बुधवार, 17 दिसंबर 2025

विदेशी नेफ्रोलॉजिस्टों को भी इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी की ट्रेनिंग दे रहा पीजीआई

 

इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी का 42वां वार्षिक अधिवेशन आज से


 


विदेशी नेफ्रोलॉजिस्टों को भी इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी की ट्रेनिंग दे रहा पीजीआई


अगले साल से हर वर्ष होंगे 250 किडनी ट्रांसप्लांट


 


 संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी के क्षेत्र में न केवल देश बल्कि विदेश के किडनी रोग विशेषज्ञों को भी प्रशिक्षण दे रहा है। संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग ने हाल ही में इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी की विशेषज्ञता शुरू कर इसे सफलतापूर्वक स्थापित किया है। इसके बाद मैक्सिको, म्यांमार और इथियोपिया से आए विशेषज्ञों ने यहां प्रशिक्षण प्राप्त किया।


 


यह जानकारी नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. नारायण प्रसाद ने इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के 42वें वार्षिक अधिवेशन से पूर्व आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी किडनी रोगों के इलाज की वह आधुनिक विधा है, जिसमें डायलिसिस के लिए फिस्टुला (विशेष नस) बनाना, डायलिसिस कैथेटर डालना, ब्लड वेसल से जुड़ी जटिल प्रक्रियाएं तथा बायोप्सी जैसी तकनीकी प्रक्रियाएं बिना बड़े ऑपरेशन के की जाती हैं। इससे मरीजों को जल्दी राहत मिलती है और जटिलताएं भी कम होती हैं।


 


प्रो. नारायण प्रसाद ने बताया कि इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी का चार दिवसीय वार्षिक अधिवेशन 18 से 21 दिसंबर तक एसजीपीजीआई परिसर में आयोजित किया जा रहा है। अधिवेशन के दौरान छह वर्कशॉप होंगी, जिनमें इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी के अलावा ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी, क्रिटिकल केयर नेफ्रोलॉजी, ऑन्को-नेफ्रोलॉजी, पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी समेत अन्य विषय शामिल हैं। अधिवेशन में किडनी रोगों की अर्ली डिटेक्शन पर विशेष जोर दिया जाएगा।


 


अधिवेशन में 25 देशों से विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। करीब दो हजार डॉक्टर इसमें शामिल होंगे, जिनमें बड़ी संख्या में मेडिकल छात्र भी होंगे।


 


नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रो. अनुपमा कौल ने बताया कि संस्थान अगले वर्ष से हर साल 250 किडनी ट्रांसप्लांट करने का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में कार्य कर रहा है। इसके लिए यूरोलॉजिस्ट, किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ और एनेस्थीसिया विभाग की टीमें भी पूरी तरह से तैयार की जा रही हैं।


 


डब्ल्यूएचओ ने किडनी डिजीज को कम्युनिकेबल डिजीज में किया शामिल


 


प्रो. रवि शंकर कुशवाहा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने किडनी डिजीज को कम्युनिकेबल डिजीज की श्रेणी में शामिल किया है। इससे किडनी रोगों की रोकथाम, समय पर पहचान और इलाज को गति मिलेगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने हर जिले में डायलिसिस सेंटर स्थापित कर दिए हैं, जिससे मरीजों को समय पर डायलिसिस की सुविधा मिल पा रही है।


 


किडनी मरीजों में अचानक मृत्यु की दर घटी


 


डॉ. जय कुमार ने बताया कि आधुनिक डायलिसिस मशीनों के उपयोग से किडनी मरीजों में अचानक होने वाली मौतों में करीब 90 प्रतिशत तक कमी आई है। जरूरत पड़ने पर तुरंत डायलिसिस शुरू किया जाता है, जिससे मरीजों में डायलिसिस के दौरान होने वाले दुष्प्रभाव भी काफी कम हुए हैं।


 


मुख्यमंत्री करेंगे अधिवेशन का उद्घाटन


 


प्रो. नारायण प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज शाम 6.30 बजे अधिवेशन का उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, राज्य चिकित्सा शिक्षा मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह सहित अन्य विशिष्ट अतिथि भी मौजूद रहेंगे।

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