मंगलवार, 25 मई 2021

पीजीआइ कोरोना संक्रमित मरीजों की विशेष डायलिसिस तकनीक से किडनी फिर हो रही है ठीक

 

पीजीआइ  कोरोना कर सकता है किडनी को परेशान

विशेष डायलिसिस तकनीक से किडनी फिर हो रही है ठीक

कोरोना संक्रमित किडनी मरीजों के डायलिसिस में विशेष सावधानी


 

कोरोना संक्रमित सात से दस फीसदी लोगों में एक्यूट किडनी इंजरी हो सकती है जिसके कारण किडनी के कार्य क्षमता में कमी आ जाती है। सीरम क्रिएटिनिन अन्य मार्कर बढ़ जाते है। इस मामले में किडनी की खराबी को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। संजय गांधी पीजीआइ के नेफ्रोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. नारायण प्रसाद के मुताबिक एक्यूट किडनी इंजरी वाले एक से दो फीसदी में डायलिसिस सहित अन्य इलाज से दोबारा किडनी की कार्यक्षमता को ठीक किया जा सकता है। इनमें सामान्य डायलिसिस के अलावा स्लो लो इफिशिएंसी डायलिसिस( स्लेड)  या कंटीन्यूअस लो एफिशिएंसी डायलिसिस तकनीक की जरूरत होती है। सामान्य डायलिसिस में तीन से चार घंटे लगते है लेकिन स्लेड या सीआरआरटी(कॉन्टिनयस रीनल रिप्लेस मेन्ट थेरपी) तकनीक में लगातार 24 घंटे से दो दिन तक लगातार डायलिसिस होती है। इस दौरान रक्तदाब सहित अन्य मानकों का विशेष ध्यान रखना होता है। देखा है कि विशेष डायलिसिस तकनीक से 90 फीसदी तक एक्यूट किडनी इंजरी के कारण किडनी खराबी ठीक हो जाती है। प्रो. नरायन ने बताया कि कोरोना का संक्रमण होने पर कई बार रक्त दाब में कमी, साइटोकाइन स्टार्म के कारण किडनी प्रभावित होती है जिसके कारण किडनी की कार्य क्षमता प्रभावित होती है। प्रो. नारायण ने कहा कि किडनी खराबी के मरीज किसी भी स्थिति में इमरजेंसी और होल्डिंग एरिया में संपर्क कर इलाज की सुविधा ले सकते हैं।  

 

कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए 11 डायलिसिस स्टेशन

प्रो. नारायण ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए कोविड अस्पताल में 11 डायलिसिस स्टेशन है। इस पर 24 घंटे डायलिसिस की सुविधा है। किसी भी कोरोना संक्रमित मरीज को डायलिसिस के लिए हम लोग कहीं नहीं भेजते है। इन मरीजों में डायलिसिस के साथ कोरोना का भी इलाज चलता है जिसके कारण विशेष सावधानी  और केयर की जरूरत होती है। आईसीयू में भर्ती मरीज की वहीं पर डायलिसिस की जाती है। इस कोरोना काल में 274 कोरोना संक्रमित मरीजों का डायलिसिस हो चुका है। 

  

नान कोविड के 55 डायलिसिस स्टेशन

नान कोविड मरीजों के मुख्य अस्पताल में 55 डायलिसिस सेंटर है। इस साल अभी तक लगभग दस हजार मरीजों में डायलिसिस सेंशन किया जा चुका है। इसके साथ सस्पेक्टेड मरीजों के लिए होल्डिंग एरिया में भी तीन स्टेशन स्थापित है।   कोरोना कर सकता है किडनी को परेशान

विशेष डायलिसिस तकनीक से किडनी फिर हो रही है ठीक

कोरोना संक्रमित किडनी मरीजों के डायलिसिस में विशेष सावधानी


 

कोरोना संक्रमित सात से दस फीसदी लोगों में एक्यूट किडनी इंजरी हो सकती है जिसके कारण किडनी के कार्य क्षमता में कमी आ जाती है। सीरम क्रिएटिनिन अन्य मार्कर बढ़ जाते है। इस मामले में किडनी की खराबी को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। संजय गांधी पीजीआइ के नेफ्रोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. नारायण प्रसाद के मुताबिक एक्यूट किडनी इंजरी वाले एक से दो फीसदी में डायलिसिस सहित अन्य इलाज से दोबारा किडनी की कार्यक्षमता को ठीक किया जा सकता है। इनमें सामान्य डायलिसिस के अलावा स्लो लो इफिशिएंसी डायलिसिस( स्लेड)  या कंटीन्यूअस लो एफिशिएंसी डायलिसिस तकनीक की जरूरत होती है। सामान्य डायलिसिस में तीन से चार घंटे लगते है लेकिन स्लेड या सीआरआरटी(कॉन्टिनयस रीनल रिप्लेस मेन्ट थेरपी) तकनीक में लगातार 24 घंटे से दो दिन तक लगातार डायलिसिस होती है। इस दौरान रक्तदाब सहित अन्य मानकों का विशेष ध्यान रखना होता है। देखा है कि विशेष डायलिसिस तकनीक से 90 फीसदी तक एक्यूट किडनी इंजरी के कारण किडनी खराबी ठीक हो जाती है। प्रो. नरायन ने बताया कि कोरोना का संक्रमण होने पर कई बार रक्त दाब में कमी, साइटोकाइन स्टार्म के कारण किडनी प्रभावित होती है जिसके कारण किडनी की कार्य क्षमता प्रभावित होती है। प्रो. नारायण ने कहा कि किडनी खराबी के मरीज किसी भी स्थिति में इमरजेंसी और होल्डिंग एरिया में संपर्क कर इलाज की सुविधा ले सकते हैं।  

 

कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए 11 डायलिसिस स्टेशन

प्रो. नारायण ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए कोविड अस्पताल में 11 डायलिसिस स्टेशन है। इस पर 24 घंटे डायलिसिस की सुविधा है। किसी भी कोरोना संक्रमित मरीज को डायलिसिस के लिए हम लोग कहीं नहीं भेजते है। इन मरीजों में डायलिसिस के साथ कोरोना का भी इलाज चलता है जिसके कारण विशेष सावधानी  और केयर की जरूरत होती है। आईसीयू में भर्ती मरीज की वहीं पर डायलिसिस की जाती है। इस कोरोना काल में 274 कोरोना संक्रमित मरीजों का डायलिसिस हो चुका है। 

  

नान कोविड के 55 डायलिसिस स्टेशन

नान कोविड मरीजों के मुख्य अस्पताल में 55 डायलिसिस सेंटर है। इस साल अभी तक लगभग दस हजार मरीजों में डायलिसिस सेंशन किया जा चुका है। इसके साथ सस्पेक्टेड मरीजों के लिए होल्डिंग एरिया में भी तीन स्टेशन स्थापित है। 

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