90% लोग माइग्रेन और साइनस में फर्क नहीं कर पाते
60% लेते हैं गलत इलाज
सिरदर्द की अनदेखी से बढ़ रही की परेशानी
कुमार संजय
क्या आपका सिरदर्द अक्सर लौटकर आता है? क्या आप इसे साइनस समझकर नाक की दवा ले रहे हैं या माइग्रेन की गोली खा रहे हैं? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। संजय गांधी पीजीआई में सिर दर्द की परेशानी के साथ आने वाले मरीजों पर सर्वे से पता लगा कि 90%
लोग माइग्रेन और साइनस हेडेक के बीच फर्क नहीं कर पाते, और लगभग 60% लोग गलत इलाज लेते हैं। इससे समय, पैसा और स्वास्थ्य तीनों की हानि होती है।
माइग्रेन और साइनस हेडेक: फर्क समझें
संजय गांधी पीजीआई के न्यूरोलॉजिस्ट प्रोफेसर रुचिका टंडन का कहना है कि माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है जिसमें सिर के एक ओर धड़कन जैसा दर्द होता है। यह कई घंटों से लेकर 72 घंटे तक चल सकता है और इसमें मतली, उल्टी, तेज़ रोशनी व आवाज से संवेदनशीलता और कुछ मामलों में ऑरा (दृश्य आभास) हो सकता है। यह तनाव, नींद की कमी और कुछ खाद्य पदार्थों से ट्रिगर होता है।
हेड एंड नेक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अमित केसरी का कहना है कि
साइनस हेडेक आमतौर पर साइनस संक्रमण या सूजन के कारण होता है। यह माथे, गाल या आंखों के पीछे दबाव जैसा दर्द देता है, जो झुकने या लेटने पर बढ़ जाता है। इसके साथ नाक बंद, स्राव और बुखार जैसे लक्षण होते है।
चिंताजनक आंकड़े:
भारत में 10 करोड़ से अधिक माइग्रेन पीड़ित हैं।
हर 4 में से 3 माइग्रेन मरीज साइनस समझकर इलाज शुरू करते हैं।
करीब 40% साइनस मरीज माइग्रेन की दवा लेते हैं।
यह परेशानी तो सतर्क
विशेषज्ञों के अनुसार, सिरदर्द का बार-बार होना, खासतौर पर जब वह रोशनी, आवाज या झुकने से बिगड़े, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। माइग्रेन और साइनस का लक्षण भले ही मिलता-जुलता हो, लेकिन इलाज अलग है।


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