बस एक स्कैन की दूरी पर
अंगदान अभियान को मिलेगा पहिए की ताकत और तकनीकी बढ़त
वैन उत्तर प्रदेश भर में यात्रा करेगी, अंगदान प्रतिज्ञाओं के लिए एक-स्टॉप समाधान के रूप में भी काम करेगी
कुमार संजय
कभी किसी की जिंदगी को बचाने का सबसे बड़ा अवसर हमारे पास से यूं ही निकल जाता है — शायद जानकारी के अभाव में, या प्रक्रिया की जटिलता के कारण लेकिन अब यह बदलाव की शुरुआत है।
लोग जल्द ही अंगदान के लिए खुद को रजिस्टर कर सकेंगे केवल एक क्यूआर कोड को स्कैन करके। एक विशेष रूप से सुसज्जित वैन पर, जिसे 3 अगस्त अंगदान दिवस के अवसर पर लॉन्च किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (सोटो यू पी) ने यह सराहनीय पहल शुरू की है ताकि अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके और इसकी पंजीकरण प्रक्रिया को सरल, सुलभ और आमजन के लिए सहज बनाया जा सके।
यह वैन, जो पूरे उत्तर प्रदेश में यात्रा करेगी, न केवल जागरूकता फैलाने के लिए डिज़ाइन की गई है, बल्कि यह उन हज़ारों ज़िंदगियों की उम्मीद भी बन सकती है जिन्हें समय पर एक अंग की दरकार होती है। यह अब अंगदान पंजीकरण के लिए एक समर्पित समाधान के रूप में कार्य करेगी।
वैन में एक बिल्ट-इन स्कैनर सिस्टम है, जिससे लोग केवल एक क्यूआर कोड स्कैन करके कुछ ही क्षणों में अंगदान की प्रतिज्ञा कर सकेंगे — वह भी बिना किसी पेपरवर्क या लंबी प्रक्रिया के।
यह नवाचार प्रयास संजय गांधी पीजीआई के अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक और सोटो यूपी के प्रमुख प्रोफेसर राजेश हर्षवर्धन द्वारा शुरू की गई कई जनहितकारी पहलों का हिस्सा है। बताया कि लगातार प्रस्तावों और उच्च स्तरीय बैठकों के माध्यम से केंद्रीय अनुमोदन प्राप्त किया है, और यह पहल राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित हो रही है।
इस वैन के निर्माण के लिए ₹51.85 लाख की स्वीकृति दी गई है — एक ऐसी वैन जो केवल सड़क पर नहीं दौड़ेगी, बल्कि किसी के दिल की धड़कन, किसी की सांसों और किसी की उम्मीद को भी आगे बढ़ाएगी। इस जागरूकता वैन के जरिए लोगों में अंगदान के प्रति जागरूकता से कोई मां, पिता या बच्चा सिर्फ एक अंग की कमी से जीवन की दौड़ से बाहर न हो जाए। यह वैन न सिर्फ जागरूकता के काम करेगा साथ ही संग्रहीत अंगों के सुरक्षित परिवहन और प्रदेश के शहरों और कस्बों में प्रतिज्ञा ड्राइव्स के संचालन में किया जाएगा।
इस वैन में मौजूद क्यूआर-कोड स्कैनिंग प्रणाली लोगों को कुछ ही सेकंड में अंगदान के लिए अपनी प्रतिज्ञा दर्ज करने की सुविधा देती है।
"यह एक तकनीकी रूप से उन्नत, उपयोगकर्ता-अनुकूल पहल है, जो अंगदान में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
किडनी ट्रांसप्लांट की स्थिति
नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो नारायण प्रसाद के मुताबिक
प्रदेश में लगभग 50,000 रोगियों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है ।
लगभग 40,000 मरीज डायलिसिस पर हैं, जिनमें से 40‑50 फीसदी यानी करीब 20,000–25,000 मरीज प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे हैं ।
सरकारी अस्पतालों में प्रतिवर्ष केवल 350–400 किडनी ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं ।
बाक्स
67 फीसदी में होता है ब्रेन डेथ
प्रो. हर्ष वर्धन का कहना है कि प्रदेश में मृत्य 25000 प्रति वर्ष रोड एक्सीडेंट से जिसमें 67 फीसदी का ब्रेन डेथ होता यदि यह अंगदान करें तो अंगों की कमी काफी दूर हो सकती है।
पीजीआई में वेटिंग
किडनी ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा कर रहे मरीजों की संख्या (केवल सक्रिय उम्मीदवार) – 241
लिवर प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे सक्रिय मरीजों की संख्या: 57


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