शुक्रवार, 14 मई 2021

एसीबीटी फिजियोथेरेपी तकनीक से मिलेगा फेफड़ों को दम



 एसीबीटी फिजियोथेरेपी तकनीक से मिलेगा फेफड़ों को दम

 

संक्रमण के दौरान और बाद दोनों में फिजियोथेरेपी से राहत

 

 

कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज जो आईसीयू में भर्ती है उन मरीजों में एक्टिव सायकिल आफ ब्रीथिंग(एसीबीटी) तकनीक फेफड़ों की कार्य शक्ति बढ़ाने में कारगर साबित हो रही है। संजय गांधी पीजीआइ के मुख्य फिजियोथेरेपिस्ट डा. बृजेश त्रिपाठी के मुताबिक आईसीयू में इस तकनीक से दो से चार फीसदी तक फेफड़ों की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी देखी गयी है। इस तकनीक से फेफड़े का नलियां  साफ होती है। फेफड़ों में जमाव खत्म या कम होता है। डा. त्रिपाठी के मुताबिक हम लोग कोविड अस्पताल में भर्ती मरीजों में रेगुलर विभिन्न तरीके से फिजियोथेरेपी दे रहे है जिसका असर भी दिख रहा है। फिजियोथेरेपिस्ट डा.नीलम मिश्रा के मुताबिक कोरोना संक्रमित मरीजों में फिजियोथेरेपी सामान्य मरीजों के काफी अलग और चुनौती भरा होता है। इन मरीजों में ऑक्सीजन का स्तर पहले से कम होता है । फिजियोथेरेपी देते समय शरीर में ऑक्सीजन की मांग बढ़ जाती है । इनमें पहले से ऑक्सीजन का स्तर कम होता है। इस लिए सबसे पहले पल्स आक्सीमीटर पर नजर रखते हुए हम लोग फिजिकल थेरेपी पर कम करते हुए ब्रीथिंग थेरेपी पर अधिक ध्यान देते है।  विशेषज्ञों का कहना है कि  कोरोना से संक्रमित रोगियों को फिजियोथेरेपी के जरिए चेस्ट फिजियोथेरेपीब्रीदिंग एक्सरसाइजकफिंग एंड हफिंगपर्क्यूशन (टैपिंग)प्रोनिंगपोजिशनिंग आदि उपचार दिये जाते हैंजिनसे उनके ऑक्सीजन स्तर में सुधार होता हैफेफड़े स्वच्छ और मजबूत बनते हैंसाथ ही छाती में मौजूद रक्त-संतुलन भी ठीक होता है। संक्रमित मरीज को स्टीम और स्पाइरोमीटर से ब्रीथिंग थेरेपी काफी फायदा होता है।

 

 

संक्रमण के बाद भी जरूरी है फिजियोथेरेपी

 

विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण खत्म होने के बाद सांस की फिजियोथेरेपी के साथ फिजिकल थेरेपी करने से शरीर और फेफड़े की कमजोरी दूर होती है। इसके लिए किसी से भी फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।  

 

       

 

 

 

कब दी जाती है चेस्ट फिजियोथेरेपी

शुरुआती लक्षणों के दिखते ही एकदम थेरेपी नहीं दी जानी चाहिए।  निमोनिया जैसी स्थिति से लेकर कोरोना के गंभीर मरीजों को चेस्ट फिजियोथेरेपी दी जाएगी। सांस लेने में दिक्कत होने पर चेस्ट फिजियोथेरेपी की सलाह दे सकते  हैं। इस थेरेपी में एक ग्रुप होता है। इसमें पॉस्च्युरल ड्रेनेजचेस्ट परफ्यूजनचेस्ट वाइब्रेशनटर्निंगडीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसी कई थेरेपी शामिल होती हैं।

 

 

 

फेफड़ों के अंदर गुब्बारे जैसी संरचना-

-9 हजार लीटर तक हवा की जरूरत होती सांस लेने के लिए इंसान को हर रोज

-17.5 मिलीलीटर पानी बाहर सांस छोड़ते हुए फेंकता हैजब एक इंसान आराम की स्थिति में होता है

-30 करोड़ गुब्बारों जैसी संरचना होती है इंसान के फेफड़ों के भीतर

 

 

 

 

संक्रमित लेटे तो ऐसे

 

डा.नीलम के मुताबिक कोरोना संक्रमितों के लिए सोने की चार पोजीशन बहुत जरूरी हैं। इसमें 30 मिनट से दो घंटे तक पेट के बल सोएं, 30 मिनट से दो घंटे तक बाएं करवट, 30 मिनट से दो घंटे तक दाएं करवट व 30 मिनट से दो घंटे तक दोनों पैरों को सीधा कर पीठ को किसी जगह टिका कर बैठें।

 

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