सोमवार, 27 मार्च 2023

पीजीआई में हार्ट फेल्योर पर नेशनल सेमिनार - हार्ट फेल्योर के 40 फीसदी में देखी जाती है आयरन की कमी




 पीजीआई में हार्ट फेल्योर पर नेशनल सेमिनार

हार्ट फेल्योर के 40 फीसदी में देखी जाती है आयरन की कमी

हीमोग्लोबिन का स्तर ठीक तो भी हो सकता है आयरन की कमी


हार्ट फेल्योर से ग्रस्त लोगों में  आयरन की कमी  होने पर परेशानी के कारण उनके जीवन  की गुणवत्ता में 19% की कमी देखी गयी है। इन मरीजों में आयरन के स्तर पर लगातार नजर रखनी चाहिए। हीमोग्लोबिन कई बार इनमें ठीक होता लेकिन आयरन की कमी होती है। संजय गांधी पीजीआई में आयोजित हार्ट फेल्योर के नेशनल सेमिनार में संजय गांधी पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सत्येंद्र तिवारी ने बताया कि  दिल की विफलता वाले 50% तक रोगियों में आयरन की कमी होती है। दिल की विफलता वाले सभी रोगियों को समय-समय पर एनीमिया और आयरन की कमी की जांच करनी चाहिए। एनीमिया( हीमोग्लोबिन की कमी) के बिना आयरन की कमी तब हो सकती है। कई बार आरबीसी/हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य होती है लेकिन रक्त में सामान्य आयरन से कम रहता है।  इनमें सांस लेने की परेशानी होती है। इसलिए इनमें सीरम फेरिटिन (प्रोटीन जो आयरन को स्टोर और रिलीज करता है) और संतृप्त  ट्रांसफेरिन का स्तर देखना चाहिए।  दिल की विफलता में लोहे की कमी के कारण कार्य करने की क्षमता में कमीअस्पताल में भर्ती होने का जोखिमलक्षणों में वृद्धि और जीवन की खराब गुणवत्ता शामिल है। विभाग के प्रमुख प्रो. आदित्य कपूर, प्रो. नवीन गर्ग,  प्रो, रूपाली खन्ना और प्रो. अंकित साहू ने कहा कि हार्ट फेल्योर के इलाज में विशेषज्ञों के अनुभव का विस्तार हुआ इससे काफी फायदा मिलेगा।  

क्यो होती है आयरन की कमी

एसजीपीजीआई के ही हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो.सुदीप कुमार कहते है कि हार्ट फेल्योर के मरीजों में  सूजन का एक महत्वपूर्ण परेशानी है। सूजन की स्थिति में  ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर-अल्फाइंटरल्यूकिन-6 और कई अन्य प्रिनफ्लेमेटरी साइटोकिन्स, 12 , 21 और सी-रिएक्टिव प्रोटीन बढ़ जाते हैं । यह रसायन  हीमोग्लोबिन स्तर पर विपरीत रूप से प्रभाव डालते है। एचएफ वाले कुछ रोगियों में  रेनिन-एंजियोटेंसिन  प्रणाली पर आधारित दवाएं चलती है। इससे भी आयरन के स्तर पर प्रभाव पड़ता है।

 

क्या है कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेल्योर

-कार्डियक अरेस्ट में अचानक दिल ठीक से धड़कना बंद कर देता है।  एक इलेक्ट्रिकल इशू के कारण हमारा हार्ट ब्लड पंप करना बंद कर देता है।  इससे हमारे सेल्स को आवश्यक ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. सेल्स में ऑक्सीजन की कमी के कारण अचानक कार्डियक अरेस्ट हो सकता है और यह जानलेवा स्थिति है।  इसमें तुरंत मदद मिल जाए तो रोगी के बचने की संभावना बढ़ जाती है। यह ज्यादातर खेल के दौरान लड़कों और युवा पुरुषों में होता है।

हार्ट अटैक एक सर्कुलेशन प्रॉब्लम है।  ब्लड क्लॉटिंग होने या हार्ट में ब्लड सप्लाई की कमी से हार्ट अटैक की स्थिति बनती है।   हार्ट अटैक अधिकतर कोरोनरी आर्टरीज में ब्लॉकेज के कारण होता है। इसे डॉक्टरी भाषा में  मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन कहते है।

हार्ट फेल्योर उस स्थिति को कहा जाता हैजब हार्ट यानी हृदय शरीर के अन्य अंगों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त पहुंचाने का कार्य सही तरीके से नहीं कर पाता है।  इस स्थिति में हार्ट की पंप करने की गति कम हो जाती है. हार्ट फेल्योर की स्थिति में हार्ट के दाईं या बाईं तरफ इसका असर दिख सकता है. या फिर दोनों तरफ यह प्रभाव डाल सकता है।  इसके लक्षण अचानक ही दिखाई पड़ते हैं.

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