एंटी माइक्रोबियल व टीबी की दवाएं लेने वाले रहें सजग, पेट और त्वचा पर हो सकता है कुप्रभाव
पीजीआई की एडवर्स ड्रग रिएक्शन निगरानी इकाई के शोध में खुलासा
लखनऊ | कुमार संजय
इलाज के दौरान दी जाने वाली दवाएं जहां मरीजों को बीमारी से राहत देती हैं, वहीं कई बार यही दवाएं शरीर पर प्रतिकूल असर भी डाल सकती हैं। संजय गांधी स्नातकोत्तर चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के अस्पताल प्रशासन विभाग की एडवर्स ड्रग रिएक्शन (दवा से होने वाला कुप्रभाव) निगरानी इकाई द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि एंटी माइक्रोबियल, एंटी वायरल, एंटी फंगल, एंटीबायोटिक, टीबी और कैंसर की दवाओं से मरीजों में सबसे अधिक दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। इन दवाओं का असर मुख्य रूप से त्वचा और पेट यानी पाचन तंत्र पर पड़ा है। शोध टीम में शामिल डॉ. शालिनी त्रिवेदी के अनुसार, एंटी माइक्रोबियल, टीबी और कैंसर की दवाएं देते समय मरीजों की करीबी निगरानी (क्लोज मॉनिटरिंग) बेहद जरूरी है, ताकि दुष्प्रभावों की समय रहते पहचान की जा सके और इलाज को सुरक्षित बनाया जा सके। यह शोध वर्ष 2024 (जनवरी से दिसंबर) के दौरान संस्थान की एडवर्स ड्रग रिएक्शन निगरानी इकाई में दर्ज मामलों के विश्लेषण पर आधारित है। अध्ययन में कुल 213 एडवर्स ड्रग रिएक्शन के मामले दर्ज किए गए। इनमें से 155 मामले एसजीपीजीआई के विभिन्न विभागों से सामने आए, जबकि शेष मामले प्रदेश के अन्य चिकित्सा केंद्रों से रिपोर्ट किए गए।
युवाओं और पूरूषों के अधिक मामले सामने आए
अध्ययन में यह भी सामने आया कि 20 से 30 वर्ष आयु वर्ग के मरीजों में दवाओं से होने वाले कुप्रभाव के मामले सबसे अधिक दर्ज किए गए। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका प्रमुख कारण युवाओं में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता है। युवा मरीज दवा लेने के बाद होने वाली परेशानी को तुरंत डॉक्टरों या स्वास्थ्य कर्मियों को बताते हैं, जबकि अधिक आयु वर्ग के लोग कई बार दुष्प्रभाव को सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है।कुल मामलों में 53 प्रतिशत पुरुष और 47 प्रतिशत महिलाएं शामिल रहीं।
पेट और त्वचा पर अधिक कुप्रभाव
विभागवार विश्लेषण में सबसे अधिक एडवर्स ड्रग रिएक्शन गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (पाचन रोग) विभाग से दर्ज किए गए। इसके बाद रेडियोथेरेपी, पल्मोनरी मेडिसिन और न्यूरोलॉजी विभागों का स्थान रहा। अध्ययन में यह भी पाया गया कि नसों के जरिए दी जाने वाली दवाओं से कुप्रभाव की आशंका अधिक रहती है। 35 प्रतिशत मामलों में त्वचा और चमड़ी से जुड़ी समस्याएं जैसे रैश, खुजली और एलर्जी सामने आईं, जबकि लगभग 30 प्रतिशत मामलों में पेट और पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियां जैसे उल्टी, दस्त और पेट दर्द दर्ज किए गए।
इन्होंने किया शोध
यह शोध “एडवर्स ड्रग रिएक्शन: ए रेट्रोस्पेक्टिव ऑब्जर्वेशनल स्टडी” विषय पर किया गया। शोध दल में प्रो. आर. हर्षवर्धन (चिकित्सा अधीक्षक एवं प्रोफेसर), डॉ. सौरभ सिंह, डॉ. शालिनी त्रिवेदी, डॉ. अमोल जैन, डॉ. वैष्णवी आनंद, डॉ. अक्षिता बंसल और डॉ. अंकित कुमार सिंह शामिल रहे।
दवाओं के दुष्प्रभाव के सामान्य कारण
विशेषज्ञों के मुताबिक उम्र, वजन, किडनी-लिवर की कार्यक्षमता, पुरानी बीमारियां और एलर्जी को ध्यान में रखे बिना दवा देना दुष्प्रभाव का बड़ा कारण है। भर्ती मरीजों में एक साथ कई दवाएं दिए जाने से जोखिम और बढ़ जाता है। लंबे समय तक दवा लेना, बिना समीक्षा दवा जारी रखना और पहले से ली जा रही दवाओं की जानकारी न देना भी नुकसानदायक हो सकता है।
दवा की निर्धारित खुराक का महत्व
हर दवा की तय खुराक होती है। इससे अधिक खुराक लेने पर उल्टी, चक्कर, सुस्ती, ब्लड प्रेशर गिरना, किडनी या लिवर पर असर जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं। भर्ती मरीजों में यदि जांच रिपोर्ट के अनुसार खुराक में बदलाव न किया जाए, तो दवा शरीर में जमा होकर गंभीर परेशानी पैदा कर सकती है। इसलिए अस्पताल और घर—दोनों जगह खुराक का पालन बेहद जरूरी है।
दवाओं का कांबिनेशन और खतरा
कई मरीज एक साथ कई दवाएं लेते हैं या अलग-अलग डॉक्टरों से इलाज कराते हैं। इससे दवाओं के बीच प्रतिक्रिया हो सकती है। भर्ती मरीजों में यह खतरा ज्यादा होता है, क्योंकि उन्हें इंजेक्शन, एंटीबायोटिक, दर्द निवारक और अन्य दवाएं एक साथ दी जाती हैं। कुछ दवाएं एक-दूसरे के असर को बढ़ा देती हैं, जिससे ब्लीडिंग, बेहोशी या अचानक ब्लड प्रेशर गिरने जैसी स्थिति बन सकती है।
मरीजों द्वारा होने वाली आम गलतियां
डॉक्टरों के अनुसार दवा समय पर न लेना, बीच में दवा छोड़ देना, खुद से खुराक बदलना, पुरानी बची दवा दोबारा लेना और दूसरों की दवा लेना बड़ी गलतियां हैं। भर्ती मरीजों या उनके परिजनों द्वारा घर से लाई गई दवा बिना बताए लेना भी खतरनाक हो सकता है। आयुर्वेदिक, हर्बल या सप्लीमेंट दवाएं बिना सलाह लेना भी दुष्प्रभाव बढ़ा सकता है।
असामान्य लक्षणों पर सतर्कता जरूरी
यदि दवा लेने के बाद तेज खुजली, सांस लेने में दिक्कत, चेहरे या होंठों में सूजन, अत्यधिक नींद, उलझन, लगातार उल्टी-दस्त, पेशाब कम होना या त्वचा पर चकत्ते दिखें, तो इसे नजरअंदाज न करें। घर पर इलाज कर रहे मरीज तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और भर्ती मरीज बिना देर किए नर्स या डॉक्टर को जानकारी दें।
बचाव के उपाय
डॉक्टर सलाह देते हैं कि दवा हमेशा पर्चे के अनुसार लें, सभी चल रही दवाओं और एलर्जी की जानकारी डॉक्टर को दें, बिना पूछे कोई दवा न लें और दुष्प्रभाव दिखने पर तुरंत बताएं। डिस्चार्ज के समय दवाओं की सूची और खुराक ठीक से समझ लेना भी जरूरी है। सही जानकारी, सतर्कता और निगरानी से घर और अस्पताल—दोनों जगह दवाओं के दुष्प्रभाव से काफी हद तक बचा जा सकता है।


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