शनिवार, 26 जुलाई 2025

पीजीआई हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए तैयार

 

कार्डियोवैस्कुलर सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस समारोह 


पीजीआई हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए तैयार


कैडेवर हार्ट मिलते ही करेंगे ट्रांसप्लांट, तीन मरीजों को है इंतजार



संजय गांधी पीजीआई के कार्डियोवैस्कुलर सर्जरी विभाग ने हार्ट ट्रांसप्लांट की पूरी तैयारी कर ली है। विभाग के स्थापना दिवस के मौके पर विभागाध्यक्ष प्रो. एस.के. अग्रवाल ने बताया कि ट्रांसप्लांट के लिए कैडेवर हार्ट यानी मस्तिष्क-मृत व्यक्ति का स्वस्थ दिल जरूरी होता है। जैसे ही ऐसा हार्ट उपलब्ध होगा, ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। फिलहाल तीन मरीज प्रतीक्षा सूची में हैं।


प्रो. अग्रवाल ने बताया कि हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए ऐसा दिल चाहिए जो कम से कम 90 फीसदी तक कार्यरत हो। पहले हार्ट सर्जरी के लिए मरीजों को एक साल तक का इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब यह अवधि घटकर छह महीने रह गई है। विभाग में इस समय तीन ऑपरेशन थिएटर क्रियाशील हैं और दो नए ओटी जल्द ही शुरू होने वाले हैं। वर्तमान में हर महीने 80 से 85 सर्जरी की जा रही हैं, जिसे बढ़ाकर 150 तक पहुंचाने का लक्ष्य है।


संकाय विस्तार की तैयारी, बढ़ेगी सर्जरी की रफ्तार


प्रो. अग्रवाल ने बताया कि सर्जरी की संख्या बढ़ाने के लिए संकाय सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। अभी विभाग में पांच संकाय सदस्य हैं। 11 नए पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं और उम्मीद है कि जल्द तीन नए विशेषज्ञ मिल जाएंगे, जिससे सर्जरी की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।


मिनिमल इनवेसिव और रोबोटिक सर्जरी से घटी मृत्यु दर


विभाग में मिनिमल इनवेसिव और रोबोटिक सर्जरी तकनीकें तेजी से अपनाई जा रही हैं। इससे जटिलताएं कम हुई हैं और मृत्यु दर भी घटी है। पहले जहां मृत्यु दर 10 प्रतिशत से अधिक थी, अब यह घटकर केवल 2 प्रतिशत रह गई है। यह सुधार तकनीकी उन्नति और टीम की कार्यक्षमता से संभव हुआ है।


स्वदेशी रोबोट से सर्जरी में आएगा और सुधार


प्रो. अग्रवाल ने कहा कि विभाग को एक अलग सर्जिकल रोबोट की जरूरत है। इसके लिए भारत में विकसित एसएसआई मंत्रा रोबोट को लेने पर विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी उपयोग कर सर्जरी प्रक्रिया को और सटीक और सुरक्षित बनाया जाएगा।


चार प्रमुख सर्जरी होती हैं विभाग में


कार्डियोवैस्कुलर सर्जरी विभाग में मुख्य रूप से चार तरह की सर्जरी होती हैं जिसमें


 बच्चों की दिल की जन्मजात बनावट की सर्जरी। 

 बच्चों के दिल की खराबी की सर्जरी। कोरोनरी आर्टरी डिजीज के मरीजों में

बायपास सर्जरी।

हार्ट फेल्योर के मरीजों में वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस लगाने की प्रक्रिया

हालांकि, प्रो. अग्रवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल अस्थायी समाधान है। हार्ट ट्रांसप्लांट ही इन मरीजों के लिए स्थायी इलाज है।

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