शनिवार, 13 दिसंबर 2025

ल्यूपस के मरीजों में एक न्यूमोकोकल वैक्सीन भी कारगर

 



ल्यूपस के मरीजों में एक न्यूमोकोकल वैक्सीन भी कारगर

ल्यूपस से पीड़ित मरीजों के लिए यह एक अहम और राहत देने वाला निष्कर्ष सामने आया है। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग में किए गए शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि निमोनिया से बचाव के लिए दी जाने वाली दो न्यूमोकोकल वैक्सीन की बजाय केवल एक वैक्सीन भी प्रभावी सुरक्षा दे सकती है। इससे मरीजों को आर्थिक रूप से बड़ा लाभ मिल सकता है।

क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर रूद्रार्पण चटर्जी और डॉ. साई यसश्वनी ने बताया कि ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। ऐसे में न्यूमोकोकल बैक्टीरिया से होने वाला निमोनिया इन मरीजों में तेजी से गंभीर रूप ले सकता है और कई बार मृत्यु का कारण भी बनता है। इसी वजह से ल्यूपस के मरीजों को न्यूमोकोकल वैक्सीनेशन की सलाह दी जाती है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में निमोनिया से बचाव के लिए दो तरह की न्यूमोकोकल वैक्सीन दी जाती हैं। इनमें पहली वैक्सीन की औसत कीमत तीन से चार हजार रुपये के बीच होती है, जबकि दूसरी वैक्सीन पर करीब डेढ़ से दो हजार रुपये का खर्च आता है। यानी दोनों वैक्सीन लगवाने पर मरीज को कुल मिलाकर लगभग पांच से छह हजार रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं।

एसजीपीजीआई में किए गए इस अध्ययन में करीब 80 से 100 ल्यूपस मरीजों को शामिल किया गया, जिनमें वैक्सीन के बाद बनने वाली प्रतिरक्षा का वैज्ञानिक विश्लेषण किया गया। शोध में यह पाया गया कि केवल एक न्यूमोकोकल वैक्सीन लेने वाले मरीजों में भी पर्याप्त एंटीबॉडी विकसित हुईं, जो निमोनिया से बचाव के लिए सक्षम थीं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि एक वैक्सीन से ही प्रभावी सुरक्षा मिल जाती है, तो इससे मरीजों का वैक्सीनेशन खर्च लगभग आधा हो सकता है। इसका सीधा फायदा आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को मिलेगा और वे बिना बोझ के समय पर टीकाकरण करा सकेंगे।

डॉक्टरों ने जोर देकर कहा कि ल्यूपस के मरीजों को संक्रमण से बचाव के लिए नियमित फॉलोअप, समय पर वैक्सीनेशन और चिकित्सकीय सलाह का पालन जरूर करना चाहिए। यह शोध भविष्य में इलाज की गाइडलाइंस को सरल और किफायती बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।






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