शनिवार, 13 दिसंबर 2025

पीआरपी थैरेपी से गंजेपन के इलाज में नई उम्मीद

 


पीआरपी थैरेपी से गंजेपन के इलाज में नई उम्मीद


तेजी से बदलती जीवनशैली, तनाव, हार्मोनल असंतुलन और आनुवांशिक कारणों से गंजेपन की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई), लखनऊ में पीआरपी (प्लाज्मा रिच प्लेटलेट्स) थैरेपी को लेकर किए गए अध्ययन ने बाल झड़ने से परेशान लोगों के लिए नई उम्मीद जगाई है।


एसजीपीजीआई के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर धीरज खेतान ने प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर अंकुर भटनागर के साथ मिलकर गंजेपन से ग्रसित 68 लोगों पर पीआरपी थैरेपी का सफल प्रयोग किया। इस अध्ययन में मरीजों के अपने ही रक्त से पीआरपी तैयार कर सिर की त्वचा में इंजेक्ट किया गया। उपचार के बाद करीब 40 से 50 प्रतिशत मरीजों में नए बाल उगने लगे, जबकि अन्य में बालों का झड़ना काफी हद तक कम हुआ।


प्रो. धीरज खेतान के अनुसार पीआरपी में प्लेटलेट्स की संख्या सामान्य रक्त की तुलना में कई गुना अधिक होती है। इनमें मौजूद ग्रोथ फैक्टर बालों की जड़ों को सक्रिय करते हैं, जिससे बालों के रोम (हेयर फॉलिकल्स) मजबूत होते हैं और नए बाल उगने की प्रक्रिया शुरू होती है। चूंकि इसमें मरीज के अपने रक्त का उपयोग होता है, इसलिए संक्रमण या एलर्जी की संभावना बेहद कम रहती है।


प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रो. अंकुर भटनागर ने बताया कि पीआरपी थैरेपी विशेष रूप से शुरुआती और मध्यम स्तर के गंजेपन में अधिक प्रभावी पाई गई है। यह उन लोगों के लिए भी उपयोगी विकल्प है जो हेयर ट्रांसप्लांट से डरते हैं या सर्जरी नहीं कराना चाहते। यह एक आउटडोर प्रक्रिया है, जिसमें मरीज इलाज के तुरंत बाद अपनी दिनचर्या शुरू कर सकता है।


विशेषज्ञों का मानना है कि पीआरपी थैरेपी को सही जीवनशैली, संतुलित आहार और तनाव प्रबंधन के साथ अपनाया जाए तो इसके परिणाम और बेहतर हो सकते हैं। एसजीपीजीआई में किए गए इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि आधुनिक चिकित्सा तकनीकों के जरिए गंजेपन जैसी समस्या का सुरक्षित और प्रभावी इलाज संभव है, जिससे हजारों लोगों को आत्मविश्वास और बेहतर जीवन गुणवत्ता मिल सकती है।


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