रविवार, 26 मार्च 2023

शख्यसियत प्रो.एसके याचा पिडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट मरीजों की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा

 





शख्यसियत प्रो.एसके याचा पिडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट 


मरीजों की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा


बच्चों के चहरे पर मुस्कान देख कर मिलता है सुकून


फादर आफ पीडियाट्रिक गैस्ट्रो एंटरोलॉजिस्ट प्रोफेसर एसके याचा  संजय गांधी पीजीआई के नीव रहे हैं।  बहुत ही सरल और सौम्य व्यक्तित्व के धनी हैं । कोरोना काल के बाद आज मुलाकात हुई।  मिलते ही उन्होंने गले लगा लिया तमाम बातें हुई पुराने दिनों को याद किया गया।  बच्चों के पेट की बीमारी के इलाज के लिए इस देश में कोई विशेषज्ञ नहीं होते थे प्रोफेसर याचा ने इस विशेषज्ञता के लिए विशेषज्ञ तैयार करने का संकल्प लिया था और वह भी तब जब वह पीजीआई चंडीगढ़ में थे वहां से पीजीआई आने के बाद वह लगातार कोशिश करते रहे और वह अपने संकल्प में पूरे खरे साबित हुए आज यह विभाग पूर्ण रूप से स्वतंत्र रूप से स्थापित है और देश को विशेषज्ञ उपलब्ध करा रहा है प्रोफ़ेसर याचा इस समय बैंगलोर में सेवा दे रहे हैं इनकी कमी प्रदेशवासियों को हमेशा खलती रहती है और खलती रहेगी प्रोफ़ेसर याचा कभी किसी का रुतबा देख कर उसके सामने झुके नहीं गरीब और लाचार मरीजों के लिए वह हमेशा खड़े रहते थे और यह इनकी प्राथमिकता पर होते थे कई बार इन मरीजों के इलाज के लिए पैसे की व्यवस्था भी खुद ही करते थे ऐसे चिकित्सक ही शायद भगवान होते हैं


 कुमार संजय। लखनऊ


 


बच्चों के चहरे पर मुस्कराहट लाने का जज्बा लेकर संजय गांधी पीजीआई 1991 में पीजीआई चंडीगढ़ की संकाय सदस्य की नौकरी छोड़ कर ज्वाइन किया। बाल पेट रोग विभाग की स्थापन का लक्ष्य था यह लक्ष्य़ पाने में 15 साल लग गया। वर्ष 2005 में देस का पहला पिडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग संस्थान में स्थापित हुआ आज भी यह देश का अकेला विभाग जहां पर बच्चों के पेट संबंधी परेशानी का सभी इलाज होता है। हम एक दिन के बच्चे का भी इंडोस्कोप करते है। हम देश के लिए बाल पेट रोग विशेषज्ञ तैयार कर रहे हैं। हर साल तो डीएम और चार से पांच पीडीसीसी तैयार कर रहे हैं। देश में 40 फीसदी बच्चों के पेट में परेशानी होती है इसमें 60 फीसदी लिवर, 30 फीसदी में आंत की परेशानी होती है। बाल पेट रोग विभाग की विशेषज्ञता के आभाव में तमाम बच्चों का जीवन खतरे में रहता था। वर्ष 1986 में मैने एमडी पिडियाट्रिक किया तभी महसूस किया कि बच्चों में पेट की परेशानी अधिक होती है जिसका इलाज नहीं हो पाता है क्योंकि बच्चों के इलाज के लिए बड़ो अलग वातावरण, उपकरण, लैब की जरूरत होती है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए 1988 से काम करना शुरू किया। 1991 में एसजीपीजीआई के गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग के प्रमुख स्वर्गीय  प्रो.एसआर नायक ने कहा कि बच्चों के इलाज के लिए हर संसाधन देंगे, विभाग अलग नहीं था लेकिन बच्चों के लिए दस बेड रिजर्व किया। उनकी प्रेरणा से ही आज विभाग स्थापित हो पाया

 पिता के धर्म और कर्म से ही सब कुछ मिला


प्रो.एसके याचा ने कहा कि मेरे पिता श्रीनगर में कलर्क थे हम तीन भाई और एक बहन है। कम वेतन में सबको उन्होंने हम लोगों को शिक्षा दी, काफी अभाव में जीवन गुजरा लेकिन कम जीने की आदत बना ली। मेरे पिता स्वर्गीय द्वारिका नाथ याचा काफी धार्मिक थे, हर हरि पर्वत का दस किमी परिक्रमा करने के बाद आठ बजे काम पर जाते थे यही धार्मिक संस्कार मेरे जीवन में आया मै भी ईश्वर की पूजा मरीजों की सेवा के रूप में करने लगा। पिता की ही संस्कार है कि न कोई कोई ऊंचा न कोई नीचा सबको समान भाव से देखता हूं।


कम में जीने की आदत डाली


आज भी मेरे पास 1997 की नान एसी मारूति 800 कार है , हमारे परिसर में सभी के पास बड़ी गाड़ी है कई बार बच्चे कहते है कि पापा गाड़ी बदल दो लेकिन मै उनसे कहता हूं कि गाड़ी बड़ी होने से सम्मान नहीं बढ़ता है काम से बढ़ता है। तृष्णा बढ़ने से संतुष्टि नहीं मिलती है।


बच्चों और छात्रों को भी दे रहा हूं सीख


हमारे विभाग में डीएम और पीडीसीसी के लिए आने वाले छात्रों से कहता हूं कि पैसा मन खोजो सेवा खोजे जो मरीजों की सेवा से ही मिलेगा। मेरी बेटी डा. मेनिक याचा एसजीपीजीआई से ही डीएम नेफ्रोलाजी कर रही है और दूसरी बेटी युक्ति याचा बंगलौर में नौकरी कर रही है इनको भी इसी रास्ते पर चलाने की कोशिश कर रहा हूं।


सबसे छोटा काम करने वाले सबसे बड़ा


प्रो.याचा ने कहा कि हर व्यक्ति में ईश्वर है। हमारे समाज या विभाग में सबसे छोटा काम सफाई कर्मचारी करता है लेकिन लोग उनके काम अहमियत नहीं देते हैं। हम इनके काम और इनको इज्जत देने की भरपूर कोशिश करते हैं। काम से कोई छोटा या बड़ा नहीं होता।


 


परिचय


प्रो.सुरेंद्र कुमार याचा


पिता- द्वारिका नाथ याचा


माता- मोहनी याचा


पत्नी- निर्माला याचा (गृहणी)


जंम- 6 फरवरी 1954


दो बेटी- मोनिक  और युक्ति


श्रीनगर जम्मू एंड काश्मीर

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