पीजीआईः पांच हजार से अधिक शुल्क वाले परीक्षण में 10 फीसदी की वृद्धि
रीजेट एवं किट के कीमत में 25 से 30 फीसदी की वृद्धि के कारण बढी दर
15 साल बाद बढ़ा शुल्क
संजय गांधी पीजीआई में रेडियोलाजिकल, न्यूक्लियर स्कैन, लेबोरेटरी सहित अन्य परीक्षण में संस्थान प्रशासन ने स्लैब के आधार पर 15 साल बाद दरों में वृद्धि की है। रासायनिक कीटों के महंगे होने और दर में वृद्धि न होने के कारण संस्थान का इंवेस्टीगेशन रिवाल्विंग फंड 20 से 30 फीसदी घाटे में चल रहा था। संस्थान पहले ने नो प्रॉफिट ने लास के तर्ज पर शुल्क दर तय करता है। संस्थान प्रशासन का कहना है कि दरों में वृद्धि के बाद भी बाजार या कारपोरेट जांच केंद्रों के मुकाबले 50 से 70 कम दर पर जांच किया जा रहा है। संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. गौरव अग्रवाल का कहना है कि जिस परीक्षण का शुल्क 5 हजार से अधिक है उस पर केवल 10 फीसदी की वृद्धि की गयी है। इससे मरीजों पर कोई अधिक भार नहीं लगेगा। संस्थान में जांच की गुणवत्ता के लिए कई बार बिना अतिरिक्त शुल्क लिए जांच रिपीट किया जा जाता है। हर परीक्षण के साथ क्वालिटी कंट्रोल के स्टैंडर्ड रन किया जाता है।
इस स्लैब में बढ़ा रेट
100 रूपए से कम के जांच-50 फीसदी
101 से 500- 25 फीसदी
501 से 2000- 20 फीसदी
2001 से 5000 – 15 फीसदी
5000 से अधिक- 10 फीसदी
70 फीसदी से विशेष जांच की परीक्षण किट विदेशों से आता है। डॉलर की कीमत बढ़ने के कारण किटों की कीमत बढ़ गयी है जिसके कारण शुल्क बढ़ाने का फैसला लेना पड़ा.. शुल्क कमेटी
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