शनिवार, 19 अगस्त 2017

पीएचसी -सीएचसी पर फ्री जांच में खेल

फ्री जांच के नाम पर कमाई कृष्णा डायग्नोस्टिक का खेल ...
थ्रीपी मॉडल : रक्त की जांच पर रोक, भुगतान से इन्कार






संदीप पांडेय ’ लखनऊ एनएचएम की मुफ्त पैथोलॉजी जांच सेवा में नियमों की धज्जियां उड़ा दी गईं। कंपनी ने स्टेब्लिसमेंट रिपोर्ट व अनुमति लिए बगैर ही सेंटरों को रन करा दिया। जांच में पर्दाफाश होने पर स्वास्थ्य केंद्रों में पीपीपी मॉडल पर हो रही रक्त की जांच पर तुरंत रोक लगा दी, वहीं कंपनी द्वारा भेजे गए करोड़ों के बिल का भुगतान करने से इंकार कर दिया गया। ऐसे में राज्य में थ्रीपी मॉडल पर शुरू हुई मुफ्त जांच की सेवा धांधली की भेंट चढ़ गई। 1सीएचसी व अस्पताल में करीब 28 रक्त की जांचें मुफ्त करने का फैसला फरवरी 2017 में किया गया था। राज्य की 822 सीएचसी और 95 जिला चिकित्सालयों में मरीजों की जांच के लिए कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर को काम सौंपा गया था। मगर कंपनी ने टेंडर फाइनल होते ही शर्तो की धज्जियां उड़ाना शुरू कर दिया। लखनऊ समेत कई जनपदों में सेंटर खोलकर आननफानन रन करा दिए गए। वहीं स्वास्थ्य विभाग व एनएचएम को सेंटर स्टेब्लिसमेंट रिपोर्ट तक नहीं दी, साथ ही बगैर अनुमति के मरीजों की जांच भी शुरू कर दी। इसके बाद कंपनी ने करीब ढाई करोड़ का बिल बनाकर भी भेज दिया। जांच में खुली अनियमितताओं की परतों पर अधिकारी सकते में आ गए। ऐसे में एनएचएम निदेशक आलोक कुमार व चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. पदमाकर सिंह ने बिना अनुमति शुरू हुए सेंटरों का बिल अवैध करार दिया। दोनों अधिकारियों ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों पर थ्रीपी मॉडल पर जांच बंद करने के निर्देश दिए गए हैं, वहीं कंपनी के बिल को भुगतान करने से इन्कार कर दिया गया। 

गोरखपुर में हेराफेरी, सिद्धार्थनगर में फर्जी जांचें : शिकायत में कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर पर टेंडर लेकर दूसरी कंपनियों को काम देने के आरोप लगाए गए। कहा गया कि गोरखपुर में खुद काम करने के बजाए डॉ. अमित की पैथोलॉजी को काम सौंप दिया गया, वहीं लखनऊ में सौरभ डायग्नोस्टिक सेंटर को जांच को जिम्मा दे दिया। इसके अलावा विक्टोरिया लाइफ केयर को भी काम सौंपने के आरोप हैं। उधर, कंपनी द्वारा भुगतान अधिक लेने के लिए फर्जी जांचें की गईं। सिद्धार्थ नगर के इटवा सीएचसी प्रभारी ने मामला पकड़ने पर सेंटर को चेतावनी दी, मगर सिलसिला नहीं थमा। ऐसे में डॉक्टरों की बगैर सलाह पर बेवजह मरीजों की अतिरिक्त जांच करने पर जुलाई में पर्चा व रिपोर्ट को नत्थी कर उच्चाधिकारियों से लिखित शिकायत की। ऐसे में सेंटरों पर फर्जी जांचें भी की गईं। 


सरकार के ‘लोगो’ का अवैध प्रयोग

कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर ने सरकारी चिन्हों का भी जमकर दुरुपयोग किया। उसने खुद के लेटर पैड पर एनएचएम व यूपी सरकार के लोगो छपवा रखे थे। जिससे वह खुद के सेंटर का समाज के बीच प्रभाव जमा रहा था। जांच में इस करतूत को अवैध करार दिया गया। कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर ने स्टेब्लिसमेंट रिपोर्ट नहीं दी। बगैर अनुमति प्राप्त किए उसने स्वास्थ्य केंद्रों पर सेंटर रन कर मरीजों की जांच शुरू कर दी। इसलिए उसके द्वारा भेजा गया बिल अवैध है। उसका भुगतान नहीं किया जाएगा।

डॉ. पद्माकर सिंह, महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य-  कंपनी का बिल अमान्य है। इसका भुगतान करने का सवाल ही नहीं है। वहीं फिलहाल स्वास्थ्य केंद्रों पर थ्रीपी मॉडल पर रक्त की जांच बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।

आलोक कुमार, निदेशक, एनएचएम ---स्टेब्लिसमेंट रिपोर्ट दिए शुरू किए सेंटर, नहीं ली अनुमति-कंपनी द्वारा भेजा गया करोड़ों का बिल अवैध, फंसा भुगतान

जांच पर सवाल, सेहत से खिलवाड़

सीएचसी पर खोले गए सेंटर पर लैब टेक्नीशियन, एसी व रेफ्रीजरेटर न होने से सैंपल कलेक्शन में एरर हुआ है। वहीं संग्रह किए गए सैंपल को रूम टेंपरेचर में घंटों रखा गया। रेफ्रीजरेटर न होने से उसका कोल्ड चेन मेनटेन नहीं रखा गया। ऐसे में कई घंटे बाद जांच के लिए मशीन में लगाए गए सैंपल की रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में है। पैथोलॉजिस्ट के मुताबिक चार डिग्री तापमान में सैंपल रखकर दो घंटे में ही सैंपल की एनॉलिसस शुरू कर देनी चाहिए। ऐसा न होने से जांच के पैरामीटर सटीक आने में संशय रहता है, जोकि मरीज के सीधे इलाज को प्रभावित करता है।



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