रविवार, 21 सितंबर 2025

संजय गांधी पीजीआई के डॉक्टरों ने मौत से छीना 3 दिन के नवजात का जीवन

 

संजय गांधी पीजीआई के डॉक्टरों ने मौत से छीना 3 दिन के नवजात का जीवन

दुर्लभ मस्तिष्क विकार वेन ऑफ गैलेन मैलफॉर्मेशन का सफल उपचार


संजय गांधी पीजीआई के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अदम्य साहस, सूझबूझ और उत्कृष्ट टीमवर्क का परिचय देते हुए एक तीन दिन के नवजात शिशु का जीवन बचाने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। यह शिशु वेन ऑफ गैलेन मैलफॉर्मेशन नामक दुर्लभ और जटिल जन्मजात मस्तिष्क रोग से पीड़ित था, जिसमें मस्तिष्क की नसों में असामान्य गुच्छा बनने से हृदय पर तीव्र दबाव पड़ता है और शिशु की मृत्यु कुछ ही घंटों में हो सकती है।


पूर्वाभास और तैयारी


एमआरएच विभाग की प्रो. मंदाकिनी प्रधान एवं प्रो. नीता सिंह ने गर्भावस्था के दौरान ही भ्रूण में इस विकार की आशंका व्यक्त कर दी थी।   जन्म के तुरंत बाद इलाज की जरूरत पड़ेगी इसलिए इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट प्रोफेसर विवेक सिंह को तैयार रहने के लिए बताया गया।  प्रो विवेक सिंह ने  संपूर्ण टीम ने पहले से तैयारी कर ली थी जिससे जन्म के बाद त्वरित उपचार संभव हो सका।


जन्म और चुनौती


40 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद जन्मे शिशु की सांसें प्रारम्भ से ही डगमगाने लगीं। नियोनेटल टीम ने तुरंत वेंटिलेटर सपोर्ट प्रदान किया। शिशु को हृदय विफलता का गंभीर खतरा था। चिकित्सकों ने आपात निर्णय लेते हुए जन्म के तीसरे दिन ही ऑपरेशन करने का निश्चय किया।


सफल इंडोवैस्कुलर प्रक्रिया


न्यूरो-इंटरवेंशन विशेषज्ञ प्रो. विवेक सिंह के नेतृत्व में इंटरवेंशन रेडियोलॉजी टीम के डॉ. सत्यव्रत, डॉ. सौम्या और डॉ. सूर्यकांत ने उच्चस्तरीय इंडोवैस्कुलर तकनीक से ऑपरेशन संपन्न किया। शिशु की जांघ की सूक्ष्म नस से एक बारीक तार मस्तिष्क की विकृत रक्त नलिकाओं तक पहुँचाया गया और विशेष ग्लू डालकर असामान्य रक्त प्रवाह को रोका गया। इतनी नन्हीं नसों में यह प्रक्रिया अत्यंत जटिल थी, किंतु टीम ने इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया।


मल्टी स्पेशलिटी टीम का योगदान


ऑपरेशन उपरांत शिशु की निरंतर निगरानी नियोनेटल विभाग की डॉ. अनीता सिंह एवं डॉ. आकांक्षा द्वारा की गई। एनेस्थीसिया टीम के प्रो. संदीप साहू एवं उनकी टीम ने शिशु को सुरक्षित बेहोशी प्रदान की। एमआरएच विभाग की समयपूर्व दूरदृष्टि ने इस सफलता की नींव रखी।


जीवन की जीत


लगातार चौकस देखभाल और चिकित्सकीय निगरानी के बाद शिशु पूर्णतः स्वस्थ होकर घर लौटा। शिशु के परिवारजनों ने एसजीपीजीआई की टीम के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की।

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