रविवार, 9 मई 2021

कोरोना कहर कम करने के लिए डेक्सामेथासोन ले रहे है तो शुगर पर रखें कड़ी नजर- ब्लैंक फंगस कर सकता है परेशान

 





कोरोना कहर कम करने के लिए डेक्सामेथासोन ले रहे है तो शुगर पर रखें कड़ी नजर

 अधिक समय और अधिक मात्रा में लेने से साइनस में हो रहा है फंगस

म्यूक्रोमायकोसिस के प्रदेश में 70 मामले की मिली जानकारी

     

 

कोरोना संक्रमित होने पर स्टेरॉयड ( डेक्सामेथासोन, मिथाइल प्रेडनीसोलोन सहित अन्य) संक्रमण की गंभीरता कम करने में कारगर है लेकिन इसका सही तरीके से इस्तेमाल न करने पर यह कई तरह की परेशानी खड़ी कर सकता है। गलत इस्तेमाल से म्यूक्रोमायकोसिस , हाई शुगर जैसी परेशानी के शिकार हो रहे है। संजय गांधी पीजीआइ के न्यूरो ईएनटी विशेषज्ञ एवं यूपी ईएनटी एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. अमति केशरी जो इस समय कोरोना वार्ड में ड्यूटी पर तैनात है कहते है कि प्रदेश में लगभग 70 मामले म्यूक्रोमायकोसिस के मामले आए है जो जीवन के लिए खतरनाक साबित हो रहैं। प्रदेश के डॉक्टरों के जागरूक करने के लिए हम लोग इस स्थिति से निपटने के लिए गाइडलाइन जारी करने जा रहें। इस स्थित में साइनस में फंगस ग्रो हो जाता है जिसके कारण परेशानी हो रही है। फेफड़ों में भी फंगस हो रहा है। इसके साथ स्टेरॉयड के कारण शुगर भी काफी तेजी से भाग रहा है। शुगर का स्तर लंबे समय तक बढे होने पर शरीर के अंग खराब हो सकते हैं। स्टेरॉयड किस मात्रा कब तक लेनी है इस विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पहले तो डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए लेकिन इस समय डॉक्टर भी नहीं मिल पा रहे है दूर दराज इलाकों में फोन से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है ऐसे में और सावधानी की जरूरत है। स्टेरायड ले रहे हैं तो शुगर का बढ़ना तय है इसके नियंत्रित करने के लिए हर पल इसके स्तर पर नजर रखनी होगी। इंसुलिन लेकर इसे नियंत्रित करें। प्रो. अमित का कहना है कि कोरोना संक्रमित मरीज यदि स्टेरायड लिए  तो संक्रमण ठीक होने के बाद भी लगातार कई महीने तक शुगर पर नजर रखना होगा इसका मैनेजमेंट करना होगा। देखा गया है कि लोगों को इस दवा से आराम मिल रहा है तो लंबे समय तक लेते रह जा रहे हैं।

  

क्या है  म्यूक्रोमायकोसिस

एक तरह का फंगल इंफेक्शन है। इसका असर फेफड़ेदिमाग और स्किन पर होता है। ब्लैक फंगस होने वाले लोगों की आंखों की रोशनी चली जाती है। ज्यादा बढ़ने पर इससे कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी भी गल जाती है। समय रहते अगर मरीज ठीक ना हो तो मौत भी हो सकती है।'म्यूकॉरनामक फंगल से होता है। जो शरीर में ज्यादातर गीली सतहों पर पाया जाता है।

किन मरीजों को म्यूक्रोमायकोसिस

क्मारोइकोसिस होने का खतरा ज्यादा है?

म्यूकोरमायकोसिस के मामले डायबिटिक यानी शुगर के मरीजों में मिलते रहते हैं। लेकिन अगर शुगर कंट्रोल में नहीं है और मरीज को कोविड हो जाए तो खतरा और भी अधिक बढ़ जाता है। इम्यूनिटी बहुत कमजोर होती है या कम होती है। जो शुगर पेशेंट में होता है। वहां कोरोना से ठीक हुए मरीजों की इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाती है,  इसलिए कोविड से रिकवर हुए मरीज म्यूक्रोमायकोसिस का शिकार हो सकते हैं। 

 

क्या करें..........

-प्री डायबटिक कोरोना संक्रमित यानि जिनमें पहले शुगर नहीं रहा है उन्हे और सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि उनके पास न तो ग्लूकोमीटर रहता है और न दवाएं । इस लिए इनमें स्टेरायड लेने पर तेजी से शुगर का स्तर बढ़ता है । इन लोगों को शुगर बढ़ते ही दवा शुरू करने की जरूरत है।

- कोरोना संक्रमण खत्म होने बाद भी लंबे समय तक शुगर पर नजर रखने की जरूरत है।

- कोरोना संक्रमण होने पर पहले चार दिन हल्का बुखार आता है पांचवें दिन तेज बुखार होता है ऐसा देखा गया है इस लिए स्टेरॉयड पांचवें दिन शुरू के और दसवें दिन बंद कर दें

- नार्मल सेलाइन से नेबुलाइजर करें

- नाक में नार्मल सेलाइन की कुछ बंद डाल सकते है

- नाक में सरसों का तेल भी डाल सकते है

-ऑक्सीजन के साथ ध्यान रखें पानी न जाने पाए

- ऑक्सीजन के साथ लगने वाले पानी को उबाल कर हर दिन बदलते रहें

- पानी ऑक्सीजन के साथ न जाए इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है

- डेक्सामेथासोन दे रहे है चार-चार मिली ग्राम दो बार में दें यदि मिथाइल प्रिडसन सिलोन दे रहे है तो 16 -16 दोबार में दें लेकिन चार दिन सभी बंद कर दें।  

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