सोमवार, 8 सितंबर 2025

अब केवल 4 घंटे में कौन सी दवा होगी कारगर चलेगा पता

 



 अब केवल 4 घंटे में  कौन सी दवा होगी कारगर चलेगा पता 


एसजीपीजीआई ने विकसित की नई जांच पद्धति, इलाज में तेजी संभव


161 गंभीर संक्रमित मरीजों पर हआ शोध




गंभीर संक्रमण यानी सेप्सिस से जूझ रहे मरीजों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। अब शरीर में कौन-सी दवा असरदार होगी, यह जानकारी पहले की तुलना में कहीं तेजी से मिल सकेगी। इससे संक्रमित मरीज को अनावश्यक एंटीबायोटिक नहीं खाना पड़ेगा। 

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई),  के विशेषज्ञों ने रक्त से निकले कीटाणुओं पर की जाने वाली दवा संवेदनशीलता जांच को लेकर एक नई और तेज पद्धति का मूल्यांकन किया है, जिससे यह जांच अब केवल 4 घंटे में संभव हो सकेगी। शोध को  जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजिकल मेथड्स ने हाल में ही स्वीकार किया है। इस तकनीक का नाम है "डायरेक्ट रैपिड एंटीमाइक्रोबियल ससेप्टिबिलिटी टेस्टिंग( डी आर ए एस टी)।


अब इलाज में नहीं होगी देरी


आमतौर पर ब्लड कल्चर रिपोर्ट आने में 48 से 96 घंटे लगते हैं, लेकिन नई तकनीक से यह समय घटकर 4 से 24 घंटे तक आ गया है। इससे डॉक्टर बिना देर किए सही दवा देना शुरू कर सकते हैं। समय पर सही दवा मिलने से सेप्सिस मरीज की जान बचाने की संभावना बढ़ जाती है।


ऐसे की गई जांच


इस शोध में 161 संक्रमित रक्त नमूनों की जांच की गई। इनमें से 84 प्रतिशत नमूने ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया और 15 प्रतिशत ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया से संक्रमित पाए गए। हर नमूने को तीन अलग-अलग समय – 4 घंटे, 8 घंटे और 24 घंटे – के लिए जांचा गया।


किस पर कितने घंटे में मिला सही परिणाम:

बैक्टीरिया का नाम सब-कल्चर समय जांच का समय परिणाम

ई. कोलाई, क्लीब्सिएला, एसिनेटोबैक्टर 4 घंटे 4 घंटे 

स्यूडोमोनास, बर्कहोल्डेरिया, स्टेनोट्रोफोमोनास 8 घंटे 4 घंटे 

स्टेफिलोकोकस, एंटरोकोकस, ओक्रोबैक्ट्रम 24 घंटे 4 घंटे 



मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है तकनीक



इस शोध में पाया गया कि दवा संवेदनशीलता जांच को शुरूआती ग्रोथ से ही किया जा सकता है, जिससे रिपोर्ट जल्दी उपलब्ध हो सकेगी। यह पद्धति सेप्सिस, न्यूमोनिया और अन्य गंभीर संक्रमणों में इलाज के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।


ये रहे प्रमुख शोधकर्ता

यह अध्ययन डॉ निधि तेजान, डॉ राधिका चौधरी, डॉ चिन्मय साहू, डॉ संग्राम सिंह पटेल, डॉ अतुल गर्ग, डॉ गरलिन वर्गीज और डॉ अक्षय कुमार आर्य द्वारा किया गया। सभी विशेषज्ञ लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई और सरकारी मेडिकल कॉलेज सैफई से जुड़े हैं।

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