अब मेगा प्रोस्थेसिस से मिलेगी चाल
जहां टोटल नी रिप्लेसमेंट संभव नहीं, वहां कारगर तकनीक
एसजीपीजीआई में पहली बार मेगा प्रोस्थेसिस द्वारा घुटने का सफल प्रत्यारोपण
संजय गांधी पीजीआई में पहली बार मेगा प्रोस्थेसिस तकनीक द्वारा घुटने का सफल प्रत्यारोपण किया गया। यह एक बड़ा कृत्रिम प्रत्यारोपण है, जिसका उपयोग उन मरीजों में किया जाता है जिनमें साधारण टोटल नी रिप्लेसमेंट( टीकेआर) संभव नहीं होता। विशेषकर, ट्यूमर हटाने के बाद या हड्डी के बड़े हिस्से के खराब हो जाने पर यह तकनीक जीवनदायी साबित होती है।
एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के हड्डी रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अमित कुमार एवं उनकी टीम ने फतेहपुर निवासी 45 वर्षीय संगीता देवी के दाहिने घुटने का सफल प्रत्यारोपण मेगा प्रोस्थेसिस से किया। संगीता देवी को कई वर्ष पहले स्पाइन ट्यूमर हुआ था, जिसकी सर्जरी के बाद उनके दाहिने पैर में लगातार कमजोरी बनी रही और घुटना अपनी जगह से हट गया।
एसजीपीजीआई में पहले रेडियोडायग्नोसिस विभाग के एडीशनल प्रोफेसर डा. अनिल सिंह ने हेमेटोमा का इलाज किया। स्थिति सुधरने के बाद डा. अमित कुमार की टीम ने घुटने में मेगा प्रोस्थेसिस लगाया। एनेस्थीसिया विभाग के एडीशनल प्रोफेसर डा. वंश ने जटिल परिस्थिति में अल्ट्रासाउंड गाइडेड स्पाइनल एनेस्थीसिया देकर बड़ी भूमिका निभाई।
संस्थान के निदेशक प्रो. आर.के. धीमन ने इस सफलता पर टीम को बधाई दी। एपेक्स ट्रॉमा सेंटर प्रमुख प्रो. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि यह उपलब्धि मल्टी-डिसिप्लिनरी तालमेल का उत्कृष्ट उदाहरण है। वर्तमान में संगीता देवी पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपने पैरों पर चल रही हैं।
मेगा प्रोस्थेसिस क्या है और कब लगाया जाता है
मेगा प्रोस्थेसिस एक बड़ा कृत्रिम प्रत्यारोपण (इंप्लांट) होता है।
इसका उपयोग तब किया जाता है जब हड्डी का बड़ा हिस्सा खराब हो जाए या ट्यूमर हटाने के बाद हड्डी बचाना संभव न हो।
साधारण टोटल नी रिप्लेसमेंट से जिन मरीजों का इलाज संभव नहीं होता, उनमें यह तकनीक काम आती है।
यह मरीज को चलने-फिरने की क्षमता वापस दिलाने में मदद करता है और अंग को बचा लेता है।
सर्जिकल टीम
रेजिडेंट
डॉ. अमित कुमार
डॉ. अमित
डॉ. आकाश यादव
डॉ. ऐश्वर्या बघेल
नर्सिंग इंचार्ज
अनीता सिंह
नर्सिंग ऑफिसर
आदित्य
मयंक यादव
दीपिक
जसप्रीत कौर
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