मंगलवार, 22 जुलाई 2025

कोहनी के जटिल फ्रैक्चर में राहत बन रही नई तकनीक आर्क फिक्सेटर











कोहनी के जटिल फ्रैक्चर में राहत बन रही  नई तकनीक आर्क फिक्सेटर


पीजीआई की नई तकनीक  प्लास्टर से मुक्ति और जल्दी मूवमेंट की आज़ादी


कुमार संजय


बच्चों की कोहनी की हड्डी में गंभीर और जटिल फ्रैक्चर  सुप्राकॉन्डाइलर फ्रैक्चर  के इलाज में लखनऊ के डॉक्टरों ने एक नई उम्मीद जगाई है। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) के अपेक्स ट्रामा सेंटर स्थित आर्थोपेडिक्स विभाग के विशेषज्ञों ने "आर्क फिक्सेटर"  नामक नई तकनीक विकसित की है, जो पारंपरिक पिनिंग  और प्लास्टर  पद्धति की तुलना में अधिक प्रभावशाली साबित हो रही है।


बिना प्लास्टर के इलाज, नसों की आसान निगरानी


यह तकनीक हड्डी को स्थिर रखने के साथ-साथ ऑपरेशन के बाद नसों और रक्त प्रवाह की जांच की सुविधा देती है। सबसे खास बात यह है कि इसमें प्लास्टर की आवश्यकता नहीं होती, जिससे बच्चों को कोहनी की स्टिफनेस  जैसी जटिलता से राहत मिलती है और जल्दी फिजियोथेरेपी  शुरू की जा सकती है।


जल्दी लौटती है कोहनी की गतिशीलता


आर्क फिक्सेटर  एक एक्सटर्नल फिक्सेशन सिस्टम  है, जिसमें मरीज की मूवमेंट  पर कोई प्रतिबंध नहीं रहता। इससे हड्डी जल्दी जुड़ती है और बच्चों को कोहनी के सामान्य उपयोग की स्वतंत्रता शीघ्र मिलती है।


प्रारंभिक परिणाम उत्साहजनक


पीजीआई के डॉक्टरों ने 6 से 12 वर्ष की उम्र के 10 बच्चों पर इस तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया।


इनमें से 6 बच्चों के फ्रैक्चर  हाथ में थे।


एक मरीज में फ्लेक्शन चोट के कारण अस्थायी अल्नर नर्व पल्सी पाई गई, जो तीन महीने में खुद ठीक हो गई।


तीन बच्चों में चोट के कारण नर्व्स  – मीडियन व अल्नर नर्व  प्रभावित थीं, जो बिना किसी सर्जिकल इंटरवेंशन  के स्वतः स्वस्थ हो गईं।


6 सप्ताह में सभी की हड्डी जुड़ गई और 3 महीने में अधिकतर बच्चों का हाथ सामान्य रूप से काम करने लगा।



विशेषज्ञों की राय


विशेषज्ञों के अनुसार, बड़े बच्चों में जटिल सुप्राकॉन्डाइलर फ्रैक्चर की स्थिति में यह तकनीक इलाज को अधिक सुरक्षित और कारगर बनाती है। भविष्य में यह पद्धति व्यापक रूप से अपनाई जा सकती है।


यह शोध यहां हुआ स्वीकार 


इस शोध को जर्नल ऑफ क्लीनिकल ऑर्थोपेडिक्स एंड रिसर्च ने हाल ही में स्वीकार किया है। जिसमें यह 


शोधकर्ता शामिल हुए।


डॉ. अमित कुमार, डॉ. कुमार केशव, डॉ. अनुराग बघेल, डॉ. पुलक शर्मा – ऑर्थोपेडिक्स विभाग, पीजीआई एपेक्स ट्रॉमा सेंटर 

डॉ. अनूप राज सिंह – शेखुलहिंद मौलाना महमूद हसन मेडिकल कॉलेज, सहारनपुर,

डॉ. आलोक राय – ऑर्थोपेडिक्स विभाग, बीएचयू, वाराणसी





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