सोमवार, 31 जुलाई 2023

पीजीआई मरीजों को लिफ्ट देने वाले अवधेश दुबे के स्वागत में उमड़ पड़ी पूरी कालोनी

 पीजीआई मरीजों को लिफ्ट देने वाले  अवधेश दुबे के स्वागत में उमड़ पड़ी पूरी कालोनी





अक्सर  कालोनियों में देखा गया है कि  लोग अपने अगल- बगल में रहने वाले के बारे में कई बार जानते तक नहीं है,,,, ऐसे में पूरी कालोनी किसी के स्वागत के लिए उमड़ पडे यह साबित करता है वह व्यक्ति कितना सामाजिक और मददगार होगा सेवा के अंतिम दिन घर पहुंचने पर,,, देख पूरी कॉलोनी के लोग हुए भावुक।  सम्मान में लोगों ने ढोल मजीरा के साथ साथ कॉलोनी के लोगों ने स्वागत के साथ ही ........ पार्क में रामायण का आयोजन भी किया। 


संजय गांधी पीजीआई विद्युत अभियंत्रण में लिफ्ट ऑपरेटर से सेवानिवृत्त अवधेश दुबे के लिए सोमवार का दिन एक मिसाल से कम नहीं था जहां एक तरफ अधिकांश अस्पतालों में  आए दिन तीमारदारों व मरीजों को परे शानी की हालत में कर्मचारियों की बीच झगड़ा मारपीट,  जैसी कई बातें सुनने को आती है वहीं पीजीआई में सोमवार को लिफ्ट ऑपरेटर से सेवानिवृत्त होने के दिन अवधेश दुबे के काम की प्रशंसा अधिकारी व कर्मचारियों ने पीजीआई कैंपस में तो की ही गई साथ साथ  उनके निवास स्थित साउथ सिटी कालोनी  वासियों ने भी की। लोगो के लिए अवधेश दुबे मदद करने वाले एक मसीहा से कम नहीं दिखाई दिए जैसे ही उनकी विदाई का समय लोगों को मालूम चला तो कॉलोनी के वृद्ध लोगो के साथ पुरुष, बच्चे महिलाएं अपने को रोक नहीं पाए ढोल मजीरे लेकर साउथ सिटी कॉलोनी में इकट्ठा हो गए जैसे ही दिनेश  वहां आए लोगो ने भावुक होकर स्वागत करते हुए  फूलों की माला पहनाई और उन्हें बधाई दी।

रामायण का किया आयोजन

साउथ सिटी रत्नाकर खंड के लोगों ने अवधेश दुबे के पीजीआई से सेवानिवृत्त होने को लेकर घर के बाहर बने एक मंदिर में रामायण पाठ का आयोजन किया जैसे ही अवधेश कुमार वहां पहुंचे तो वह भी लोगो का प्यार देख भावुक हो उठे और कॉलोनी के बड़े बूढ़ों सहित अपने मित्रों को गले लगा कर उनके इस सम्मान का आभार प्रकट किया।



उखड़ती सांस की डोर से कई लोगों कि मदद कर दिया था जीवनदन।

भले ही अवधेश दुबे पीजीआई में एक लिफ्ट आपरेटर के रूप में कार्य करते थे लेकिन उनकी सोच एक अलग थी वह किसी भी मरीज व तीमारदार की मदद करने के लिए तुरंत आ जाते थे आगर कहीं से भी फोन आता था तो वह तुरंत मदद कर उसे वहां इलाज करवाते थे । कॉलोनी में रहने वाले उनके मित्र नुरुल हुदा ने बताया कि हमारे रिश्तेदार हलीमून काफी बीमार पड़ गए मैंने हर जगह प्रयास किया लेकिन कहीं एडमिट नहीं हो पाया फिर मैंने अवधेश जी से कहा तो उन्होंने पीजीआई में इलाज अब  पूरी तरह स्वस्थ है। कलावती ,सामिया, दिनेश कुमार सहित दर्जनों लोगों को अपने कार्यकाल में उन्होंने मुसीबत की घड़ी में इलाज कराया।

आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन संबंधी रिपोर्ट लागू करने उप मुख्यमंत्री से मिल कर ज्ञापन ज्ञापन

 


आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन संबंधी रिपोर्ट लागू करने   उप मुख्यमंत्री से मिल कर ज्ञापन ज्ञापन

 

किंग जार्ज मेडिकल विवि, संजय गांधी पीजीआई ,  लोहिया संस्थान और कैंसर संस्थान में सेवा दे रहे है आउट सोर्स कर्मचारियों के  वेतन निर्धारण की मांग उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से संयुक्त आउट सोर्स –संविदा कर्मचारी संघ ने किया है। महामंत्री सचितानंद मिश्रा ने बताया कि उप मुख्यमंत्री के निर्देश पर वेतन निर्धारण समिति का गठन महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के अध्यक्षता में किया गया था । समिति ने रिपोर्ट शासन को भेज दिया है। मांग किया है कि उक्त रिपोर्ट को लागू किय़ा जाए जिससे इन 20 हजार कर्मचारियों का जीवन यापन संभव हो सके।  संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने आउट सोर्स कर्मचारियों के लिए निति के आलावा कार्य के अनुसार वेतन का निर्देश भी दिया है जिसे लागू किया जाए। कहा था कि न्यूनतम वेतन क्यों कार्य के अनुसार वेतन होना चाहिए। हम लोग नियमित कर्मचारियों के बराबर काम करते है लेकिन वेतन दसवां हिस्सा मिलता है। 

रविवार, 30 जुलाई 2023

ब्रेन डेड व्यक्ति ने दो मरीजों को दिया नया जीवन

 ब्रेन डेड व्यक्ति ने दो मरीजों को दिया नया जीवन




-ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीजीआई भेजा गया गुर्दा
 -पीजीआई और अपोलो मेडिक्स में एक-एक मरीजों को किया गया गुर्दा प्रत्यारोपणत



ब्रेन डेड घोषित व्यक्ति ने जिंदगी की जंग लड़ रहे दो मरीजों को नया जीवन दिया है। महिला के परिजनों की सहमति पर पीजीआई और अपोलो मेडिक्स में एक-एक मरीज को गुर्दा प्रत्यारोपित किया गया। डॉक्टरों का दावा है कि प्रत्यारोपण के बाद दोनों मरीज ठीक हैं। शनिवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे अपोलो मेडिक्स से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पुलिस को निगरानी में एम्बुलेंस से डॉक्टरों को मौजूदगी में गुर्दा पीजीआई भेजा गया। एम्बुलेंस को अपोलो मेडिक्स से पीजीआई की करीब 10 किमी की दूरी तय करने में करीब नौ मिनट लगे। 
पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि शनिवार को अपोलो मेडिक्स हॉस्पिटल में ब्रेनडेड व्यक्ति की जानकारी होने पर आनन फानन गुर्दा प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में शामिल मरीजों को बुलाया गया। उनकी जांचें करायी। इसमें रायबरेली की 61 वर्षीय महिला मरीज का गुर्दा उससे मेल खाया। संस्थान के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एमएस अंसारी और डॉ. संजय सुरेखा व नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद व उनकी टीम के निर्देशन में मरीज का सफल गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया। क्रॉनिक किडनी डिजीज से पीड़ित मरीज का पीजीआई में लम्बे समय से इलाज चल रहा था। डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि एक गुर्दा अपोलो मेडिक्स में एक मरीज को प्रतयारोपित किया गया। 61 वर्षीय व्यक्ति के हादसे में घायल होने पर दो दिन पहले ओपोलो मेडिक्स अस्पताल में गंभीर अवस्था में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार देर रात व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित किया गया। परिवार की सहमति पर अंगदान का निर्णय लिया गया। पीजीआई स्थित स्टेट आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) की सहमति पर ब्रेन डेड व्यक्ति का गुर्दा ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीजीआई भेजा गया।


पीजीआई के अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख व स्टेट आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) के नोडल अफसर डॉ. राजेश हर्षवर्षन ने बताया कि 60 वर्षीय पति के ब्रेन बेड होने पत्नी ने अंगदान दी सहमति दी। इसके बाद गुर्दा प्रत्यारोपण का निर्णय लिया गया। ब्रेन डेड व्यक्ति का एक गुर्दा ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीजीआई भेजा गया। जबकि दूसरे गुर्दे का प्रत्यारोपण अपोलो में किया गया।

आउट सोर्स कर्मचारियों के वेतन वृद्धि की रिपोर्ट सैंपने के बाद भी कोई आदेश नहीं

 आउट सोर्स कर्मचारियों के वेतन वृद्धि की रिपोर्ट पर कोई आदेश नहीं



   मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान संविदा कर्मचारी संघ का एक प्रतिनिधिमंडल कर्मचारियों के वेतन बढ़ोत्तरी तथा अन्य समस्याओं के संबंध में आज केंद्रीय राज्य मंत्री मा. कौशल किशोर जी से मुलाकात की । महामंत्री सच्चिता नन्द ने माननीय मंत्री जी को अवगत कराया कि महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने वेतन निर्धारण करके शासन को भेज दिया है मगर शासन से अभी तक आदेश जारी नहीं हुआ । जिस कारण से कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है कर्मचारियों का वेतन पिछले 8 वर्ष से नही बढ़ा है ।प्रदेश के उच्च चिकित्सा संस्थान में कर्मचारियों की उपेक्षा हो रही है। मा मंत्री जी ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को वेतन बढ़ोत्तरी करवाने के निर्देश जारी किए है मा मंत्री जी ने कहा की स्वास्थ्यकर्मियों को उनका हक मिलना चाहिए मैं सभी संविदा कर्मियों के साथ हूं । सभी प्रतिनिधि मंडल ने मा मंत्री जी का आभार व्यक्त किया । प्रतिनिधि मंडल में अध्यक्ष विकास तिवारी , मंत्री नीरज यादव प्रवक्ता लवकेश तिवारी त्रिभुवन यादव जी, मनीष वर्मा , हिमांशु शुक्ला मौजूद रहे । कर्मचारियों उम्मीद है कि अब शासन जल्द आदेश जारी करेगा ।


गुरुवार, 27 जुलाई 2023

hidden hepatitis virus can damage the liver , It is possible to save the liver by taking timely treatment

 Why take the risk of hepatitis B , vaccine avilabule for hepatitis B




hidden hepatitis virus can damage the liver

It is possible to save the liver by taking timely treatment

Awareness Program on World Hepatitis Awareness Day



On the occasion of World Hepatitis Awareness Day (July 28), an awareness program was organized by the Department of Gastroenterology, Sanjay Gandhi. On this occasion, Head of the Department, Prof. UC Ghoshal, Prof. Gaurav Pandey and Dr. Akash Mathur told that there is a need to be aware of the infection of this virus. Vaccines exist for hepatitis A and B while there is no vaccine for hepatitis C. To avoid all three viruses, you should get hepatitis test done from time to time. Don't ignore any symptoms. If you are hepatitis positive, then you should take complete treatment for it. Experts pointed out that there are 40 million people infected with Hepatitis B and about 12 million people infected with Hepatitis C in India. More than 90 percent of people with hepatitis B and C do not know they are infected because symptoms appear at a very late stage of the disease. The virus can silently damage the liver for years without any symptoms. Infections that are not diagnosed, monitored and treated in time can lead to severe life-threatening liver disease. The Indian government also joined the effort and launched the National Viral Hepatitis Control Program last year. Medical Social Service Officer Ramesh Kumar told that people suffering from this problem are called for follow up after every 6 months. Must always be on follow up. Senior technical officer TS Negi said that fibroscan detects the condition of the liver.

it can be annoying


-Fever

-Tiredness

- loss of appetite

- Nausea

-Vomit

-stomach ache

-dark urine

- light colored stools

- joint pain

-Jaundice


हेपेटाइटिस बी का टीका तो क्यों लें रिस्क छिपा हेपेटाइटिस वायरस लिवर को कर सकता है खोखला

 



हेपेटाइटिस बी का टीका तो क्यों लें रिस्क

छिपा हेपेटाइटिस वायरस लिवर को कर सकता है खोखला

समय पर इलाज लेने से लीवर को बचाना संभव

विश्व हेपेटाइटिस जागरूकता दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम



विश्व हेपेटाइटिस जागरूकता दिवस( 28 जुलाई) के मौके पर संजय गांधी के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर विभाग के प्रमुख प्रो. यूसी घोषाल, प्रो, गौरव पाण्डेय और डा. आकाश माथुर ने बताया कि इस वायरस के संक्रमण से सजग रहने की जरूरत है। हेपेटाइटिस ए और बी के लिए वैक्सीन मौजूद है जबकि हेपेटाइटिस सी के लिए कोई वैक्सीन नहीं है। तीनों ही वायरस से बचने के लिए आपको समय-समय हेपेटाइटिस का टेस्ट कराना चाहिए। किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। अगर आप हेपेटाइटिस पॉजिटिव हैंतो आपको इसका पूरा इलाज कराना चाहिए। विशेषज्ञों ने बताया कि  भारत में हेपेटाइटिस बी से संक्रमित 4 करोड़ लोग और हेपेटाइटिस सी से संक्रमित लगभग 1.2 करोड़ लोग हैं। हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित 90 फीसदी से अधिक लोगों को पता नहीं है कि वे संक्रमित हैं क्योंकि लक्षण रोग के बहुत बाद के चरण में दिखाई देते हैं। वायरस बिना किसी लक्षण के वर्षों तक यकृत को चुपचाप क्षति पहुंचा सकता है। समय पर संक्रमण का निदाननिगरानी और उपचार नहीं किया जाता हैगंभीर जानलेवा जिगर की बीमारी हो सकती है।  भारत सरकार भी इस प्रयास में शामिल हुई और पिछले साल  राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया।  मेडिकल सोशल सर्विस ऑफिसर रमेश कुमार ने बताया कि इस परेशानी से ग्रस्त लोगों को हर 6 माह बाद फालोअप के लिए बुलाते है।  फालोअप पर हमेशा रहना चाहिए । वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी टीएस नेगी ने बताया कि फाइब्रोस्कैन से लिवर की स्थिति का पता लगता है।   इंग्लैंड से भारत शोध करने आई सुश्री एरिका ने भी इस गोष्ठी में भाग लिया तथा मरीज़ों से संवाद किया । इस अवसर पर डॉ. अंकुर यादव एवं डॉ. पीयूष मिश्रा भी उपस्थित रहे।

यह हो सकती है  परेशान

 

-बुखार

-थकान

-भूख न लगना

-मतली

-उल्टी

-पेट में दर्द

-गहरे रंग का पेशाब

-हल्के रंग का मल

-जोड़ों का दर्द

-पीलिया


हेपेटाइटिस बी साइलेंट किलर है, बचाव के लिए जरूर कराएं वैक्सीनेशन
-विश्व हेपेटाइटिस जागरूकता दिवस
-गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. यूसी घोषाल ने कहा, हेपेटाइटिस वायरस लिवर को कर सकता है खराब
-समय पर जांच और इलाज जरूरी, हेपेटाइटिस ए व बी से बचाव के लिए कराएं वैक्सीनेशन

 हेपेटाइटिस ए और बी साइलेंट किलर की तरह लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। कई बार तो मरीज की हालत बिगड़ने पर ही इस बीमारी का पता चलता है। वैसे तो हेपेटाइटिस के अधिकांश मामले खून की जांच के दौरान या किसी अन्य समस्या की जांच कराने पर सामने आते हैं। इसलिए इस बीमारी को लेकर सतर्कता बहुत जरूरी है। गुरुवार को ये जानकारी विश्व हेपेटाइटिस जागरूकता दिवस के मौके पर एसजीपीजीआइ में आयोजित कार्यक्रम में गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. यूसी घोषाल ने दी। उन्होंने कहा, दोनों संक्रमण से बचने के लिए जागरूकता और टीकाकरण बेहद जरूरी है।

समय पर जांचें कराएं
प्रो. घोषाल ने बताया कि इसका संक्रमण लिवर को खराब कर देता है। हेपेटाइटिस ए और बी के लिए तो वैक्सीन मौजूद है, लेकिन हेपेटाइटिस सी का कोई टीका नहीं आया है। तीनों ही वायरस से बचने के लिए आपको समय-समय हेपेटाइटिस का टेस्ट कराना चाहिए। किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। किसी मरीज को अपनी मर्जी से दवा बंद नहीं करना चाहिए बल्कि, इस संक्रमण को खत्म करने के लिए पूरा इलाज जरूरी है। उन्होंने कहा, भारत में हेपेटाइटिस बी के चार करोड़ और हेपेटाइटिस सी के एक करोड़ से ज्यादा मरीज हैं। खास बात यह है कि हेपेटाइटिस बी और सी के 90 प्रतिशत मरीजों को पता ही नहीं चल पाता कि ‌वे इस खतरनाक बीमारी की चपेट में हैं। दरअसल, यह वायरस बिना किसी लक्षण धीरे-धीरे लिवर को नुकसान पहुंचाता है।

बाहर के खाने से करें परहेज
विभाग के डा. गौरव पांडेय के मुताबिक, अगर समय पर इस बीमारी का पता न चले तो मरीज की जान को खतरा हो सकता है। फास्ट फूड का इस्तेमाल करने से बचें और साफ पानी पीएं। खासकर, बारिश के मौसम में बाहर के खाने से परहेज करें। इससे संक्रमण का खतरा होता है। मेडिकल सोशल सर्विस आफिसर रमेश कुमार ने बताया कि भारत सरकार ने पिछले साल राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया। इस बीमारी की मरीज को प्रत्येक छह माह बाद बुलाया जाता है। वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी टीएस नेगी ने बताया कि फाइब्रोस्कैन से लिवर की स्थिति का पता लगता है। वहीं, डा. आकाश माथुर का कहना है कि इसे काला पीलिया भी कहा जाता है। हेपेटाइटिस के कुछ लक्षण जैसे भूख कम होना, थोड़ा काम करने पर ही थकान महसूस होना, आंखो में पीलापन, त्वचा में भी पीलापन आदि हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेना जरूरी है। इस मौके पर वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी टीएस नेगी समेत नर्सिंग स्टाफ भी मौजूद रहा।

ये हैं प्रमुख लक्षण
-बुखार
-थकान
-भूख न लगना
-मतली
-उल्टी
-पेट में दर्द
-गहरे रंग का पेशाब
-हल्के रंग का मल
-जोड़ों का दर्द

-पीलिया

 उत्तर भारत से अकेले पीजीआई का नाम है। दो अन्य प्रयोगशाला हेपेटाइटिस बी साइलेंट किलर है, बचाव के लिए जरूर कराएं वैक्सीनेशन

-विश्व हेपेटाइटिस जागरूकता दिवस

-गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. यूसी घोषाल ने कहा, हेपेटाइटिस वायरस लिवर को कर सकता है खराब

-समय पर जांच और इलाज जरूरी, हेपेटाइटिस ए व बी से बचाव के लिए कराएं वैक्सीनेशन


जागरण संवाददाता, लखनऊः हेपेटाइटिस ए और बी साइलेंट किलर की तरह लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। कई बार तो मरीज की हालत बिगड़ने पर ही इस बीमारी का पता चलता है। वैसे तो हेपेटाइटिस के अधिकांश मामले खून की जांच के दौरान या किसी अन्य समस्या की जांच कराने पर सामने आते हैं। इसलिए इस बीमारी को लेकर सतर्कता बहुत जरूरी है। गुरुवार को ये जानकारी विश्व हेपेटाइटिस जागरूकता दिवस के मौके पर एसजीपीजीआइ में आयोजित कार्यक्रम में गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. यूसी घोषाल ने दी। उन्होंने कहा, दोनों संक्रमण से बचने के लिए जागरूकता और टीकाकरण बेहद जरूरी है।


समय पर जांचें कराएं

प्रो. घोषाल ने बताया कि इसका संक्रमण लिवर को खराब कर देता है। हेपेटाइटिस ए और बी के लिए तो वैक्सीन मौजूद है, लेकिन हेपेटाइटिस सी का कोई टीका नहीं आया है। तीनों ही वायरस से बचने के लिए आपको समय-समय हेपेटाइटिस का टेस्ट कराना चाहिए। किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। किसी मरीज को अपनी मर्जी से दवा बंद नहीं करना चाहिए बल्कि, इस संक्रमण को खत्म करने के लिए पूरा इलाज जरूरी है। उन्होंने कहा, भारत में हेपेटाइटिस बी के चार करोड़ और हेपेटाइटिस सी के एक करोड़ से ज्यादा मरीज हैं। खास बात यह है कि हेपेटाइटिस बी और सी के 90 प्रतिशत मरीजों को पता ही नहीं चल पाता कि ‌वे इस खतरनाक बीमारी की चपेट में हैं। दरअसल, यह वायरस बिना किसी लक्षण धीरे-धीरे लिवर को नुकसान पहुंचाता है।


बाहर के खाने से करें परहेज

विभाग के डा. गौरव पांडेय के मुताबिक, अगर समय पर इस बीमारी का पता न चले तो मरीज की जान को खतरा हो सकता है। फास्ट फूड का इस्तेमाल करने से बचें और साफ पानी पीएं। खासकर, बारिश के मौसम में बाहर के खाने से परहेज करें। इससे संक्रमण का खतरा होता है। मेडिकल सोशल सर्विस आफिसर रमेश कुमार ने बताया कि भारत सरकार ने पिछले साल राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया। इस बीमारी की मरीज को प्रत्येक छह माह बाद बुलाया जाता है। वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी टीएस नेगी ने बताया कि फाइब्रोस्कैन से लिवर की स्थिति का पता लगता है। वहीं, डा. आकाश माथुर का कहना है कि इसे काला पीलिया भी कहा जाता है। हेपेटाइटिस के कुछ लक्षण जैसे भूख कम होना, थोड़ा काम करने पर ही थकान महसूस होना, आंखो में पीलापन, त्वचा में भी पीलापन आदि हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेना जरूरी है। इस मौके पर वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी टीएस नेगी समेत नर्सिंग स्टाफ भी मौजूद रहा।


ये हैं प्रमुख लक्षण

-बुखार

-थकान

-भूख न लगना

-मतली

-उल्टी

-पेट में दर्द

-गहरे रंग का पेशाब

-हल्के रंग का मल

-जोड़ों का दर्द

-पीलिया भारत में एनआईएमएचएएनएस बंगलुरू और  स्थितआईसीएमआर-एनआईटीएमए बेलगावी कर्नाटक में स्थापित होंगी। प्रयोगशाला विकसित करने के लिए संस्थान को चार करोड़ का बजट मिलेगा। 

मंगलवार, 25 जुलाई 2023

पाकिस्तान पहुंची अंजू ने कुबूल किया ईसाई धर्म के बाद इस्लाम धर्म किया स्वीकार

 पाकिस्तान पहुंची अंजू ने कुबूल किया ईसाई धर्म के बाद इस्लाम धर्म किया स्वीकार









फातिमा बनकर नसरुल्लाह से किया निकाह


फेसबुक फ्रेंड से मिलने हिन्दुस्तान से पाकिस्तान गई अंजू ने अब वहां धर्म परिवर्तन कर लिया है और फातिमा बन गई है. अंजू अपने दोस्त नसरुल्लाह से मिलने पाकिस्तान गई थी और कहा था कि वो कुछ दिनों में लौट आएगी. बता दें कि अंजू पहले से शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं.फेसबुक फ्रेंड से मिलने हिन्दुस्तान से पाकिस्तान गई अंजू ने अब वहां धर्म परिवर्तन कर अंजू से फातिमा बन गई है. उसने धर्म परिवर्तन कर अपने दोस्त नसरुल्लाह से निकाह कर लिया है.



बता दें कि वीजा लेकर पाकिस्तान गई अंजू ने पहले कहा था कि वो बस अपने फेसबुक फ्रेंड से मिलने वहां गई और कुछ दिनों में लौट आएगी. हालांकि अब पाकिस्तान से उसके निकाह कर लेने की खबरें सामने आई है. अंजू भारत में पहले से शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं. अंजू धर्म परिवर्तन करने से पहले ईसाई थीपाक मीडिया रिपोर्टों के अनुसार धर्म बदलने के बाद अंजू का इस्लामिक नाम फातिमा रखा गया है. शादी जिला अदालत में हुई और अंजू ने इस्लाम अपना लिया है. मालकुंड डिवीजन के डीआइजी नासिर महमूद दस्ती ने अंजू और नसरुल्लाह की शादी की पुष्टि की. दोनों की शादी जिला और सत्र न्यायाधीश डीआइजी मालकुंद की अदालत में करायी गयी जिसके बाद अंजू को पुलिस सुरक्षा में घर पहुंचाया गया.



नसरुल्लाह ने निकाह से किया इनकार



हालांकि निकाह के बाद जब नसरुल्लाह से आज तक ने बातचीत की तो उसने शादी की बात से इनकार कर दिया. इतना ही नहीं नसरुल्लाह ने ये भी कहा कि अंजू (फातिमा) उनकी दोस्त है और वो उससे प्यार नहीं करते हैं. हालांकि इस बीच दोनों का निकाहनामा सामने आया गया जो नसरुल्लाह के दावों पर सवाल खड़ा कर रहा है.

15.3 percent (pre-diabetic) means can be a victim of diabetes anytime

 15.3 percent (pre-diabetic) means can be a victim of diabetes anytime






The latest figures regarding the number of diabetes patients in the country are definitely shocking, but they should also be seen as a warning. Sanjay Gandhi PGI endocrinologist Prof. Sushil Gupta According to the latest study of the Indian Council of Medical Research (ICMR) published in the health journal 'Lancet', the number of diabetes patients in the country has crossed 100 million. Surprisingly, it has increased by 44 per cent within the last four years. What makes these statistics more serious is that the number of pre-diabetes cases is also not less. According to the latest survey, if 11.4 percent of the country's population is suffering from diabetes, then 15.3 percent people are in the pre-diabetes category.



, Those people are kept in the pre-diabetes category whose blood sugar level is higher than normal, but not high enough to be included in the category of type-2 diabetes. These are people who are suspected of being diabetic. Nothing can be said for sure whether a case of pre-diabetes will turn into diabetes or not, and if so, in how long, but experts generally believe that one-third of such cases turn into diabetes.

Surrey one-third of the cases remain in the pre-diabetes category while the last one-third get better with lifestyle changes and other such measures and return to normal condition. If even one-third of pre-diabetes cases convert into diabetes, then a serious challenge may arise on the health front in the next few years. Especially in states like Uttar Pradesh and Madhya Pradesh, where there are four and three cases of pre-diabetes for every diabetic person, respectively. In these circumstances, especially there is a need to be prepared for situations like increase in the number of kidney patients. Many such patients require dialysis. Not only are such machines few and mostly confined to urban centres, but their high cost also puts them out of reach for most kidney patients.

15.3 फीसदी ( प्री-डायबिटिक) यानि कभी भी हो सकते है डायबटीज के शिकार

 15.3 फीसदी ( प्री-डायबिटिक)  यानि कभी भी हो सकते है डायबटीज के शिकार







देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या को लेकर आए ताजा आंकड़े निश्चित रूप से चौंकाने वाले हैं, लेकिन इन्हें चेतावनी के रूप में भी देखा जाना चाहिए। संजय गांधी पीजीआई के इंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो. सुशील गुप्ता  हेल्थ जर्नल ‘लांसेट’ में प्रकाशित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ताजा स्टडी के मुताबिक देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या 10 करोड़ से ऊपर हो गई है। हैरानी की बात यह है कि पिछले चार साल के अंदर इसमें 44 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जो बात इन आंकड़ों को ज्यादा गंभीर बनाती है वह यह भी है कि प्री-डायबिटीज मामलों की संख्या भी कम नहीं है। ताजा सर्वे के मुताबिक अगर देश की 11.4 फीसदी आबादी डायबिटीज से पीड़ित है तो15.3 फीसदी लोग प्री-डायबिटीज श्रेणी में हैं


। प्री-डायबिटीज कैटिगरी में उन लोगों को रखा जाता है जिनका ब्लड शुगर लेवल सामान्य से ज्यादा होता है, लेकिन इतना ऊपर नहीं होता कि टाइप-2 डायबिटीज की कैटिगरी में शामिल किया जा सके। ये ऐसे लोग होते हैं जिनके डायबिटिक होने का अंदेशा रहता है। प्री-डायबिटीज का कोई मामला डायबिटीज में शामिल होगा या नहीं और होगा तो कितने समय में, इसे लेकर निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन एक्सपर्ट्स आम तौर पर मानते हैं कि ऐसे एक तिहाई मामले डायबिटीज में तब्दील हो जाते हैं।

सरे एक तिहाई मामले प्री-डायबिटीज कैटिगरी में ही बने रहते हैं जबकि आखिरी एक तिहाई जीवनशैली में बदलाव और ऐसे अन्य उपायों से बेहतर होकर नॉर्मल स्थिति में लौट जाते हैं। अगर प्री-डायबिटीज के एक तिहाई मामले भी डायबिटीज में कन्वर्ट हुए तो स्वास्थ्य के मोर्चे पर अगले कुछ वर्षों में गंभीर चुनौती पैदा हो सकती है। खासकर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में, जहां हर एक डायबिटिक व्यक्ति पर प्री-डायबिटीज के क्रमश: चार और तीन मामले बताए जा रहे हैं। इन हालात में खास तौर पर किडनी पेशंट्स की संख्या में इजाफा होने जैसी स्थितियों के लिए तैयार रहने की जरूरत है। ऐसे कई मरीजों को डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। न केवल ऐसी मशीनें कम हैं और ज्यादातर शहरी केंद्रों तक सीमित हैं बल्कि उनका बेहद खर्चीला होना भी उन्हें ज्यादातर किडनी मरीजों की पहुंच से दूर कर देता है। सेवाभावी संस्थाओं की ओर से जहां-तहां ऐसी सेवाएं मुफ्त या कम कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन यह अव्यवस्थित, अनियमित और अपर्याप्त हैं। 

सोमवार, 24 जुलाई 2023

राहुल गंधी की कुंडली संत वाली है तभी तो वह संत की तरह व्यहार करते है

 संत की कुंडली है राहुल गांधी की

संत स्वाभाव के कारण ही सबसे जुड़ जाते है सबको गले लगाते है




कुछ तारे होते हैं ग्रह होते हैं और आपकी राशि में जब वह ग्रह आते हैं तो वह प्रभाव डालते है। इंजीनियरिंग की पढाई किए ज्योतिष आचार्य राजीव जी के मुताबिक राहुल गांधी जन्म 19 जून 1970 को हुआ दिल्ली में हुआ। तुला लग्नेश की कुंडली है जो 10 वें घर में है यह राजयोग बनाता है। इस राहुल गांधी की राहु की महादशा चल रही है। इस समय 5 वें घर में है जो गोचर 7 वें घर में जा रहा है जिसके कारण मानहानि का आरोप लगा। 30 अक्टूबर के बाद मीन राशि में राहु 6 वें घर में होगा यह एलेक्शन फाइट का योग है जो शुभ है। राहु का 3. 6. 10 , 11 वें घर में होना शुभ होता है। 6 वें घर का राहु शंतुहंता होता है। इस लिए राहुल गांधी को चुनाव लड़ने से कोई नहीं रोक सकता है यहां तक कि 10 सीट से लडें सभी जगह से जीत हासिल होती। सुप्रीम कोर्ट में लंबा मैटर चलेगा। आगे से ऐसे नियम बनेंगे कोई दूसरा इसका शिकार न हो। कोई राजनीतिक भावना से किसी नेता का पोलिटिकल कैरियर ना खराब कर पाए हैं। राहुल गांधी का एक बहुत ही संत किस्म के इंसान है। सूर्य 9 वें घर में है औऱ बृहस्पति देख रहे हैं। यह दृदय की दयालुता साबित करता है। फिलोसॉफिकल माइंड के हैं सूर्य हमारी ज्योतिष में है शरीर माना गया है वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्र जो है मोरालिटी इतिहास और दया करुणा भाव का माना जाता है सूर्य का आत्मा का वहां जाने का अर्थ यह हुआ आत्मा के कारक सूर्य के कारण राहुल गांधी बहुत ही हृदय से दयाल कृष्ण का व्यक्ति है और बृहस्पति की दृष्टि से गंगा की तरह से निर्मल इसकी आत्मा है तो आप यह देखिए आप तो गौतम बुद्ध के ऊपर भी ठोक दिया गया था और तुलसीदास जी का उपहास गया गया था शंकराचार्य जी का भी उसे जमाने और लोगों ने उपहास उडाया यह दुनिया का दस्तूर है कि जो अच्छे लोग होते हैं। उनके छवि को खराब करने का प्रयास किया गया । कुंडली में एक संत का एक योग है। मैं सिर्फ उनकी कुंडली के आधार पर कह रहा हूं कि यह व्यक्ति बहुत अच्छा इंसान है और आज की राजनीतिक मिस फिट है जो लोग अभी राजनीति में है सत्ता में है उनको इनकी इमेज को डाइजेस्ट नहीं होती है तो उसमें राहुल गांधी के लिए जो मैं बताना चाह रहा था कि राहुल गांधी जी के बहुत अच्छे इंसान है और ऐसा व्यक्ति है पहले कहा कि आपने देखा होगा कि उनके साथ हम लोगों के साथ में है और होती है सिंधिया है आपके जो जतिन प्रसाद है और एक को आरपीएन सिंह है सहित जितने लोग हैं असम के मिनिस्टर अच्छी लगती हो लेकिन उन्होंने जिस तरह से उनका टारगेट किया इसका गांधी को लगा के यह लोग ठीक नहीं है राहुल गांधी का जो सूचना था वह बिल्कुल सच साबित हुआ कि किस तरह से वह लोग सत्ता के कारण अपनी सत्ता
की पावर को एंजॉय करके बैठे हुए । राहुल का अपने इंद्रियों पर कंट्रोल कंट्रोल आता है वह भौतिकता से डिटैचमेंट होते वही व्यक्ति संत होता है अब आप बताइए वर्तमान में हमारे नेता नेता है वह एक दिन में कई बार कपड़े बदल लेते हैं। हमारे भारत जोड़ो यात्रा में देखे आपको यह व्यक्तिगत आचरण में दिखेगा । क्रोध उनको आता नहीं। उन्होंने अपने पिताजी के हत्यारे को माफी के लिए उन्होंने रिक्वेस्ट की थी तो यह सब चीज बताती है कि वह दायुल है।
चीज बताना चाहता हूं जो देश के लोगों को जानना चाहिए इनके कमला नेहरू साधारण परिवार की कौल परिवार से थी इलके पिता के पास आटा चक्की थी। उससे शादी हुई । जब मोतीलाल नेहरू को पता लगा कि इस लड़की के से पैदा होने वाली कई पीढ़ियां देश है वह कमला नेहरू का रिश्ता जो आपके सामने प्रत्यक्ष उदाहरण है भारत में लगभग 37 साल नेहरू गांधी परिवार में शासन किया है तो वह कमला नेहरू के स्तर से डीएनए में गांधी के अंदर भी है तो यह जो जितने लोग इनका मजाक उड़ाते हैं वह क्या है सोचें। पैसे और सत्ता का मोह नहीं है 42 कमरों का आनंद भवन उन्होंने देश को दे दिया राहुल का बंगला छीन लिया गया सरकार ने बिना मकान के रह रहा है परिवार के लोग के साथ ।
उसके सितारे अच्छे हैं वह वापस बाउंस करेगा। कोलिशन का नाम इंडिया रखा गया यह काफी चौकाने वाला होगा । पब्लिक में जब जो जाते हैं तो पब्लिक में उसने कांटेक्ट होती है। गरीब से गरीब इंसान को गले लगाता है महिलाओं से बात करते हैं। आप अच्छे हृदय के इंसान है तो कोई कितनी भी कुछ कहता रहे लेकिन उसको रोक नहीं जा सकता तो मेरी भविष्यवाणी है राहुल गांधी की प्रतिष्ठा वापस आती है और राहुल गांधी की फ्लाइंग कलर के साथ इस तरह से उठाएंगे और उन्हें रिपीट कर रहा हूं अपनी बात को की 10 जगह से चुनाव लड़ा दीजिए हर जगह जीत हासिल करेंगे। हिंदू धर्म के दो इतिहास ग्रेनाइट महाभारत और रामायण रामचरितमानस के अयोध्या कांड में राजा दशहरा को बताया ज्योतिष ने बताया है कि ग्रह गोचर बहुत खराब होंगे मृत्यु होगी। इसका मतलब बहुत पुरानी ज्योतिष है जबरदस्त मार्ग ( साभार 4पीएम संजय शर्मा जी)

विकास की प्राथमिकता है जरूरी --गडे मुर्दे उखाड़ने से किसका होगा भला

 







जब कानून बन गया कि अयोध्या के छोड़ कर तमाम धर्म स्थल की स्थिति 1947 की होगी तो तमाम ध्रर्म स्थान के मुंद्दे उठाना ,,,,,क्या है......... इसका मतलब तो यही है कि .......... कानून .......................

किसी भी आगे बढ़ते देश के लिए जरूरी होता है कि वह गड़े मुर्दे उखाड़ने और अतीत के प्रेतों से उलझने में अपनी ऊर्जा लगाने के बजाय भविष्य की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित रखे और अतीत के अपने अनुभव का इस्तेमाल उन चुनौतियों से निपटने में ही करे। यही सुनिश्चित करने के लिए 1991 में यह कानून लाया गया था कि अयोध्या मामले को छोड़कर देश के तमाम धर्मस्थलों के बारे में 1947 के स्टेटस को अंतिम मान लिया जाए। उसमें किसी तरह के बदलाव की बात न की जाए। जरूरी है कि इस कानून में लूपहोल ढूंढकर इसे नाकाम करने के बजाय हम इसकी भावना का सम्मान करें और धर्मस्थलों के अतीत से जुड़े विवादों को अतीत मान लें। एक देश और समाज के रूप में हमें अपनी प्रायॉरिटी तय करने का न केवल अधिकार है बल्कि अपने विकास की दशा और दिशा तय करने के लिहाज से यह एक अहम जिम्मेदारी भी है। आजादी के बाद से ही विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा अपना देश इस सिलसिले को बनाए रखे और आने वाले दिनों में विकास की रफ्तार को यथासंभव तेज करते हुए दुनिया के अग्रणी देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलता रहे, इसके लिए जरूरी है कि वह अपनी प्रायॉरिटी न बिगड़ने दे। ( साभार नवभारत टाइम्स)

शनिवार, 22 जुलाई 2023

बेटी के पिता हैं तो ऐसे करें ऐसे बचत हायर स्‍टडीज से लेकर मैरिज तक, सारी जिम्‍मेदारियां हो जाएंगी पू

 :बेटी के पिता हैं तो ऐसे करें ऐसे  बचत हायर स्‍टडीज से लेकर मैरिज तक, सारी जिम्‍मेदारियां हो जाएंगी पूरी



बेटियां सभी की लाडली होती हैं. लेकिन उनके जन्‍म के साथ ही पिता के कंधों पर कई बड़ी जिम्‍मेदारियां भी आ जाती हैं. जैसे-जैसे बच्‍ची बड़ी होती है, पिता को उसकी हायर स्‍टडीज से लेकर शादी तक की तमाम फिक्र सताने लगती है. ऐसे में ये बहुत जरूरी है कि आप उसके जन्‍म के साथ ही उनके लिए बचत भी शुरू कर दें. यहां जानिए कि किस तरह से आपको इनवेस्‍टमेंट प्‍लानिंग करनी चाहिए.


कमाई का 20 फीसदी बचाएं

फाइनेंशियल एक्सपर्ट दिलीप सिंह जी कहते हैं कि

पहले तो आपको अपनी कमाई का 20 फीसदी बचाने की आदत डालनी चाहिए और इस 20 प्रतिशत रकम को आप कहीं पर लॉन्‍ग टर्म के लिए इन्‍वेस्‍ट करना शुरू करें. ऐसी तमाम स्‍कीम्‍स हैं जो कंपाउंडिंग का फायदा देती हैं और तेजी से वेल्‍थ क्रिएशन करती हैं. इन स्‍कीम्‍स के जरिए आप अच्‍छा खासा अमाउंट जोड़ सकते हैं और इसे बेटी के भविष्‍य के साथ परिवार की अन्‍य जरूरतों पर भी खर्च कर सकते हैं. मान लीजिए कि आप 1 लाख रुपए महीने कमाते हैं तो आपको हर महीने 20,000 रुपए बचाकर इनवेस्‍ट करने चाहिए.


अलग-अलग स्‍कीम्‍स में करें निवेश


आज के समय में कई तरह की स्‍कीम्‍स हैं. लेकिन आप हर महीने जो भी इनवेस्‍टमेंट कर रहे हैं, वो अलग-अलग स्‍कीम्‍स में करें. जैसे कुछ पैसा आप पीपीएफ में लगा सकते हैं, कुछ रकम सुकन्‍या समृद्धि में हर महीने जमा करें और बचत का कुछ हिस्‍सा म्‍यूचुअल फंड में लगाएं. पीपीएफ और सुकन्‍या स्‍कीम्‍स सरकारी योजनाएं हैं और गारंटीड रिटर्न देने वाली हैं. वहीं एसआईपी के जरिए म्‍यूचुअल फंड में निवेश किया जाता है, जो मार्केट से लिंक्‍ड है. इसमें रिटर्न की गारंटी तो नहीं है, लेकिन लॉन्‍ग टर्म के इन्‍वेस्‍टमेंट में औसतन 12 फीसदी का रिटर्न मिलते देखा गया है, जो इन सरकारी स्‍कीम्‍स से कहीं ज्‍यादा है. ऐसे में आप अपनी निवेश की राशि को 2, 3, 4 हिस्‍सों में विभाजित करके अलग-अलग स्‍कीम में निवेश करें.


उदाहरण से समझिए


मान लीजिए किआप 20,000 रुपए हर महीने निवेश कर रहे हैं, तो इसमें से आप 10,000 रुपए SIP में लगा सकते हैं और 5,000-5,000 रुपए पीपीएफ, सुकन्‍या या किसी अन्‍य स्‍कीम में लगा सकते हैं. अगर आप हर महीने 10,000 रुपए SIP में लगातार 20 सालों तक लगाते हैं तो 12 फीसदी के हिसाब से 20 साल बाद आपको 99,91,479 रुपए मिलेंगे. वहीं 15 साल तक निवेश जारी रखने पर 50,45,760 रुपए मिलेंगे.

वहीं अगर PPF की बात करें तो पीपीएफ पर 7.1 फीसदी के हिसाब से ब्‍याज मिल रहा है. हर महीने 5,000 रुपए पीपीएफ में लगाने पर 15 साल बाद मैच्‍योरिटी पर आपको 16,27,284 रुपए मिलेंगे. वहीं सुकन्‍या समृद्धि जो खासतौर पर बेटियों के लिए चलाई जाती है, इस स्‍कीम पर 8 फीसदी के हिसाब से ब्‍याज मिल रहा है. इस स्‍कीम में हर महीने 5,000 रुपए निवेश करने पर मैच्‍योरिटी पर 26,93,814 रुपए मिलेंगे. इस तरह बेटी जब तक बड़ी होगी, आप तब तक अच्‍छा खासा पैसा जोड़ सकते हैं.


एकमुश्‍त रकम यहां निवेश करें


अगर आपके पास एकमुश्‍त रकम निवेश करने के लिए है तो आप इसे फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट, गोल्‍ड वगैरह में लगा सकते हैं. इसके अलावा आप बेटी के नाम से किसी जमीन या प्रॉपर्टी में भी निवेश कर सकते हैं. बेटी के बड़े होने पर आपको इस प्रॉपर्टी से काफी अच्‍छा रिटर्न मिल सकता है.

First right of contract workers on regular appointments in Medical University - Abhimanyu Yadav

 



The first meeting of KGMU contract workers union was held in an enthusiastic atmosphere


First right of contract workers on regular appointments in Medical University - Abhimanyu Yadav


Lucknow, 22 July.

Addressing hundreds of employees in the first union meeting of contract-outsourcing employees, President Abhimanyu Yadav said that long-term contract workers and outsourcing based employees working in KGMU should be given priority in the regular appointments of the institute.


Union office bearers were honored in the first meeting of the union formed to protect the labor interests of more than 6000 contract and outsourcing based employees working in KGMU. In this important union meeting held on Saturday, apart from compulsorily giving priority to outsourcing and contract employees in all government appointments, discussions were held on the future strategy regarding working conditions and salary allowances etc. Besides President Abhimanyu Yadav, General Secretary Sujit Kumar, Sanjay Verma, Pratibha Singh, Pawan Kanojia, Roshni Singh, Akash Singh, Subhash Chandra Awasthi, Sandeep Yadav, Anuj Mishra, Sangeeta etc. union officials were present in this meeting held on the fourth floor of New OPD building of KGMU.

चिकित्सा विश्वविद्यालय में नियमित नियुक्तियों पर




 उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न हुई केजीएमयू संविदाकर्मी यूनियन की पहली बैठक


चिकित्सा विश्वविद्यालय में नियमित नियुक्तियों पर संविदाकर्मियों कापहला अधिकार -अभिमन्यु यादव


लखनऊ, 22 जुलाई। 

संविदा-आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की पहली यूनियन बैठक में अध्यक्ष अभिमन्यु यादव ने सैकड़ों कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि केजीएमयू में लंबे समय से कार्यरत संविदाकर्मियों और आऊटसोर्सिंग आधारित कर्मचारियों को संस्थान की नियमित नियुक्तियों में प्राथमिकता दी जानी चाहिऐ


केजीएमयू में कार्यरत 6000 से ज्यादा संविदा और आऊटसोर्सिंग आधारित कर्मचारियों के श्रमिक हितों की सुरक्षा के लिये गठित यूनियन की पहली बैठक में यूनियन पदाधिकारियों को सम्मानित किया गया।शनिवार को आयोजित इस महत्वपूर्ण यूनियन बैठक में इस बैठक में आऊटसोर्सिंग और संविदा कर्मचारियों को सभी सरकारी नियुक्तियों में अनिवार्य रूप से प्राथमिकता देने के अलावा कार्यशर्तों और वेतन-भत्ते आदि के संबंध में भावी रणनीति पर विचार विमर्श हुआ। केजीएमयू के न्यू ओपीडी भवन के चौथे तल पर आयोजित इस बैठक में अध्यक्ष अभिमन्यु यादव के अतिरिक्त महामंत्री सुजीत कुमार,संजय वर्मा, प्रतिभा सिंह,पवन कनौजिया,रोशनी सिंह,आकाश सिंह, सुभाष चन्द्र अवस्थी, संदीप यादव,अनुज मिश्र, संगीता आदि संघ पदाधिकारी मौजूद रहे।

Many schemes through which the poor can get financial help in treatment Seminar on financial assistance in PGI

 




Many schemes through which the poor can get financial help in treatment

Seminar on financial assistance in PGI



Many assistance schemes are going on so that there is no financial problem in the treatment of the employees and general public. Head of Hospital Administration Department of Sanjay Gandhi PGI, Prof. R Harshvardhan told that Pandit Deendayal Upadhyaya State Employees Cashless Scheme, Ayushman Bharat, National Health Fund, Incurable Disease Fund, PM and CM Care Fund are government schemes, besides this, Kamdhenu Very Poor Medical Assistance Scheme is being run at the institute level. A seminar was organized on Saturday for information and awareness about schemes for the treatment of the poor. Poor patients come to the institute, many do not have money for treatment, so this event was organized to give information about the scheme to the doctors, residents, staff nurses, medical social workers, public relations officers and others of the institute.

 Chief Medical Superintendent of the Institute Dr. Sanjay Dheeraj

, Medical Superintendent

VK Paliwal said that health care scheme for every individual is the need of the hour. The Kovid era has taught us a lot that we have to keep ourselves safe at all times. Financial assistance schemes play a vital role in improving the lives of millions of citizens across the country. These schemes aim to address various socio-economic challenges and create a prosperous society. Director Prof. R k Dhiman said that due to lack of information, many people are not able to take advantage of the schemes. Nodal Officer Prof. Manoj Jain, Nodal Officer, Pandit Deendayal Upadhyaya State Employees Cashless Medical Scheme Dr. Indushree, Accounts Officer PGI Sanjay Dua, GM Policy and Public Health Dr. B.K. Pathak, G M Operation Satchis, Dr. Ravikant Singh, Operation Manager Neetu Singh, State Director, AHI Manisha Tripathi, Health Insurance Expert Priyanka Pathak among others.

कई योजना जिससे गरीबों को मिल सकती है इलाज में आर्थिक सहायता पीजीआई में आर्थिक सहायता पर सेमिनार

 



कई योजना जिससे गरीबों को मिल सकती है इलाज में आर्थिक सहायता

पीजीआई में आर्थिक सहायता पर सेमिनार

 


कर्मचारियों से लेकर सामान्य जन के इलाज में आर्थिक परेशानी न हो इसके लिए कई सहायता योजनाएं चल रही है। संजय गांधी पीजीआई के  अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख प्रो. आर हर्षवर्धन ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस योजना, आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय आरोग्य निधि, असाध्य रोग निधि, पीए और सीएम केयर फंड सरकारी योजना है इसके अलावा संस्थान स्तर पर कामधेनु अति निर्धन चिकित्सा सहायता योजना चलायी जा रही है। गरीबों के इलाज के लिए योजनाओं की जानकारी और जागरूकता के लिए सेमिनार का आयोजन शनिवार को किया गया। संस्थान में गरीब मरीज आते है कई पास इलाज के लिए पैसे नहीं होते है ऐसे में संस्थान के डॉक्टर, रेजिडेंट, स्टाफ नर्स, मेडिकल सोशल वर्कर, जन संपर्क अधिकारी सहित अन्य को योजना की जानकारी देने के लिए यह आयोजन किया गया।    संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय धीरज

, चिकित्सा अधीक्षक

वी.के. पालीवाल ने कहा कि  हर व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य सहायता योजना समय की माँग हैं।  कोविड युग ने हमें काफी  सीख दिया है कि हर समय खुद को सुरक्षित रखना है। वित्तीय सहायता योजनाएं पूरे लाखों नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन योजनाओं का लक्ष्य विभिन्न सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करना और समृद्ध समाज बनाना है। निदेशक प्रो. आर धीमन ने कहा कि   जानकारी के अभाव में कई लोग योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं। नोडल अधिकारी प्रो. मनोज जैन, नोडल अधिकारी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना  से डॉक्टर इंदुश्री,  लेखा अधिकारी पी जी आई  संजय दुआ, जी एम नीति व सार्वजनिक स्वास्थ्य डॉ. बी.के. पाठक, जी एम ऑपरेशन सैचिस, डॉ. रविकांत सिंह, ऑपरेशन मैनेजर   नीतू सिंह, , राज्य निदेशक, एएचआई मनीषा त्रिपाठी, स्वास्थ्य बीमा विशेषज्ञ प्रियंका पाठक सहित कई लोग शामिल हुए।  

गुरुवार, 20 जुलाई 2023

PGI cured Prem Shankar of cancer for the third time-

 PGI cured Prem Shankar of cancer for the third time





When I got cancer for the third time, I felt that my life was over, but I got life


 Removed cancer in the third left colon and reattached the tubes from the previous surgery


 kumar sanjay




     


49-year-old Prem Shankar from Kanpur was a victim of stomach cancer twice. Gastro surgeon of Sanjay Gandhi PGI saved life twice with surgery and chemotherapy. Everything was going well but after 10 years his hemoglobin dropped again to five. When Prem Shankar came to the gastro surgeon of the institute, it was found that for the third time also the cancer has spread to the large intestine on the left side of the stomach. This time the place is different. Surgery was the only treatment for which Planning Prof. Ashok Kumar teamed up as this surgery was very complicated. Complicated surgery was done twice. The third time the cancer had spread to the places where the organs were joined after the first surgery. Pro. According to Ashok, when the stomach was opened under planning, the cancer (tumour) was not visible because the intestines were badly stuck together. First, after separating the intestine, the tumor was found, then along with this tumor, the cancer spread nearby, the lymph node was removed. After this, in the first surgery which was done in 2009, in which the bile duct, pancreatic duct and stomach were added, cancer cells had also spread. That part was taken out. The tubes were rerouted. In this way the surgery was completed in two steps which lasted for seven hours. Prem Shankar ji is completely fine now after the surgery. He has also been discharged from the hospital. Chemotherapy is being planned ahead, although the report is satisfactory.


The team performed surgery


 Pro. Ashok Kumar, Dr. Somnath, Dr. Srinivas, Dr. Prashant, Anesthesia Pro. Aruna Bharti, Prof. Chetna Dr. Jamal, Dr. Anil, Sister Anita and Sister Kanchan.



Surgery is usually not done in case of cancer for the third time.


 


It has been seen that surgeons refrain from doing surgery in case of cancer for the third time because success is very less. Surgery is also complicated. We accepted this challenge and got success. We are going to report this case in Nation International Journal. After cancer surgery, there should be continuous follow-up so that if there is any problem again, it can be detected earlier.


 


 


will find out the reason


Cancer is happening again and again. For the first time in the duodenum (near the pancreas), for the second time in the large intestine on the right side, this time in the large intestine on the left side. There may be a genetic reason behind this, which we are doing research to find out.



पीजीआई के विशेषज्ञों ने दिया तीसरी बार कैंसर को मात

 पीजीआई के विशेषज्ञों ने दिया   तीसरी बार कैंसर को मात



तीसरी बार  कैंसर हुआ तो लगा जिंदगी खत्म लेकिन मिल गई जिंदगी

 तीसरी बायीं तरफ की बड़ी आंत में कैंसर को निकाला और पिछली सर्जरी के नलियों को दोबारा  जोडा   

 


    

कानपुर से 49 वर्षीय प्रेम शंकर दो बार पेट के कैंसर से शिकार हुए । संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जन दो बार सर्जरी और कीमोथेरेपी से जिंदगी बचा लिए । सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन 10 साल दोबारा उनका हीमोग्लोबिन घट कर पांच हो  गया। प्रेम शंकर संस्थान के गैस्ट्रो सर्जन के पास आए तो पता चला कि तीसरे बार भी कैंसर पेट में बायीं तरफ बड़ी आंत में हो गया है। इस बार जगह दूसरी है। सर्जरी ही इलाज था जिसके लिए प्लानिंग प्रो. अशोक कुमार ने टीम साथ किया क्योंकि यह सर्जरी काफी जटिल थी। दो बार जटिल सर्जरी हो चुकी थी तीसरी बार कैंसर उन जगहों पर फैल गया था जहां पर पहले सर्जरी के बाद अंगों को जोड़ा गया था। प्रो. अशोक के मुताबिक प्लानिंग के तहत पेट जब खोला तो कैंसर ( ट्यूमर ) दिख  नहीं रहा था क्योंकि आंत आपस में बुरी तरह से चिपकी थी। पहले आंत को अलग करने के बाद ट्यूमर को खोजा फिर इस ट्यूमर के साथ आस-पास फैले कैंसर, लिम्फनोड को निकाला। इसके बाद पहली सर्जरी जो 2009 में जो हुई थी उसमें पित्त की नली, पैंक्रियाज की नली और आमाशय जो जोड़ा गया था उसमें भी कैंसर सेल फैल गया था। उस भाग को निकाला गया। नलियों को रास्ते को दोबारा बनाया गया। इस तरह दो स्टेप में सर्जरी पूरी हुई जो सात घंटे तक चली।  सर्जरी के बाद अब प्रेम शंकर जी पूरी तरह ठीक है। अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है। आगे अब कीमोथेरेपी की प्लानिंग की जा रही है हालांकि रिपोर्ट संतोषजनक है।

टीम ने किया सर्जरी

 प्रो. अशोक कुमार, डा. सोमनाथ, डा. श्रीनिवास, डा. प्रशांत, एनेस्थीसिया प्रो. अरुणा भारती, प्रो. चेतना डा. जमाल , डा. अनिल, सिस्टर अनीता और सिस्टर कंचन ।  


तीसरी बार कैंसर होने पर अमूमन नहीं करते है सर्जरी

 

देखा गया है कि तीसरी बार कैंसर होने पर सर्जन सर्जरी करने से बचते है क्योंकि सफलता काफी कम मिलती है। सर्जरी भी जटिल होती है। इस चैलेंज को हमने स्वीकार किया जिसमें सफलता भी मिली । इस केस को हम नेशन इंटरनेशनल जर्नल में रिपोर्ट करने जा रहे हैं। कैंसर की सर्जरी के बाद लगातार फालोअप में रहना चाहिए जिससे दोबारा कोई परेशानी होने पर पहले पता लगा सकें।  

 

 

पता करेंगे कारण

बार –बार कैंसर हो रहा है। पहली बार ड्यूडेनम( पैंक्रियाज के पास) दूसरी बार दायी तरफ बड़ी आंत में इस बार बायीं तरह बड़ी आंत में कैंसर हुआ। इसके पीछे अनुवांशिक कारण हो सकता है जिसका पता लगने के लिए हम शोध कर रहे हैं।