शनिवार, 13 दिसंबर 2025

भारत में अमीरी-गरीबी की खाई और गहरी — शीर्ष 10 फीसदी के पास 58 फीसदी राष्ट्रीय आय





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भारत में अमीरी-गरीबी की खाई और गहरी — शीर्ष 10 फीसदी के पास 58 फीसदी राष्ट्रीय आय


World Inequality Report 2026 का बड़ा खुलासा, निचले 50 फीसदी को सिर्फ 15 फीसदी आय


नई दिल्ली।

भारत में आर्थिक विकास के बावजूद आय और संपत्ति की असमानता लगातार बढ़ती जा रही है। World Inequality Report 2026 के अनुसार देश में शीर्ष 10 फीसदी कमाने वालों के पास कुल राष्ट्रीय आय का 58 फीसदी हिस्सा सिमट गया है, जबकि देश की आधी आबादी यानी निचले 50 फीसदी लोगों के हिस्से में महज 15 फीसदी आय ही आ रही है। यह आंकड़े भारत में सामाजिक-आर्थिक संतुलन पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।


रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ वर्षों में आर्थिक वृद्धि का लाभ सीमित वर्ग तक ही पहुंच पाया है। आम नागरिक की आय में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं हुई, जबकि उच्च आय वर्ग की संपत्ति और कमाई में तेज इजाफा देखा गया है।


संपत्ति में असमानता और भी ज्यादा गंभीर


रिपोर्ट बताती है कि भारत में संपत्ति की असमानता आय की तुलना में कहीं अधिक गहरी है।


शीर्ष 10 फीसदी लोगों के पास देश की लगभग 65 फीसदी कुल संपत्ति है।


वहीं शीर्ष 1 फीसदी आबादी अकेले करीब 40 फीसदी संपत्ति पर काबिज है।


इसके उलट, निचले 50 फीसदी लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का बेहद छोटा हिस्सा ही है।



विशेषज्ञों के अनुसार इसका सीधा असर आम लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच पर पड़ता है।


आम भारतीय की आय और संपत्ति की स्थिति


World Inequality Report 2026 के अनुसार—


भारत में औसत वार्षिक आय करीब 6,200 यूरो (परचेजिंग पावर पैरिटी के हिसाब से) है।


औसत संपत्ति लगभग 28,000 यूरो बताई गई है।



ये आंकड़े दर्शाते हैं कि देश की बड़ी आबादी सीमित संसाधनों में जीवन यापन कर रही है, जबकि संपत्ति कुछ गिने-चुने लोगों के पास केंद्रित होती जा रही है।


महिलाओं की स्थिति चिंताजनक


रिपोर्ट में लैंगिक असमानता को भी गंभीर मुद्दा बताया गया है।


भारत में महिलाओं की श्रम भागीदारी दर सिर्फ 15.7 फीसदी है, जो दुनिया के कई देशों से काफी कम है।


औपचारिक मजदूरी में महिलाएं पुरुषों की तुलना में औसतन सिर्फ 61 फीसदी कमाती हैं।


अगर अवैतनिक घरेलू काम को जोड़ा जाए तो महिलाओं की वास्तविक आय हिस्सेदारी 32 फीसदी तक सिमट जाती है।



विशेषज्ञों का मानना है कि महिला रोजगार बढ़ाए बिना समावेशी विकास संभव नहीं है।


पहले से ज्यादा बिगड़े हालात


रिपोर्ट के अनुसार पिछली World Inequality Report 2022 की तुलना में असमानता में कोई खास सुधार नहीं हुआ है, बल्कि कुछ मामलों में स्थिति और खराब हुई है।


2021 में भी शीर्ष 10 फीसदी का राष्ट्रीय आय में हिस्सा लगभग 57 फीसदी था, जो अब बढ़कर 58 फीसदी हो गया है।


निचले 50 फीसदी की हिस्सेदारी मामूली बढ़त के बावजूद बेहद कम बनी हुई है।



वैश्विक तस्वीर भी चिंताजनक


रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर भी असमानता को रेखांकित किया गया है—


दुनिया के शीर्ष 10 फीसदी लोगों के पास लगभग 75 फीसदी वैश्विक संपत्ति है।


जबकि दुनिया की आधी आबादी के पास सिर्फ 2 फीसदी संपत्ति है।


सबसे अमीर 0.001 फीसदी लोग (करीब 60 हजार लोग), दुनिया की सबसे गरीब आधी आबादी से तीन गुना ज्यादा संपत्ति रखते हैं।



जलवायु असमानता का भी जिक्र


रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि—


शीर्ष 10 फीसदी आबादी वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के 77 फीसदी के लिए जिम्मेदार है।


जबकि निचले 50 फीसदी लोग सिर्फ 3 फीसदी उत्सर्जन करते हैं।



इससे साफ है कि पर्यावरणीय संकट का सबसे ज्यादा असर गरीब वर्ग पर पड़ता है, जबकि जिम्मेदारी अमीर वर्ग की ज्यादा है।


क्या कहती है रिपोर्ट की चेतावनी


World Inequality Report 2026 के अनुसार यदि समय रहते नीतिगत सुधार नहीं किए गए तो—


सामाजिक असंतोष बढ़ सकता है,


शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं में असमानता और गहरी होगी,


और आर्थिक विकास टिकाऊ नहीं रह पाएगा।



समाधान क्या सुझाए गए


रिपोर्ट में सरकारों को सुझाव दिया गया है कि—


प्रगतिशील कर व्यवस्था लागू की जाए,


उच्च आय और संपत्ति पर प्रभावी कर लगाया जाए,


सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विस्तार हो,


शिक्षा और स्वास्थ्य पर सार्वजनिक निवेश बढ़ाया जाए,


और महिला रोजगार को प्राथमिकता दी जाए।




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