गुरुवार, 20 मई 2021

0 फीसदी नहीं है ब्लैंक फंगस की आशंका - आईसीयू में भर्ती और पहले से इम्यूनो सप्रेसिव दवा पर रह रहे

 

90 फीसदी नहीं है ब्लैंक फंगस की आशंका

 

 आईसीयू में भर्ती और पहले से इम्यूनो सप्रेसिव दवा पर रह रहे लोगों में ही अभी तक मिला ब्लैंक फंगस का मामला

 

लाखों लोग भर्ती हुए जिसमें पूरे देश से एक हजार से भी कम ब्लैंक फंगस के मिले मामले

  

 

ब्लैंक फंगस को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। कोरोना संक्रमित 90 फीसदी लोगों इस परेशानी की आशंका नहीं है। संजय गांधी पीजीआई के एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर एवं आईसीयू एक्पर्ट प्रो. संदीप साहू के मुताबिक ब्लैक फंगस( म्यूकर माइकोसिस) को लेकर लोगों में काफी दहशत है। ब्लैंक फंगस के जितने मामले आए है उनमें से को ऐसा मामला नहीं है जो होम आइसोलेशन में कोरोना संक्रमण के हल्के मामले रहे हों। ऐसे 80 फीसदी कोरोना संक्रमित लोग थे। 10 फीसदी लोग जो होम आइसोलेशन में थे   ऑक्सीजन पर रहे है उनमें भी कोई मामला सामने नहीं आया है। ऐसे ऑक्सीजन और लो   डोज स्टेरायड पर रहे हों उनमें भी इस तरह के मामले नहीं हुए। पूरे भारत में कुल एक हजार मामले ब्लैंक फंगस के सामने है देखा जाए भर्ती होने वाले लाखों मरीजों में यह प्रतिशत .001 भी नहीं होगा।  ब्लैंक फंगस के केवल वहीं शिकार हुए जो गंभीर कोरोना संक्रमित थे।एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम के कारण आईसीयू में भर्ती कर हाई डोज स्टेरायड दिया गया। शुगर नियंत्रित नहीं रहा। वह कोरोना संक्रमित जिसमें वेंटिलेटर या एनवाईबाई पेैप थेरेपी की जरूरत पडी। इसके साथ ऐसे मरीज पहले से इम्यूसप्रेसिव दवा पर चल रहे थे। किडनी ट्रांसप्लांटकैंसरआटो इम्यून डिजीज से ग्रस्त थे। इन लोगों में पहले से ही इम्यूनो सप्रेसिव चलाता है जिससे उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। आईसीयू में भर्ती के दौरान हाई डोज स्टेरायड देने से उनका इम्यून सिस्टम और कमजोर हो जाता है। 

जरा सा आंख क्या लाल हुई हो गए परेशान

 जरा सा आंख लाल हुई , थोडा सा नाक बंद हुआ , नाक पर सूजन दिखा तो लोग ब्लैक फंगस समझ कर परेशान हो रहे है मेरे पास तमाम लोगों ने तमाम लोगों ने फोटो भेजा और लोग काफी डरे है।  


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