पीजीआई ने किडनी स्टोन सर्जरी को सुरक्षित बनाने के लिए बनाया पीसीएनएल रिस्क कैलकुलेटर वेब टूल
सर्जरी से पहले ही संक्रमण और सेप्सिस का जोखिम जानने में होगी मदद
किडनी स्टोन की सर्जरी से पहले संक्रमण की आशंका का पता लगाएगा नया एआई-आधारित रिस्क टूल।
800 मरीजों पर किए गए शोध से मिली सटीक जानकारी।
कुमार संजय
संजय गांधी पीजीआई, लखनऊ के यूरोलॉजी विभाग ने किडनी स्टोन के इलाज के लिए होने वाली परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी (पीसीएनएल) सर्जरी के बाद होने वाले संक्रमण, सिस्टेमिक इंफ्लेमेटरी रिस्पॉन्स सिंड्रोम (एसआईआरएस) और सेप्सिस की भविष्यवाणी करने वाला देश का पहला एआई-आधारित रिस्क कैलकुलेटर टूल तैयार किया है।
इस टूल को यूरोलॉजी विभाग के किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट और यूरोलॉजिस्ट प्रो. संजय सुरेखा के नेतृत्व में डॉ. आलोक दत्ता और डॉ. अर्पण यादव ने तैयार किया है।
एसजीपीजीआई पीसीएनएल रिस्क कैलकुलेटर के रूप में यह टूल जल्द ही एक वेब-आधारित सेवा के रूप में लॉन्च किया जाएगा, जिसका देशभर के यूरोलॉजिस्ट उपयोग कर सकेंगे। इस टूल के जरिए सर्जरी के बाद संक्रमण और सेप्सिस की आशंका का पहले से पता लगाया जा सकेगा, जिससे इलाज में समय रहते बदलाव कर सर्जरी को सुरक्षित बनाया जा सकेगा।
प्रो-कैल्सिटोनिन सहित ग्यारह कारकों पर रखनी है नजर
प्रो. संजय सुरेखा का कहना है कि स्टोन का आकार, यूरिन पीएच का अधिक क्षारीकरण और पोस्ट-ऑप प्रो-कैल्सिटोनिन स्तर में वृद्धि ऐसे प्रमुख संकेत हैं, जो मरीज में संक्रमण के जोखिम को कई गुना बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, प्री-ऑपरेटिव इंफेक्शन, यूरिन कल्चर, डब्ल्यूबीसी काउंट और ऑपरेशन का समय भी सेप्सिस के प्रमुख पैरामीटर हैं।
दिलचस्प रूप से, डायबिटीज को स्वतंत्र रूप से संक्रमण का कारण नहीं पाया गया, जबकि इसे अब तक संक्रमण का एक बड़ा कारण माना जाता था। शोध में यह भी पाया गया कि हर 1 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर प्रो-कैल्सिटोनिन (पीसीटी) की बढ़ोतरी पर सेप्सिस का खतरा 21 फीसदी तक बढ़ जाता है।
सर्जरी के बाद बढ़ जाता है सेप्सिस का खतरा
पीसीएनएल सर्जरी के बाद लगभग 44 फीसदी मरीजों को बुखार, 27 फीसदी को SIRS और 8 फीसदी को सेप्सिस का सामना करना पड़ा। इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि बड़े और संक्रमित स्टोन वाले मरीजों में संक्रमण का जोखिम अधिक रहता है। खासतौर पर स्टैगहॉर्न स्टोन या 40 मिमी से बड़े स्टोन वाले मरीजों में यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
एआई-आधारित रिस्क कैलकुलेटर
सर्जरी से जुड़े बुखार और सेप्सिस का पूर्वानुमान लगाने के लिए तीन मॉडल बनाए गए। इन मॉडलों का एरिया अंडर कर्व क्रमशः 0.82, 0.79 और 0.85 पाया गया, जो इनकी उच्च सटीकता को दर्शाता है। इससे डॉक्टर ऑपरेशन के तुरंत बाद मरीज के जोखिम को शीघ्र पहचान सकेंगे। इसके परिणामस्वरूप डॉक्टर यह तय कर सकेंगे कि किस मरीज को आईसीयू निगरानी, एंटीबायोटिक उपचार सहित विशेष देखभाल की आवश्यकता है।
क्या होता है पीसीएनएल
पीसीएनएल में डॉक्टर पीठ की त्वचा से एक छोटा सा छेद करके सीधे किडनी तक पहुँचते हैं और विशेष उपकरणों से पथरी को तोड़कर या निकालकर बाहर कर देते हैं। इसमें आमतौर पर बड़ा चीरा नहीं लगाया जाता।जब किडनी स्टोन 2 सेमी से बड़े हों, पथरी बहुत कठोर या जटिल हो, या दवाओं अथवा शॉक वेव से पथरी न निकले, तब यह सर्जरी की जाती है।


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