१० फीसदी औरतों में बीमार शिशु का खतरा
राजधानी के १० फीसदी महिलाओं में है जेनटिक रिस्क फैक्टर
इनसे पैदा हो सकता है बीमार शिशु
पीजीआई सहित पांच संस्थान ने आठ हजार महिलाओं पर किया शोध
कुमार संजय
लखनऊ। हर मां की हसरत होती है कि उसके कोख से स्वस्थ्य और सुंदर शिशु का ही जंम हो लेकिन लखनऊ की १० फीसदी महिलाओं में अनुवांशिकी बीमारी के साथ शिशु के जंम देने वाले रिस्क फैक्टर फैक्टर मौजूद है। संजय गांधी पीजीआई के अनुवांशिकी रोग विभाग की प्रमुख प्रो. शुभा फड़के ने इस तथ्य का खुलासा लखनऊ की २६५८ महिलाओं पर लंबे शोध के बाद किया है। इनकी बात भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने स्वीकार भी किया है। देश में अनुवांशिकी बीमारियों की आशंका की दर का पता लगाने के लिए परिषद ने एम्स दिल्ली, आईसीएमआर रिसर्च सेंटर मुम्बई, सेंट जांस मेडिकल कालेज बंगलौर, एसजीपीजीआई लखनऊ, बी जे मेडिकल पुणे को जिम्मा सौंपा था। पाया कि सभी संस्थानों ने ८३३१ महिलाओं पर शोध किया तो पाया कि देश में १४ फीसदी महिलाओं में एक या अधिक रिस्क फैक्टर मौजूद है। १० फीसदी एक रिस्क फैक्टर पाया गया जबिक ३.५ फीसदी महिलाओं में दो या अधिक रिस्क फैक्टर पाया गया। लखनऊ की १०.३, दिल्ली की ११.३, बंगलौर की १२.६, मुम्बई की २३.३ और पुणे की १९.४ फीसदी महिलाओं में एक या अधिक जेनटिक रिस्क फैक्टर देखा गया है। शोध में लखनऊ सेंटर से प्रदेश की २६५८ महिलाएं शामिल थी जिसमें से १०.३ फीसदी महिलाओं में अनुवांशिकी खतरे की आशंका मिली। अनुवांशिकी विभाग की प्रमुख प्रो. शुभा फड़के के मुताबिक किसी परिवार में यदि अनुवांशिकी बीमारी के साथ शिशु का जंम हुआ हो तो गर्भधारण करने से पहले और गर्भधारण करने के बाद अनुवांशिकी रोग विशेषज्ञों से सलाह लेना चाहिए।
गर्भ में लग सकता है बीमारी की पता
गर्भस्थ शिशु में बीमारी का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड, एमनियोसेंटियोसिस, कोरियोनिक विलस सैप्लिंग जैसी विधियों से लग सकता है। एमनियोसेंटियोसिस विधि में जंम जात विकृति का पता लगाने के लिए गर्भवती महिला के गर्भ से पानी निकाल कर उसका क्रोमोसोम परीक्षण किया जाता है। तमाम बीमारियों का पता इस तकनीक से भी नहीं लगता है।
क्या हो सकती है परेशानी
इस परेशानी की वजह से जंम लेने वाले शिशु में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, थैलेसीमिया , अंगो के बनावटी में विकृति जैसी बीमारियां हो सकती है। इनसे मृत शिशु का जंम हो सकता है। इन्हें स्वत:गर्भपात हो सकता है।
राजधानी के १० फीसदी महिलाओं में है जेनटिक रिस्क फैक्टर
इनसे पैदा हो सकता है बीमार शिशु
पीजीआई सहित पांच संस्थान ने आठ हजार महिलाओं पर किया शोध
कुमार संजय
लखनऊ। हर मां की हसरत होती है कि उसके कोख से स्वस्थ्य और सुंदर शिशु का ही जंम हो लेकिन लखनऊ की १० फीसदी महिलाओं में अनुवांशिकी बीमारी के साथ शिशु के जंम देने वाले रिस्क फैक्टर फैक्टर मौजूद है। संजय गांधी पीजीआई के अनुवांशिकी रोग विभाग की प्रमुख प्रो. शुभा फड़के ने इस तथ्य का खुलासा लखनऊ की २६५८ महिलाओं पर लंबे शोध के बाद किया है। इनकी बात भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने स्वीकार भी किया है। देश में अनुवांशिकी बीमारियों की आशंका की दर का पता लगाने के लिए परिषद ने एम्स दिल्ली, आईसीएमआर रिसर्च सेंटर मुम्बई, सेंट जांस मेडिकल कालेज बंगलौर, एसजीपीजीआई लखनऊ, बी जे मेडिकल पुणे को जिम्मा सौंपा था। पाया कि सभी संस्थानों ने ८३३१ महिलाओं पर शोध किया तो पाया कि देश में १४ फीसदी महिलाओं में एक या अधिक रिस्क फैक्टर मौजूद है। १० फीसदी एक रिस्क फैक्टर पाया गया जबिक ३.५ फीसदी महिलाओं में दो या अधिक रिस्क फैक्टर पाया गया। लखनऊ की १०.३, दिल्ली की ११.३, बंगलौर की १२.६, मुम्बई की २३.३ और पुणे की १९.४ फीसदी महिलाओं में एक या अधिक जेनटिक रिस्क फैक्टर देखा गया है। शोध में लखनऊ सेंटर से प्रदेश की २६५८ महिलाएं शामिल थी जिसमें से १०.३ फीसदी महिलाओं में अनुवांशिकी खतरे की आशंका मिली। अनुवांशिकी विभाग की प्रमुख प्रो. शुभा फड़के के मुताबिक किसी परिवार में यदि अनुवांशिकी बीमारी के साथ शिशु का जंम हुआ हो तो गर्भधारण करने से पहले और गर्भधारण करने के बाद अनुवांशिकी रोग विशेषज्ञों से सलाह लेना चाहिए।
गर्भ में लग सकता है बीमारी की पता
गर्भस्थ शिशु में बीमारी का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड, एमनियोसेंटियोसिस, कोरियोनिक विलस सैप्लिंग जैसी विधियों से लग सकता है। एमनियोसेंटियोसिस विधि में जंम जात विकृति का पता लगाने के लिए गर्भवती महिला के गर्भ से पानी निकाल कर उसका क्रोमोसोम परीक्षण किया जाता है। तमाम बीमारियों का पता इस तकनीक से भी नहीं लगता है।
क्या हो सकती है परेशानी
इस परेशानी की वजह से जंम लेने वाले शिशु में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, थैलेसीमिया , अंगो के बनावटी में विकृति जैसी बीमारियां हो सकती है। इनसे मृत शिशु का जंम हो सकता है। इन्हें स्वत:गर्भपात हो सकता है।
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