गुरुवार, 2 मार्च 2023

कुपोषित बच्चों का जीवन सुवर्णप्राशन के जरिए बचाएगा पीजीआई

 पीजीआई और आयुष मंत्रालय बचाएगा कुपोषित बच्चों का जीवन



 


गांव –गांव जा कर पीजीआई खोज कर कुपोषित बच्चों का करेगा सुवर्णप्राशन


शोध में देखा कि स्वर्ण भस्म से प्रेरित रक्त में बढ़ गए बीमारी से बचाने वाले रसायन




अब संजय गांधी पीजीआइ और भारत सरकार का आयुष मंत्रालय मिल कर कुपोषित बच्चों का जीवन बचाएगा। इसके लिए गुरुवार निदेशक प्रो. आरके धीमान एवं रीजनल आयुर्वेद रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक  डा. ओम प्रकाश के बीच प्रोजेक्ट सहमति पत्र पर समझौता हुआ। संस्थान के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट प्रो. विकास अग्रवाल ने कुपोषित बच्चों का जीवन बचाने के लिए परियोजना आयुष मंत्रालय को सौंपा था, जिस पर सहमति होने के बाद समहति पत्र पर हस्ताक्षर हुआ। इस परियोजना में क्लीनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट प्रो. दुर्गा प्रसन्ना मिश्रा, पेट रोग विशेषज्ञ प्रो. गौरव पाण्डेय और आयुर्वेदाचार्य डा. अभय तिवारी शामिल रहेंगे। प्रो. विकास ने बताया कि हमने लैब में देखा कि स्वर्ण भस्म से कुपोषित बच्चों के रक्त को प्रेरित करने से उनमें बीमारी से बचाने वाले साइटोकाइन का स्तर बढ़ जाता है। हमने कुपोषित बच्चों का रक्त लेकर बिना स्वर्ण भस्म से प्रेरित किया, कुछ बच्चों का बिना प्रेरित किए साइटोकाइन का स्तर देखा तो पाया कि स्वर्ण भस्म प्रेरित रक्त में गामा इंटरफेरॉन, ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर(टीएनएफ) अल्फा, इंटरल्यूकिन -17 का स्तर काफी बढ़ा गया। इस शोध के आधार पर हमने आयुष मंत्रालय को परियोजना भेजा जिसमें स्वर्ण प्राशन के जरिए कुपोषित बच्चों का शारीरिक, मानसिक विकास के साथ ही इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का विचार रखा जिसे मंत्रालय ने स्वीकार किया। हम लोग फील्ड में जा कर अति निर्धन वर्ग के बच्चों को स्वर्ण प्राशन कराने की योजना है। हम यह भी देखेंगे कि कितना फायदा हो रहा है।


 


50 फीसदी कुपोषित बच्चों की पांच साल हो जाती है मौत


कुपोषण से ग्रस्त बच्चों का शारीरिक , मानसिक विकास नहीं होता है साथ ही इम्यून सिस्टम कमजोर होता है जिसके कारण इनमें संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। देखा गया है कुपोषण से ग्रस्त 50 फीसदी की मौत पांच साल की उम्र के पहले हो जाती है। इनमें सांस की बीमारी. डायरिया , त्वचा रोग की आशंका रहती है।

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