गुरुवार, 6 मई 2021

सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं में रूकावट का खुलासा करता है डी डायमर - डी डायमर का स्तर बढने से कोरोना संक्रमण की नहीं होती है पुष्टि

 


सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं में रूकावट का खुलासा करता है डी डायमर

 

डी डायमर का स्तर बढने से कोरोना संक्रमण की नहीं होती है पुष्टि

 

कोविड में होने वाले हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक को रोकने में सहायक है डी डायमर टेस्‍ट

 

 

       कोविड के चलते होने वाले हार्ट अटैक  ब्रेन स्‍ट्रोक, फेफड़े के रक्त वाहिकाओं में रुकावट का कारण ब्लड में खून का थक्का बनना होता है। थक्का बनने की आशंका का पता समय रहते लग जाए तो खून को पतला करने की दवाओं से काफी हद कर समाप्त किया जा सकता है। ब्लड में बनने वाले इसी थक्‍के की आशंका का पता डी डायमर टेस्ट से की जाती है।  उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल के सदस्य, आईएमए लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ पैथोलॉजिस्ट डॉ पीके गुप्ता के इस ब्लड जांच का संबंध शरीर मे सूक्ष्म क्लॉट बनने से हार्ट अटैक एवं ब्रेन स्ट्रोक की संभावना को समय रहते पहचान कर रोका जा सकता है।  डॉ गुप्ता का कहना है कि कागुलेशन एब्नार्मेलिटी से जुडा यह जांच डिसेमिनेटेड इंट्रा वेस्कुलर कागुलेशन (डीआईसी) , डीप बेन थ्रोम्बोसिस( डीवीटी) सहित अन्य परेशानियों में किया जा रहा है। यह जांच कोविड संक्रमण के इलाज के दौरान अन्य इंफ्लामेटरी मार्कर सीआरपी फिरेटेनिन , एलडीएच साथ कराया  जा रहा है।  डा. गुप्ता से स्पष्ट किया इस जांच से कोरोना के संक्रमण का पता नहीं लगता है। इसके बढ़ने से नहीं संक्रमण की पुष्टि होती है। कई दूसरी परेशानी में भी इसका स्तर बढ़ जाता है। 

 

डी डायमर क्‍या है

 

डी डायमर  ब्लड मे माइक्रो क्लॉट्स के  डिजनरेशन  से बनने वाला प्रोटीन होता है जिसे  फिबरिन डी जनरेशन प्रोडक्ट  भी कहते है। यह शरीर के अंदर सामान्य रक्त के थक्का बनाने की क्रिया का पार्ट होता है लेकिन शरीर मे संक्रमण अथवा सूजन के कारण कई पैथोलॉजिकल कंडीशन मे यह मात्रा बढ़ जाती है ब्लड मे इसी माइक्रो क्लाट  प्रोटीन की मात्रा मापने के लिए डी डायमर टेस्ट किया जाता है।

 

निमोनिया में बढ़ने की रहती है आशंका

 

  कोविड संक्रमण में निमोनिया होने की संभावना पर डीआईसी की आशंका रहती है ।समय से  टेस्ट हो जाये तथा एब्नार्मल माइक्रो क्लाट  बनने की पहचान हो जाने पर हम इसके गंभीर परेशानी  जैसे लंग में सीवियर निमोनिया हार्ट अटैक तथा ब्रेन स्ट्रोक से मरीज को बचा सकते है । इसकी मात्रा बढी होने पर रक्त महीन थक्के को गलाने के लिए और बनने से रोकने के लिए एंटी कागुलेंट यानी खून पतला करने की दवा देते हैं। यह जांच मरीज को अपने चिकित्सक के सलाह पर ही करना चाहिए।  ब्लड का नमूना विशेष सावधानी के साथ लाइट ब्लू रंग के साइट्रेट ट्यूब में एक निश्चित मात्रा में लिया जाता है यह टेस्ट लैब में पहुचने बाद शीघ्र शुरू किया जाता है, इसके लिए जरूरी है कि यथासंभव मरीज का सैंपल आसपास ही पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर द्वारा संचालित लैब में देना चाहिए अन्यथा बहुत दूर सैंपल ट्रांसपोर्ट करने से जांच की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।  यह जांच एबनार्मल क्लाट के डायग्नोसिस के साथ इलाज के प्रभाव को मॉनिटर करने के लिए भी कई बार कराया जाता है।

 

सामान्य में 500 से रहता है कम

 डी डायमर   की नार्मल रेंज  स्वस्‍थ व्यक्ति मे सामान्य 500 नैनो ग्राम प्रति एमएल होता है।  कोविड संक्रमण मे लंग्‍स में निमोनिया तथा माइक्रो वैस्कुलर इंजरी के कारण  के कारण अधिक मात्रा मे एब्नार्मल माइक्रोक्लाट बनने से

 बनने से बढा हुई आ सकती है।  यदि वैल्यू सामान्य से दो गुना से ज्यादा है तो यह अलार्मिंग सिग्नल होता है जो गंभीर मरीजों में हार्ट अटैक तथा ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है ।

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