोसाइटी आफ इंडिया (सीएसआइ) की ओर से दो दिवसीय नेशनल हार्ट फेल्योर कान्फ्रेंस-2023 का शुभारंभ किया गया। आयोजन में एसजीपीजीआइ के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान ने कहा कि गैर-संचारी रोगों में इजाफा हो रहा है। इससे किडनी, लीवर और हृदय समेत अन्य अंगों में परेशानी बढ़ रही है। ऐसे में जनमानस तक बेहतर शोध के साथ सुविधा पहुंचाने की आवश्यकता है।

डा. सुदीप ने बताया कि हार्ट फेल्योर का मुख्य कारण धमनियों में रुकावट यानी कोरोनरी आर्टरी ब्लाकेज होता है। इससे हृदयघात पड़ने पर हृदय की मांसपेशियों का बड़ा हिस्सा हमेशा के लिए खराब हो जाता है। उन्होंने बताया कि हाइपरटेंशन, कार्डियोमायोपैथी (आनुवंशिक, वायरल संक्रमण, शराब और कुछ दवाओं आदि के कारण हृदय मांसपेशियों की बीमारी) और एडवांस हार्ट वाल्व डिफेक्ट के कारण हार्ट फेल होता है। 


प्रो. सुदीप कुमार ने अपने व्याख्यान में बताया कि हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाएं तो फेफड़ों और अन्य अंगों को आवश्यकतानुसार पर्याप्त मात्रा में खून नहीं पहुंच पाता है। हृदय रोगों के उपचार में कंबीनेशन थेरेपी से काफी अच्छी और लंबी जिंदगी मिल सकती है।


ऐसे करे दिल की हिफाजत

 मोटापा, डायबिटीज और उच्च रक्तचाप के कारण हार्ट फेल्योर की अधिक खतरा होता है। इस पर संयम रखने के लिए जीवनशैली में सुधार आवश्यक है।


बच्चों में होगी रूमेटिक हार्ट डिजीज की स्क्रीनिंग

सीएसआइ के सचिव डा. देवव्रत ने बताया कि बच्चों में रूमेटिक हार्ट डिजीज का पता लगाने के लिए स्कूलों में स्क्रीनिंग कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। एक विशेष स्टेथोस्कोप तैयार किया गया है जो एप से लिंक है। इससे बीमारी का पता लगेगा। रूमेटिक हार्ट डिजीज के कारण वाल्व खराब हो जाते है जिसके कारण हार्ट फेल्योर की आशंका रहती है। सीएसआइ के अध्यक्ष विजय बंग ने बताया कि जागरूकता के लिए सोसायटी वेबसाइट जारी करने जा रहा है।


यह है हार्ट फेल्योर के लक्षण

प्रो. सत्येंद्र तिवारी ने बताया कि सांस फूलना, शरीर में सूजन, पेट में भारीपन, भूख में कमी, सोने में परेशानी आदि हृदय संबंधी रोगों के लक्षण होते हैं। बीमारी के बढ़ने पर आराम करने के दौरान भी सांस की समस्या होती है।


- सीएचडी( क्रोनिक हार्ट डिजीज) के 0.4 से 2.3 फीसद में हार्ट फेल्योर


- हार्ट फेल्योर (एचएफ) कारक उच्च रक्तचाप है। 2025 तक 11.8 करोड़ से बढ़ कर 21.4 करोड उच्च रक्तचाप से ग्रस्त होंगे जिससे हार्ट फेल्योर के मरीजों की संख्या में वृद्धि होगी।



नए रसायन से एचएफ के मरीजों को राहत

क्रोनिक हार्ट फेल्योर को बाएं वेंट्रिकुलर इजेक्शन फ्रेक्शन (एलवीइएफ) के आधार पर श्रेणियों में विभाजित किया गया है। कम इजेक्शन फ्रैक्सन 40 फीसदी से कम होने पर परेशानी अधिक होती है। नए शोध में बताया गया है कि सैक्यूबिट्रिल / वलसार्टन और एम्पाग्लिफ्लोज़िन रसायनों को एसीई इनहिबिटर, एआरबी , बीटा ब्लाकर, एसजीएटली-2, डाइयूरेटिक्स साथ  कंबीनेशन थेरेपी में देने से फायदा मिलता है। 45 से  57 फीसदी  के बीच  इंजेक्शन फ्रैक्शन वाले मरीजों में  सैक्यूबिट्रिल/वेलसार्टन से लाभ होता है।  एम्पाग्लिफ्लोज़िन लेने वाले मरीजों में हार्ट फेल्योर के कारण होने वाली परेशानी से  अस्पताल में भर्ती होने और  मृत्यु कमी देखी गयी है।


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