सोमवार, 24 जुलाई 2023

विकास की प्राथमिकता है जरूरी --गडे मुर्दे उखाड़ने से किसका होगा भला

 







जब कानून बन गया कि अयोध्या के छोड़ कर तमाम धर्म स्थल की स्थिति 1947 की होगी तो तमाम ध्रर्म स्थान के मुंद्दे उठाना ,,,,,क्या है......... इसका मतलब तो यही है कि .......... कानून .......................

किसी भी आगे बढ़ते देश के लिए जरूरी होता है कि वह गड़े मुर्दे उखाड़ने और अतीत के प्रेतों से उलझने में अपनी ऊर्जा लगाने के बजाय भविष्य की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित रखे और अतीत के अपने अनुभव का इस्तेमाल उन चुनौतियों से निपटने में ही करे। यही सुनिश्चित करने के लिए 1991 में यह कानून लाया गया था कि अयोध्या मामले को छोड़कर देश के तमाम धर्मस्थलों के बारे में 1947 के स्टेटस को अंतिम मान लिया जाए। उसमें किसी तरह के बदलाव की बात न की जाए। जरूरी है कि इस कानून में लूपहोल ढूंढकर इसे नाकाम करने के बजाय हम इसकी भावना का सम्मान करें और धर्मस्थलों के अतीत से जुड़े विवादों को अतीत मान लें। एक देश और समाज के रूप में हमें अपनी प्रायॉरिटी तय करने का न केवल अधिकार है बल्कि अपने विकास की दशा और दिशा तय करने के लिहाज से यह एक अहम जिम्मेदारी भी है। आजादी के बाद से ही विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा अपना देश इस सिलसिले को बनाए रखे और आने वाले दिनों में विकास की रफ्तार को यथासंभव तेज करते हुए दुनिया के अग्रणी देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलता रहे, इसके लिए जरूरी है कि वह अपनी प्रायॉरिटी न बिगड़ने दे। ( साभार नवभारत टाइम्स)

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