एम्स बीबीनगर की कार्यकारी निदेशक बनीं पीजीआई की प्रो अमिता अग्रवाल
तेलंगाना के यादाद्रि-भुवनगिरी ज़िले में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एआईआईएमएस, बीबीनगर) के कार्यकारी निदेशक पद पर संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस) के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग की प्रमुख प्रोफेसर अमिता अग्रवाल को नियुक्त किया गया है। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देर शाम यह आदेश जारी किया है।
प्रो. अग्रवाल ने वर्ष 1996 में एसजीपीजीआई से अपने करियर की शुरुआत की थी और लगभग 29 वर्षों तक संस्थान में सेवाएं दीं। उन्होंने एमबीबीएस और एमडी (इंटरनल मेडिसिन) एम्स, नई दिल्ली से किया, इसके बाद एसजीपीजीआई, लखनऊ से क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी में डीएम की पढ़ाई की।
शोध और योगदान
प्रो. अग्रवाल का शोध मुख्य रूप से ऑटोइम्यून बीमारियों—जैसे रूमेटॉइड आर्थराइटिस, जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जे.आई.ए.), ल्यूपस (एस.एल.ई.) और वेस्कुलाइटिस—पर केंद्रित रहा है। उन्होंने भारतीय मरीजों में जे.आई.ए. के अलग स्वरूप की पहचान की और यह स्थापित किया कि देश में एंथेसाइटिस रिलेटेड आर्थराइटिस (ई.आर.ए.) सबसे आम श्रेणी है।
उन्होंने ई.आर.ए. के रोगजनन, साइटोकाइन प्रोफाइल और गट माइक्रोबायोम पर गहन शोध किया है। इसके अलावा, ल्यूपस नेफ्राइटिस की रोग-प्रक्रिया को समझने में भी उनके योगदान को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है।
उन्होंने देश का पहला मल्टी-इंस्टीट्यूशनल लुपस नेटवर्क तैयार किया, जिससे भारत में ल्यूपस की विविधता को समझने और उपचार रणनीति विकसित करने में मदद मिली। अब तक वे करीब 100 विद्यार्थियों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं, जो देशभर में इस क्षेत्र को आगे बढ़ा रहे हैं।
सम्मान और उपलब्धियाँ
प्रो. अग्रवाल को 1998 में आईसीएमआर का शकुंतला अमीरचंद पुरस्कार और 2004 में नेशनल बायोसाइंस अवॉर्ड फॉर करियर डेवलपमेंट से नवाजा जा चुका है। वे नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज और इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज की निर्वाचित फेलो भी हैं।
प्रो. अग्रवाल का मानना है कि भारत में ऑटोइम्यून रोगों की समय रहते पहचान और आधुनिक उपचार के लिए शोध, शिक्षा और जागरूकता तीनों पर समान रूप से ध्यान देना ज़रूरी है।

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