हेपेटाइटिस बी का टीका तो क्यों लें रिस्क
छिपा हेपेटाइटिस वायरस लिवर को कर सकता है खोखला
समय पर इलाज लेने से लीवर को बचाना संभव
विश्व हेपेटाइटिस जागरूकता दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम
विश्व हेपेटाइटिस जागरूकता दिवस( 28 जुलाई) के मौके पर संजय गांधी के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर विभाग के प्रमुख प्रो. यूसी घोषाल, प्रो, गौरव पाण्डेय और डा. आकाश माथुर ने बताया कि इस वायरस के संक्रमण से सजग रहने की जरूरत है। हेपेटाइटिस ए और बी के लिए वैक्सीन मौजूद है जबकि हेपेटाइटिस सी के लिए कोई वैक्सीन नहीं है। तीनों ही वायरस से बचने के लिए आपको समय-समय हेपेटाइटिस का टेस्ट कराना चाहिए। किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। अगर आप हेपेटाइटिस पॉजिटिव हैं, तो आपको इसका पूरा इलाज कराना चाहिए। विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में हेपेटाइटिस बी से संक्रमित 4 करोड़ लोग और हेपेटाइटिस सी से संक्रमित लगभग 1.2 करोड़ लोग हैं। , हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित 90 फीसदी से अधिक लोगों को पता नहीं है कि वे संक्रमित हैं क्योंकि लक्षण रोग के बहुत बाद के चरण में दिखाई देते हैं। वायरस बिना किसी लक्षण के वर्षों तक यकृत को चुपचाप क्षति पहुंचा सकता है। समय पर संक्रमण का निदान, निगरानी और उपचार नहीं किया जाता है, गंभीर जानलेवा जिगर की बीमारी हो सकती है। भारत सरकार भी इस प्रयास में शामिल हुई और पिछले साल राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया। मेडिकल सोशल सर्विस ऑफिसर रमेश कुमार ने बताया कि इस परेशानी से ग्रस्त लोगों को हर 6 माह बाद फालोअप के लिए बुलाते है। फालोअप पर हमेशा रहना चाहिए । वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी टीएस नेगी ने बताया कि फाइब्रोस्कैन से लिवर की स्थिति का पता लगता है। इंग्लैंड से भारत शोध करने आई सुश्री एरिका ने भी इस गोष्ठी में भाग लिया तथा मरीज़ों से संवाद किया । इस अवसर पर डॉ. अंकुर यादव एवं डॉ. पीयूष मिश्रा भी उपस्थित रहे।
यह हो सकती है परेशान
-बुखार
-थकान
-भूख न लगना
-मतली
-उल्टी
-पेट में दर्द
-गहरे रंग का पेशाब
-हल्के रंग का मल
-जोड़ों का दर्द
-पीलिया
उत्तर भारत से अकेले पीजीआई का नाम है। दो अन्य प्रयोगशाला हेपेटाइटिस बी साइलेंट किलर है, बचाव के लिए जरूर कराएं वैक्सीनेशन
-विश्व हेपेटाइटिस जागरूकता दिवस
-गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. यूसी घोषाल ने कहा, हेपेटाइटिस वायरस लिवर को कर सकता है खराब
-समय पर जांच और इलाज जरूरी, हेपेटाइटिस ए व बी से बचाव के लिए कराएं वैक्सीनेशन
जागरण संवाददाता, लखनऊः हेपेटाइटिस ए और बी साइलेंट किलर की तरह लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। कई बार तो मरीज की हालत बिगड़ने पर ही इस बीमारी का पता चलता है। वैसे तो हेपेटाइटिस के अधिकांश मामले खून की जांच के दौरान या किसी अन्य समस्या की जांच कराने पर सामने आते हैं। इसलिए इस बीमारी को लेकर सतर्कता बहुत जरूरी है। गुरुवार को ये जानकारी विश्व हेपेटाइटिस जागरूकता दिवस के मौके पर एसजीपीजीआइ में आयोजित कार्यक्रम में गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. यूसी घोषाल ने दी। उन्होंने कहा, दोनों संक्रमण से बचने के लिए जागरूकता और टीकाकरण बेहद जरूरी है।
समय पर जांचें कराएं
प्रो. घोषाल ने बताया कि इसका संक्रमण लिवर को खराब कर देता है। हेपेटाइटिस ए और बी के लिए तो वैक्सीन मौजूद है, लेकिन हेपेटाइटिस सी का कोई टीका नहीं आया है। तीनों ही वायरस से बचने के लिए आपको समय-समय हेपेटाइटिस का टेस्ट कराना चाहिए। किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। किसी मरीज को अपनी मर्जी से दवा बंद नहीं करना चाहिए बल्कि, इस संक्रमण को खत्म करने के लिए पूरा इलाज जरूरी है। उन्होंने कहा, भारत में हेपेटाइटिस बी के चार करोड़ और हेपेटाइटिस सी के एक करोड़ से ज्यादा मरीज हैं। खास बात यह है कि हेपेटाइटिस बी और सी के 90 प्रतिशत मरीजों को पता ही नहीं चल पाता कि वे इस खतरनाक बीमारी की चपेट में हैं। दरअसल, यह वायरस बिना किसी लक्षण धीरे-धीरे लिवर को नुकसान पहुंचाता है।
बाहर के खाने से करें परहेज
विभाग के डा. गौरव पांडेय के मुताबिक, अगर समय पर इस बीमारी का पता न चले तो मरीज की जान को खतरा हो सकता है। फास्ट फूड का इस्तेमाल करने से बचें और साफ पानी पीएं। खासकर, बारिश के मौसम में बाहर के खाने से परहेज करें। इससे संक्रमण का खतरा होता है। मेडिकल सोशल सर्विस आफिसर रमेश कुमार ने बताया कि भारत सरकार ने पिछले साल राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया। इस बीमारी की मरीज को प्रत्येक छह माह बाद बुलाया जाता है। वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी टीएस नेगी ने बताया कि फाइब्रोस्कैन से लिवर की स्थिति का पता लगता है। वहीं, डा. आकाश माथुर का कहना है कि इसे काला पीलिया भी कहा जाता है। हेपेटाइटिस के कुछ लक्षण जैसे भूख कम होना, थोड़ा काम करने पर ही थकान महसूस होना, आंखो में पीलापन, त्वचा में भी पीलापन आदि हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेना जरूरी है। इस मौके पर वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी टीएस नेगी समेत नर्सिंग स्टाफ भी मौजूद रहा।
ये हैं प्रमुख लक्षण
-बुखार
-थकान
-भूख न लगना
-मतली
-उल्टी
-पेट में दर्द
-गहरे रंग का पेशाब
-हल्के रंग का मल
-जोड़ों का दर्द
-पीलिया भारत में एनआईएमएचएएनएस बंगलुरू और स्थितआईसीएमआर-एनआईटीएमए बेलगावी कर्नाटक में स्थापित होंगी। प्रयोगशाला विकसित करने के लिए संस्थान को चार करोड़ का बजट मिलेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें