बुधवार, 30 अगस्त 2017

पीजीआइ में सीने पर नश्तर चलाए बिना बदला दिया दिल का वाल्व



पीजीआइ में सीने पर नश्तर चलाए बिना बदला दिया दिल का वाल्व


कैथेटर के जरिए दिल के अंदर पहुंच कर बदला वाल्व 

पीजीआइ ने कंपनी से बिना शुल्क दिलवाया 20 लाख का वाल्व




जागरण संवाददाता। लखनऊ  

बनारस के रहने वाले 76 वर्षीय जुगुल प्रसाद अौर कुशीनगर के रहने वाले 75 वर्षीय केदार कुशवाहा को दिल की परेशानी से मुक्ति मिल गयी है। इन दोनों लोगों को सांस लेने में परेशानी के साथ तमाम दूसरी परेशानी हो रही थी। संजय गांधी पीजीआइ के हृदय रोग विशेषज्ञों ने तमाम जांच के बाद देखा कि दिल के वाल्व में सिकुडन जिसे बदलना जरूरी थी। दिल का वाल्व बदलने के लिए अोपेन सर्जरी करनी पड़ती है लेकिन इनमें अधिक अधिक उम्र के चलते अोपेन सर्जरी संभव नहीं थी। संस्थान के हृदय रोग विशेषज्ञों ने नस से दिल में वाल्व डालकर बदल दिया जिससे इनकी परेशानी दूर हो गयी। इन मरीजों की माली हालत ठीक नहीं थी विभाग के विशेषज्ञों ने कंपनी से बिना शुल्क 20 लाख का वाल्व इन मरीजों को दिलवाया।   हृदय रोग विभाग के प्रमुख प्रो.पीके गोयल ने बताया कि नस से वाल्व बदलने की तकनीक को  डाक्टरी भाषा में ट्रांस कैथेटर एरोटिक  वाल्व इंप्लांट कहते है।  इन लोगों में   सर्जरी संभव( हाई रिस्क)  नहीं थी  उनमें वाल्व का इलाज संभव हुअा है।  अागे सभी अायु वर्ग अौर सामान्य लोगों में भी इस तकनीक से वाल्व बदला जाएगा। इन मरीजों में इंटरवेंशन तकनीक से ही वाल्व बदला गया जिसका एरोटिक वाल्व काम नहीं कर रहा था इस परेशानी को एरोटिक स्टोनोसिस कहते हैं।   सामान्य तौर पर वाल्व के खराब होने पर सीने को खोल कर पुराने वाल्व को निकल कर नया वाल्व लगाया जाता है अोपेन सर्जरी के अपने रिस्क है । इस तकनीक में भी एंजियोप्लास्टी की तरह जांघ के पास फीमोरल अार्टरी में मिमी का छेद बना कर अार्टरी के जरिए कैथेटर में वाल्व को लगाकर दिल में डाला जाता है जो वहां पहुंच कर 29 मिमी का वाल्व हो जाता है। यह वाल्व निटिनांल पदार्थ का बना होता है जो पानी में सिकुड जाता है अौर शरीर के तापमान पर फैल जाता है। 

एेसे मरीजों के जीवन दायी साबित होगी नई तकनीक
 अधिक उम्र,  फेफड़े की बीमारीकिडनी की कार्य क्षमता में कमीशरीरिक रूप से कमजोर लोगों में अोपेन सर्जरी संभव नहीं होती एेसे लोगों के वाल्व बदलने में यह तकनीक काफी कारगर साबित होगी। बताया कि उम्र बढ़ने के साथ वाल्व में कैल्शियम जमा हो जाता है जिससे उसके खुलने अौर बंद होने की गति में कमी अा जाती है जिससे दिल में खून भरने लगता है जो हार्ट फेल्योर का कारण बन सकता है। देखा गया है कि 70 की उम्र के बाद तीन से पांच फीसदी लोगों के एअोरटिक वाल्व  के काम में कमी अाती है।   


यह परेशानी तो लें सलाह

वाल्व में परेशानी होने सांस फूलने लगती है कई बार वैठे सांस फूलने लगती है। सीने में दर्द की परेशानी होती है। इस परेशानी का पता इको कार्डियोग्राफी परीक्षण से लगता है।  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें