मंगलवार, 29 अगस्त 2017

सात महीने अौर दो लाख खर्चने के बाद मिली बीमारी की सही जानकारी

सात महीने अौर दो लाख खर्चने के बाद मिली बीमारी की सही जानकारी

प्रोस्टेट कैंसर की परेशानी रीढ़ की हड्डी का हो रहा था इलाज

पीजीआइ ने दिया हारमोन अौर कीमोथिरेपी से मिली राहत


जागरणसंवाददाता। लखनऊ
देवरिया के रहने वाले सैफुद्दीन को बार -बार पेशाब जाने के साथ कमर अौर पीठ में दर्द की परेशानी ने बैचेन कर रखा था। इस दर्द से परेशान हो कर वह 50 हजार महीने की नौकरी छोड़ कर इलाज कराने में जुट गए। सैफुद्दीन के मुताबिक गोरखपुर में नामी डाक्टरों के पास गए किसी ने रीढ़ की हड्डी में नस दबने की परेशानी का इलाज किया । कभी हड्डी रोग विशेषज्ञ के पास भेज दिया। थाक हार डाक्टरों ने न्यूरो सर्जन के पास भेज दिया । न्यूरो स्रजन ने डेट भी दे दी लेकिन रक्त दाब बढने के कारण अापरेशन चल गया। परेशानी के साथ सात महीने घूमने के बाद जब परेशानी दूर नहीं हुई तो किसी ने संजय गांधी पीजीआइ के न्यूरो सर्जरी विभाग के पूर्व प्रमुख प्रो.डीके छाबडा से सलाह लेने को कहा । सैफुद्दीन प्रो.छाबडा के पास गए तब उन्होंने कहा कि समस्या रीढ़ की हड्डी  की नहीं प्रोस्टेट की है । पीजीआइ रिफर कर दिया। पीजीआइ के यूरो लाजिस्ट प्रो. संजय सुरेखा ने पीएसए रिपोर्ट देखा जो कि 65 था देखते ही प्रोस्टेट की बायोप्सी किया जिसमें पता चला कि सैफुद्दीन को प्रोस्टेट कैंसर की परेशानी है जो हड्डी तक फैल चुकी है। प्रो.सुरेखा ने इलाज शुरू किया मई 2017 से इलाज चल रहा है । अाज फालोअप पर अाए सैफुद्दीन ने कहा कि अब उन्हे 75 फीसदी तक अाराम है। प्रो.सुरेखा ने बताया कि तमाम जांच के बाद टेस्टोरान हारमोन ब्लाक करने की दवा के साथ डाक्सीटेक्सिन कीमोथिरेपी दी जा रही है जिससे अाराम है। अगे इनका अंडकोश निकाल दिया जाएगा जिसके बाद टेस्टोट्रान ब्लाक करने की दवा की जरूरत नहीं पडेगी। 

पेशाब में परेशानी तो यूरोलाजिस्ट से भी लें सालह

प्रो. संजय सुरेखा ने बताया कि पेशाब में रूकावट, पूरा पेशाब न होना  या बार -बार पेशाब करने जाना पड़ता है तो इसका मतलब है कि पेशाब के रास्ते में रूकावट है तो यह यूरोलाजिकल परेशानी हो सकती है खास तौर उम्र 50 से अधिक होने पर पीएसए की जांच करानी चाहिए। सैफुद्दीन के मामले में पीएसए की जांच तो हुई लेकिन इस रिपोर्ट पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। प्रो. छाबडा सर ने इसे देखते ही रिफर कर दिया।   

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