बच्चों को संक्रमण से बचाना है तो खुद पहले
टीके का सुरक्षा कवच
अभी टीके का बच्चों पर देखा जा रहा है
इफेक्टिवनेस
अठारह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए फिलहाल कोई टीका नहीं है ऐसे में बच्चों के कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए 18 साल से ऊपर के लोगों को टीका लगवाकर सुरक्षित होना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को टीका न देने की पीछे कारण यह है कि बच्चों में वैक्सीन की इफेक्टिवनेस की जांच नहीं हो पायी है। बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें हम इन्फेक्शन से दूर रखें। हम बच्चों के साथ रह रहे सभी वयस्कों को वैक्सीनेट कराएं। दूसरा, बच्चों को कोरोना से बचने के उपाय सिखाएं। लोक बंधु अस्पताल के अस्थि रोग एव कोरोना एक्सपर्ट आज कल कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर रहे डॉ आलोक सोनकर कहते हैंइस समय जो वैक्सीन भारत में इस्तेमाल हो रही हैं, उनका बच्चों पर कोई ट्रायल नहीं हुआ है। दुनियाभर में कुछ क्लिनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं, जिसमें बच्चों पर कोविड-19 वैक्सीन की इफेक्टिवनेस और सेफ्टी जांची जा रही है। जब तक ट्रायल्स पूरे नहीं हो जाते, यह वैक्सीन बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित और इफेक्टिव साबित नहीं होती, तब तक हमें इंतजार करना होगा। कोरोना वायरस का इन्फेक्शन सभी एज ग्रुप में हो रहा है। पर 50 वर्ष से ज्यादा एज ग्रुप के लोगों के लिए खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बच्चों में इन्फेक्शन बिना किसी लक्षण वाले या माइल्ड इन्फेक्शन के तौर पर ही देखा गया है। डॉ आलोक कहते है कोरोना वायरस सभी आयु समूहों को प्रभावित करता है और सभी के लिए यह जरूरी हो जाता है कि इससे बचने के लिए जो भी हो सकता है, वह जरूर करें। पैरेंट्स को कोरोना से जुड़े व्यवहार का सख्ती से पालन करना होगा। बच्चों के लिए भी जरूरी है कि वे इन उपायों को अपनी दिनचर्या और आदत का हिस्सा बनाएं। पेरेंट्स को अपने बच्चों से बात करने और उनके सवालों का जवाब देने और उनके डर को कम करना चाहिए। यह भी तय करें कि उनके बच्चे ऐसे बच्चों के साथ खेलें जिनके परिवार में सभी वयस्कों ने वैक्सीन लगवाई हो और जो हमेशा कोरोना से बचने के उपायों का सख्ती से पालन करते हैं। और सबसे जरूरी बात है, फिजिकल डिस्टेंसिंग। परिवार के बाहर सुनिश्चित करें कि बच्चे और बड़े भी दूसरों से दूरी बनाए रखें।
बच्चों की क्रियाशीलता है उनका कवच
आम तौर
पर सभी आयु समूहों में जो लोग सही खाना खाते हैं और सक्रिय जीवन शैली का पालन करते
हैं, उनमें इम्यूनिटी मजबूत होती है। कोरोना सभी आयु समूहों को प्रभावित
जरूर कर रहा है। लाइफस्टाइल हेल्दी है, उन्हें कोरोना ने ज्यादा परेशान नहीं
किया। बच्चों की एक्टिविटी का स्तर अन्य के मुकाबले अधिक रहता है, जिससे
उन्हें इन्फेक्शन ज्यादा परेशान नहीं कर रहा।
लापरवाही से बच्चों में हो सकता है संक्रमण
कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हुई तो लोगों को लगने लगा कि इस वायरस को हराने में टीकाकरण ही काफी होगा। वे फिर से वैसा ही जीवन जीने लगे, जैसा महामारी से पहले जी रहे थे। कई लोगों ने सामाजिक दूरी और मास्क लगाने के नियमों की अनदेखी शुरू की। इसी वजह से पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष बच्चों में दर्ज संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
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