गुरुवार, 9 मार्च 2023

आपदा के दौरान किडनी की बढ़ सकती है आपदा सेल की जरूरत- प्रो. नरायन प्रसाद

 


 

आपदा के दौरान किडनी की बढ़ सकती है आपदा सेल की जरूरत- प्रो. नरायन प्रसाद


 



संजय गांधी पीजीआई के नेफ्रोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. नरायन प्रसाद ने विश्व किडनी दिवस पर सलाह दिया कि आपदा के समय प्रबंधन के लिए हर अस्पताल में एक सेल होना चाहिए। इस साल की थीम भी है इमरजेंसी में मदद की तैयारी ।  आपदा भूकंप आदि के  दौरान मांसपेशियों में मायोग्लोबलीन निकलता है जो किडनी की कार्यक्षमता को कम कर देता है। घाव, सेप्सिस के कारण भी किडनी इंजरी होती है ऐसे में किडनी के परेशानी के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। ऐसा हाल में तुर्की में देखने को मिला है कि वहां एक्यूट किडनी इंजरी के मरीजों की संख्या काफी बढ़ गयी है। इस परेशानी का पूरी तरह इलाज संभव है। ऐसे आपदा ग्रस्त लोगों जीवन बचाने के लिए विशेष इंतजाम और संसाधन की जरूरत होती है। आपदा के दौरान किडनी सहित अन्य परेशानियों के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर(एसओपी) तैयार करने की जरूरत है। प्रो. नरायन प्रसाद ने कहा कि हाई रिस्क ग्रुप अधिक उम्र, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज. मोटापा, फैमली हिस्ट्री, बार –बार किडनी स्टोन बनने वाले लोगों का हर 6 महीने पर किडनी जांच होनी चाहिए। इसके लिए पेशाब में प्रोटीन और सीरम क्रिएटिनिन की जांच करनी चाहिए। हर दसवें व्यक्ति में  किडनी की परेशानी है। बीमारी का जल्दी पता लगाना जरूरी है। बचाव का खर्च बीमारी के खर्च से कई गुना कम है।






 किडनी बायोप्सी से डरे नहीं चलता है कारण का सही पता- सहायक प्रो. दुर्गेश पुष्कर



किंग जार्ज मेडिकल विवि के नेफ्रोलाजिस्ट(गुर्दा रोग विशेषज्ञ) असिस्टेंट प्रो.दुर्गेश पुष्कर ने कहा कि लक्षणों और  मूत्र या रक्त परीक्षण में कमी मिलने पर किडनी बायोप्सी कराने से नहीं डरना चाहिए।  शरीर में सूजन , मूत्र  में कमी, मूत्र का कोल रंग  या  लाल मूत्र  है तो किडनी परेशानी का लक्षण हो सकता है। मूत्र में लाल रक्त कोशिकाएं, मूत्र में प्रोटीन, हाल ही में बढ़ा हुआ रक्त क्रिएटिनिन स्तर भी हो सकता है।  गुर्दे की खराबी का कारण पता करने के लिए  गुर्दे की बायोप्सी आवश्यक है। देखा गया है कि लोग बायोप्सी से भागते है।यह लोकल एनेस्थीसिया के साथ   बिना किसी चीरे के की जाती है।  छोटे बच्चों को पूरी एनेस्थीसिया की  आवश्यकता हो सकती है।  नेफ्रोलॉजिस्ट या इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है।  अधिकांश रोगियों को 24 घंटे के बाद छुट्टी दी जा सकती है।  रोग के सटीक डायग्नोसिस सही उपचार के लिए किडनी बायोप्सी आवश्यक है।  किडनी बायोप्सी पर कारण पता  होने के बाद कई परेशानियों को  पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।  इसलिए नेफ्रोलॉजिस्ट द्वारा सलाह दिए जाने पर किडनी बायोप्सी में देरी न करें या मना न करें।

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