सोमवार, 8 दिसंबर 2025

गंगाजल से होगा पेट की बीमारी का इलाज

 



गंगाजल से होगा पेट की बीमारी का इलाज

केजीएमयू और अयोध्या मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का महत्वपूर्ण शोध

कुमार संजय


गंगाजल से तैयार फेज थेरेपी अब पेट की बीमारियों के इलाज में नई उम्मीद जगा रही है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ और राजर्षि दशरथ ऑटोनॉमस स्टेट मेडिकल कॉलेज, अयोध्या के डॉक्टरों ने संयुक्त रूप से यह अध्ययन किया। शोध में 18 से 65 वर्ष आयु के 50 मरीज शामिल किए गए, जिन्हें लंबे समय से अपच, पेट में जलन, भारीपन और हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण की समस्या थी। संक्रमण की पुष्टि रैपिड यूरियेज़ टेस्ट से हुई।


मरीजों को दो समूहों में विभाजित किया गया—

पहले समूह के 24 मरीजों को केवल एलोपैथिक दवाएं दी गईं, जबकि दूसरे समूह के 26 मरीजों को दवाओं के साथ गंगाजल-आधारित फेज थेरेपी भी दी गई। यह उपचार 14 दिन तक चला।


अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले रहे। केवल दवाएं लेने वाले समूह में 66.7 प्रतिशत मरीज संक्रमण-मुक्त पाए गए, जबकि फेज थेरेपी वाले समूह में यह संख्या 69.2 प्रतिशत रही। हालांकि बड़ी बढ़त प्रतिशत में नहीं दिखी, लेकिन लक्षणों में राहत के मामले में दूसरी श्रेणी के मरीजों ने स्पष्ट बढ़त दिखाई। पेट दर्द, जलन, भारीपन, गैस और भोजन के तुरंत बाद असहजता जैसे लक्षणों में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया। मरीजों ने बताया कि उनकी जीवन-गुणवत्ता भी बेहतर हुई। महत्वपूर्ण बात यह रही कि किसी भी मरीज में कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं मिला—केवल कुछ रोगियों में हल्की मतली या हल्की असहजता दर्ज की गई, जो स्वतः ठीक हो गई।


गंगाजल-फेज थेरेपी कैसे तैयार होती है


शोधकर्ताओं ने गंगाजल को माइक्रो-फ़िल्टर से छानकर उसमें मौजूद प्राकृतिक बैक्टीरियोफेज को अलग किया। ये सूक्ष्म वायरस एच. पाइलोरी जैसे हानिकारक बैक्टीरिया को पहचानकर नष्ट कर देते हैं। बाद में इन्हें मेडिकल-ग्रेड तरल रूप में बदलकर नियंत्रित खुराक में मरीजों को दिया गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि गंगाजल में पहले से मौजूद प्राकृतिक फेज भारत में फेज थेरेपी शोध को नई दिशा दे सकते हैं।


शोधकर्ताओं की टीम


केजीएमयू, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी विभाग —

• डॉ. अजय पाटवा

• डॉ. महेश चंद्र पांडेय

• डॉ. जितेंद्र सिंह

• डॉ. रवि कुमार


राजर्षि दशरथ ऑटोनॉमस स्टेट मेडिकल कॉलेज, अयोध्या —

• डॉ. विरेंद्र वर्मा

• डॉ. अर्चना देवी

• डॉ. भरत झुनझुनवाला


शोध का शीर्षक 

“एलोपैथिक दवाओं के साथ गंगाजल-फेज थेरेपी मिलाकर एच. पाइलोरी संक्रमण व अपच में प्रभाव और सुरक्षा का मूल्यांकन।”


यह अध्ययन ओपन-एक्सेस मेडिकल जर्नल क्यूरियस ने स्वीकार कर लिया है।

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