पीजीआई की नई थेरेपी से किडनी फेल होने की रफ्तार थमी
कांबिनेशन थिरेपी से मरीजों को 2-3 साल तक डायलिसिस से राहत
कुमार संजय
क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के बढ़ते मामलों के बीच संजय गांधी पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग ने एक नई कंबिनेशन थिरेपी विकसित की है, जिससे मरीजों को डायलिसिस की जरूरत टालने में 2 से 3 साल तक की राहत मिल रही है। यह थेरेपी 200 से ज्यादा मरीजों पर सफल साबित हो चुकी है।
अब तक क्रिएटिनिन का स्तर 3 से 5 तक पहुंचने में जहां एक साल लगता था, वहीं यह थिरेपी उस प्रक्रिया को धीमा कर देती है। मरीजों को समय पर इलाज मिलने पर डायलिसिस को वर्षों तक टालना संभव हो सकता है।
कैसे काम करती है यह थेरेपी
नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. नारायण प्रसाद और प्रो. रवि शंकर कुशवाहा के अनुसार, इस थिरेपी में चार से पांच दवाओं का संयोजन किया गया है:
आर-ए-एस इनहिबिटर (रेनिन-एंजियोटेंसिन सिस्टम अवरोधक)
एसजीएलटी-2 इनहिबिटर (सोडियम-ग्लूकोज को-ट्रांसपोर्टर टाइप-2 अवरोधक)
फिनेरेनोन (गैर-स्टेरॉयड मिनरल कोर्टिकोइड रिसेप्टर विरोधी)
सेमाग्लूटाइड (ग्लूकागन जैसे पेप्टाइड रिसेप्टर एगोनिस्ट)
मरीज को प्रोटीन की मात्रा 0.8 ग्राम/किलो वजन प्रतिदिन तक सीमित रखनी होती है। इसके साथ ही रक्तचाप 130/80 मिमी पारे से कम और एचबीए1सी 7% से नीचे बनाए रखना जरूरी होता है।
क्या है बीमारी की स्थिति?
प्रो. नारायण के मुताबिक देश की 10% से ज्यादा आबादी किसी न किसी रूप में किडनी की बीमारी के जोखिम में है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अधिक प्रोटीनयुक्त खानपान इसके प्रमुख कारण हैं। अक्सर यह बीमारी लक्षणहीन होती है और अंतिम चरण में पता चलती है।
बचाव कैसे करें?
हर 6 महीने में जीएफआर (ग्लोमेर्युलर फिल्ट्रेशन रेट) की जांच
पेशाब में प्रोटीन की जांच, खासकर डायबिटीज और बीपी के मरीजों में
प्रोटीन सप्लीमेंट और नमक से परहेज
मधुमेह और बीपी का सख्त नियंत्रण
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और समय-समय पर जांच
> "यह कंबिनेशन थिरेपी मरीजों के लिए एक नई उम्मीद है। समय पर इलाज मिलने से डायलिसिस को वर्षों तक टाला जा सकता है।"
— प्रो. नारायण प्रसाद, विभागाध्यक्ष, नेफ्रोलॉजी, एसजीपीजीआई

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