सोमवार, 1 दिसंबर 2025

महाकुंभ मेला 2025: आस्था के साथ-साथ स्वास्थ्य पर शोध का केंद्र भी

 



 महाकुंभ मेला 2025: आस्था के साथ-साथ स्वास्थ्य पर शोध का केंद्र भी


61 फीसदी दिल के मरीज दवा खाना जाते है भूल


डायबिटीज ग्रस्त  50 फीसदी लोग हाई बीपी से ग्रस्त




29 फीसदी लोग किसी न किसी गैर-संक्रामक रोग से थे ग्रस्त 


 


कुंभ में आए 27 हजार पर हुआ शोध


 


 


 


 


 


 


 कुमार संजय


 


महाकुंभ मेला, जो भारत में आस्था और पुण्य कमाने के लिए लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, 2025 में एक और विशेष रूप से चर्चा में आया। जहां लाखों लोग धार्मिक अनुष्ठान और स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं, वहीं यह मेला डॉक्टर बिरादरी के लिए भी एक शोध का बड़ा केंद्र बनकर उभरा। शोध विज्ञानियों ने  गैर-संक्रामक रोगों जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और मोटापे जानने के लिए शोध किया । महाकुंभ में आए विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों से आए लोगों पर आधारित था। इस अध्ययन का उद्देश्य महाकुंभ मेला में उपस्थित लोगों में गैर-संक्रामक रोगों की प्रचलन दर  का आकलन करना था और यह समझना था कि इन रोगों के उपचार में दवाइयों का अनुपालन  किस हद तक हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि महाकुंभ मेला में धार्मिक आयोजन के साथ-साथ अब यह स्वास्थ्य जागरूकता का भी बड़ा केंद्र भी साबित हुआ।


 


 


 


 


 


 


 


कैसे हुआ शोध


  


महाकुंभ मेला के दौरान किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने  27,045 लोगों की स्वास्थ्य जांच किया। इस दौरान, शोधकर्ताओं ने रक्तचाप, शरीर का वजन, बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), और रैंडम ब्लड शुगर  के आंकड़े एकत्रित किए।


 


 


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शोध के परिणाम


 —25 फीसदी लोग टाइप 2 डायबिटीज


- 16 फीसदी लोग हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप)


- 5 फीसदी लोग हृदय रोग  से प्रभावित थे।


- कुल 29 फीसदी लोग किसी न किसी गैर-संक्रामक रोग से ग्रसित थे।


-डायबिटीज वाले मरीजों में 50 फीसदी लोग हाइपरटेंशन से भी पीड़ित थे।


 


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दवा खाना ही जाते भूल


 


 


अध्ययन ने यह भी उजागर किया कि मरीजों में दवाइयों का अनुपालन एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है।  डायबिटीज के 28.5 फीसदी, हाइपरटेंशन के 43.6 फीसदी और हृदय रोग के 61.4 फीसदी मरीजों ने यह बताया कि वे अक्सर अपनी दवाइयाँ भूल जाते हैं। 26.2 फीसदी डायबिटीज़ मरीज और 37.6 फीसदी हाइपरटेंशन वाले व्यक्तियों ने तंबाकू का सेवन किया।


 


 


 


 


 


 


 


 


 


शोधकर्ताओं की टीम


 


 


 



 किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी  से प्रो. नरसिंह वर्मा ।

हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से प्रो. अनुज महेश्वरी, डॉ. अरविंद जे., डॉ. मनोज एस. चौला, डॉ. सुनील एस. गुप्ता, डॉ. प्रहलाद चौला, डॉ. पुरवी एम. चौला, डॉ. शुभाश्री एम. पटिल, और डॉ. अनीता नांबियार शामिल रहे।

हिंद मेडिकल कॉलेज से डॉ. राजेश केसरी,

रूबी हॉल क्लिनिक (पुणे) से डॉ. अमित गुप्ता और डॉ. संजय अग्रवाल,

ओस्मानिया मेडिकल कॉलेज (हैदराबाद) से डॉ. राकेश साहय,

डायबिटीज़ एंड हार्ट रिसर्च सेंटर (धनबाद) से डॉ. नगेन्द्र कुमार सिंह,

जबकि अन्य सहयोगी संस्थानों से डॉ. बंशी डी. साबू और डॉ. सुबोध जैन इस शोध का हिस्सा रहे। शोध को डायबिटीज़ मेडिकल जर्नल ने स्वीकार किया है।





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