आयोजित इंडियन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के अधिवेशन
सीकेएम: किडनी का नया दुश्मन, भारत-अमेरिका मिलकर करेंगे मुकाबला
संजय गांधी पीजीआई में आयोजित इंडियन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के अधिवेशन में क्रॉनिक किडनी मेटाबोलिक (सीकेएम) को लेकर गंभीर चिंता जताई गई। प्रो. नारायण प्रसाद के अनुसार, सीकेएम वह स्थिति है जिसमें डायबटीज, उच्च रक्तचाप, मोटापा और लिपिड बढ़ा होना जैसी परेशानियां शामिल होती हैं। यह सिर्फ किडनी ही नहीं, बल्कि दिल की बीमारी की आशंका भी बढ़ाता है। भारत में अनुमानित 12-15 फीसदी में सीकेएम की समस्या है, जो तेजी से बढ़ रही है।
अधिवेशन में अमेरिका की नेफ्रोलॉजी सोसाइटी के भारतीय मूल वैज्ञानिकों के साथ मिलकर सीकेएम की रोकथाम, सपोर्टिव मैनेजमेंट और नई थेरेपी पर काम करने का ऐलान किया गया। प्रो. प्रसाद ने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने किडनी डिजीज को कम्युनिकेबल डिजीज की श्रेणी में शामिल कर दिया है। इससे मरीजों को टार्गेटेड थेरेपी, मल्टीपल ड्रग थेरेपी और बड़े स्तर पर बचाव कार्यक्रम मिल सकेंगे।
ग्रीन डायलिसिस पर जोर
प्रो. प्रसाद ने बताया कि एक डायलिसिस में 200 लीटर पानी इस्तेमाल होता है। वेस्ट पानी को रीयूज़, सोलर प्लांट और डायलाइजर दोबारा उपयोग जैसे उपायों से पर्यावरण बचाया जा सकता है।
भविष्य में पिग किडनी प्रत्यारोपण
अमेरिका से आए डा. टाडापुरी ने बताया कि पिग की किडनी प्रत्यारोपण का पहला मरीज 6 महीने तक ठीक रहा, लेकिन संक्रमण से मौत हुई। शोध जारी है और भविष्य में किडनी की कमी के कारण मरीजों के लिए यह विकल्प महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।


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