हीमोफीलिया मरीज के लिए नहीं होगी सेंटर पर दवा की कमी
ई मॉनिटरिंग सिस्टम का उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने किया उद्घाटन
पीजीआई में हीमोफीलिया अपडेट
हीमोफीलिया के मरीजों के इलाज के लिए दवा की कमी किसी भी सेंटर पर नहीं होगी। ट्रीटमेंट सेंटर पर कितनी दवा है , कितना लगा सब की रोज निगरानी ई मॉनिटरिंग सिस्टम से की जाएगी। प्रदेश में 26 सेंटर हैं जहां पर इन मरीजों को एनएचएम एवं प्रदेश सरकार के सहयोग से निशुल्क उपचार दिया जा रहा है। इनकी निगरानी ने लिए संजय गांधी पीजीआई के हिमैटोलॉजी विभाग को नोडल सेंटर बनाया गया। कई बार दवा की कमी पत्राचार में देरी के कारण हो जाती थी जिससे मरीजों का इलाज प्रभावित होता था । अब विभाग ने रीयल टाइम वेबसाइट शुरू किया है जिसका उद्घाटन उप मुख्यमंत्री एवं चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने शुक्रवार को किया। कहा कि संस्थान के तमाम मरीज निराश हो कर वापस जाते इसे रोकने के लिए संस्थान प्रशासन काम करें सरकार हर स्तर पर सहयोग के लिए तैयार है। विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश कश्यप ने बताया कि प्रदेश में 50 से 60 हजार हीमोफीलिया के मरीज है लेकिन जागरूकता की कमी के कारण केवल लगभग पांच हजार मरीज ही इलाज ले रहे हैं। जागरूकता के लिए काम करने की जरूरत है।
जांच फ्री करने का भेजा गया प्रस्ताव
प्रो.राजेश ने बताया कि खून का थक्का जमाने वाले फैक्टर की कमी के जांच के लिए एक फैक्टर की कीमत 4500 है जो काफी महंगा । इसके कारण तमाम लोग जांच नहीं कराते हैं। इस परीक्षण को निःशुल्क करने के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। इससे बीमारी पता लगाने की दर बढेगी। इसके साथ ही फैक्टर 8 और 9 के आलावा फैक्टर 13. 10, 7 और एफ्रिब्रिननिजोमिया के कारण भी रक्त का थक्का नहीं बनता इस कमी को पूरा करने के लिए भी प्रस्ताव भेजा है
क्या है हीमोफीलिया
इस परेशानी में रक्त का थक्का सामान्य रूप से नहीं बनता है। जब खून ठीक से नहीं जम पाता, तो चोट लगने के बाद शरीर के बाहर या अंदर बहुत ज़्यादा खून बहता है। बड़े या गहरे घाव, जोड़ों का दर्द और सूजन, बिना किसी स्पष्ट वजह से खून बहना, और पेशाब या मल में खून। इलाज में थक्का बनाने वाले कारक (क्लॉटिंग फैक्टर) दिया जाता है।
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