मंगलवार, 8 अगस्त 2017

पूर्वाचल के एक्यूट इंसेफेलाइिटस ग्रस्त 63 फीसद बच्चों में मिला एस टाइफी संक्रमण

एस टाइफी भी एक्यूट इंसेफेलाइिटस का हो सकता है कारण

पूर्वाचल के एक्यूट इंसेफेलाइिटस ग्रस्त 63 फीसद बच्चों में मिला एस टाइफी  संक्रमण

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने कराया कारण जानने के लिए शोध
मिल सकती है एईएस ग्रस्त बच्चों को राहत




कुमार संजय। लखनऊ

पूर्वाचल के बच्चों को बीमार बनाने वाले एक्यूट इंसेफेलाइिटस के एक कारण का पता लगाने में कामयाबी विशेषज्ञों ने हासिल की है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद एक्यूट इंसेफेलाइिटस के कारणों का पता लगाने के लिए शोध कराया जिसमें विशेषज्ञों ने 15 साल से कम उम्र के बच्चों मेें शोध किया तो देखा कि इस परेशानी से ग्रस्त 63 फीसद बच्चों में स्क्रब टाइफी बैक्टीरिया आई जीएम का इंफेक्शन मिला। शोध में शामिल सभी बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइिटस की पुष्टि हो चुकी थी। इस कारण का पता लगने के बाद इस परेशानी से ग्रस्त बच्चों में इस संक्रमण का पता लगा कर इलाज की दिशा तय करने में मदद मिलेगी। उम्मीद है कि इस बैक्टीरिया का इंफेक्शन होने पर इलाज कर बच्चों का जीवन बचाया जा सकता है। शोध की प्रमुख बाबा राघव दास मेडिकल विवि के बाल रोग विभाग की प्रो. महिमा मित्तल ने दूसरे विशेषज्ञों के साथ शोध का खाका तैयार किया जिसमें एक्यूट इंसेफेलाइिटस से ग्रस्त 46 बच्चों अौर 151 सामान्य बच्चों के रक्त का नमूना लेकर स्क्रब टाइफी अाईजीएम अौर अाईजीजी के संक्रमण का अध्ययन किया तो देखा कि एक्यूट इंसेफेलाइिटस से ग्रस्त 63 फीसदी में अाईजीएम पाजिटिव है वही सामान्य बच्चों में से केवल 4.6 फीसदी में पाजिटिव है। स्क्रब टाइफी अाईजीजी में कोई खास अंतर नहीं मिला। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बैक्टीरिया का इंफेक्शन होने पर एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है जिससे इंफेक्शन दूर हो जाता है। 

शोध में यह रहे शामिल
नेशनल इंसटीट्यूट अाफ इपीडिमियोलाजी चेन्नई से डा. जेडब्लू थंगराजन, डा. सीपी गिरीश कुमार, डा. अार सावरीनाथन, डा. एमवी मुरहेकर, सीएमसी वेल्लूर से डा. डब्लू रोस, डा. वीपी वर्गिश, नेशनल इंसटीट्यूट अाफ वायरोलाजी गोरखपुर डा. वी बोनडरी, अाईसीएमअार दिल्ली से डा.  एन गुप्ता शामिल हुए शोध को  इमरजिंग इंफेक्शियस डिजीज जर्नल ने भी स्वीकार किया है। 



यह है एक्यूट इंसेफेलाइिटस के लक्षण
देखा कि एक्यूट इंसेफेलाइिटस ग्रस्त 69.9 फीसद बच्चों में सीजर( मिर्गी जैसा दौरा) , 52.2 फीसद में दिमागी असंतुलन( अल्टर्ड सेंसोरियम) , 37  फीसदी में उल्टी की परेशानी थी।  साथ में बुखार की परेशानी थी। इन बच्चों के सेरीब्रल स्पाइनल फ्लूड में श्वेत रक्त कणिका( डब्लूबीसी)    काउंट 5 मिमी प्रति क्यूबिक से अधिक था। 


52 फीसदी में नहीं चलता है कारण का पता

विशेषज्ञों का कहना है कि एक्यूट इंसेफेलाइिटस के तमाम ममलों में कारण का ही पता नहीं चल पाता है जिसके कारण इलाज की सही दिशा नहीं तय हो पाती है। देखा गया कि मेडिकल कालेज गोरखपुर में अाने वाले इस बीमारी से ग्रस्त 2011-12 में 41.6 फीसदी अौर 2013-14 में 52 फीसदी में कारण का पता नहीं लग पाया। मेडिकल विवि लखनऊ के न्यूरोलाजी विभाग के डा. सौरभ गुप्ता, बीअारडी मेडिकल कालेज गोऱखपुर के डा. राकेश कुमार शाही और डा. पी निगम ने 200 इंसेफेलाइिटस के मरीजों में शोध किया तो देखा था कि 59 फीसदी में कारण का पता नहीं लगा । 20 फीसदी में जापानी इंसेफेलाइिटस था कुछ में ईवी इंसेेफेलाइिटस, एचएसवी, ट्यूबर कुलर ,डेंगू के कारण एक्यूट इंसेफेलाइिटस कारण मिला। सबसे अधिक मामले बस्ती अौर गोरखपुर इलाके से अगस्त से अाने शुरू हुए। इस शोध को इंटरनेशनल जर्नल अाफ साइटफिक स्टडी ने स्वीकार किया।  

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