पैन्क्रियाटाइटिस में पेट में भरे पानी को निकालना साबित हो सकता है
पैन्क्रियाटाइटिस में पेट में भरे पानी को निकालना साबित हो सकता है जीवनरक्षक
लखनऊ। पैन्क्रियाटाइटिस से पीड़ित मरीजों के इलाज में एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रो. अंशुमान एल्हेस ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रों के अध्ययन के आधार पर बताया कि पैन्क्रियाटाइटिस के लगभग 60 प्रतिशत मरीजों में पेट के भीतर पानी (एब्डोमिनल फ्लूइड) भर जाता है, जिससे मरीज की स्थिति और गंभीर हो सकती है।
प्रो. एल्हेस के अनुसार पेट में पानी भरने से आंतरिक अंगों पर दबाव बढ़ता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, संक्रमण का खतरा और अंगों की कार्यक्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है। यह पानी केवल तरल नहीं होता, बल्कि इसमें साइटोकाइंस जैसे तत्व मौजूद रहते हैं, जो शरीर में सूजन (इन्फ्लामेशन) को और बढ़ा देते हैं। इसी कारण मरीज की हालत तेजी से बिगड़ सकती है।
उन्होंने बताया कि अब तक पेट में भरे पानी को निकालने को लेकर चिकित्सकों के बीच दुविधा रही है। कुछ मामलों में इसे जोखिमपूर्ण माना जाता था। हालांकि, हालिया अध्ययनों और अपने अनुभव के आधार पर प्रो. एल्हेस ने स्पष्ट किया कि यदि सही समय और उचित तकनीक से यह पानी निकाला जाए तो मरीज को स्पष्ट लाभ मिलता है। इससे न केवल पेट का दबाव कम होता है, बल्कि सूजन भी घटती है और मरीज की रिकवरी तेज होती है।
प्रो. एल्हेस ने दावा किया कि पेट में भरे पानी को निकालने की प्रक्रिया से पैन्क्रियाटाइटिस के गंभीर मरीजों में मृत्यु दर को 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इस विषय पर और गहन शोध किया जाएगा और भविष्य में इसके लिए भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप एक मानक गाइडलाइन तैयार करने की योजना है, जिससे देशभर में मरीजों को बेहतर और सुरक्षित इलाज मिल सके।

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