पीजीआई में वीनस डिजीज में सीएमई
ड्राइवर, ऑफिस कर्मचारी, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग में पैर की नसों में रुकावट की आशंका
15 फीसदी लोग वैरिकोज वेन और डीवीटी से हो सकते हैं प्रभावित
इलाज की नई तकनीक से पैर काटने की दर में आई है कमी
10-15 फीसदी में वैरिकोज वेन की समस्या होती है। डीप वेन थ्रोम्बोसिस लगभग 1-2 फीसदी लोगों को प्रभावित करता है। ये दोनों नसों से जुड़ी गंभीर बीमारियां हैं जिसका सही समय पर सही इलाज न मिलने पर खतरा बन सकती हैं। खासकर उन लोगों में जोखिम अधिक होता है, जिनका काम लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने वाला होता है, जैसे ड्राइवर, ऑफिस कर्मचारी, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग। यह बात इंडियन सोसाइटी ऑफ़ वीनस डिजीज द्वारा आयोजित सीएमई के आयोजक सामान्य अस्पताल के सर्जन डॉ. वृजेश सिंह और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रो. अंकुर भटनागर ने कही। उद्घाटन प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा अमित कुमार घोष ने किया था, जिसमें संस्थान के निदेशक और कई संकाय सदस्य भी मौजूद थे।
इलाज न होने पर पैर काटने की नौबत आती है
प्रो. अंकुर भटनागर के अनुसार, वैरिकोज वेंस अल्सर और डीवीटी का समय पर इलाज न होने पर घाव और संक्रमण गहराते हैं, जिससे सेप्सिस (संक्रमण) के कारण कभी-कभी पैर काटने की जरूरत पड़ सकती है। गंभीर और अनदेखे वेरिकोज अल्सर के कारण पैरों की कटाई (अंपुटेशन) की दर लगभग 1-3 फीसदी तक देखी गई है। पहले यह दर 4-6 फीसदी तक थी, लेकिन तकनीक और जागरूकता के कारण इसमें कमी आई है।
क्या है वैरिकोज वेंस और डीवीटी
इसमें टांगों की नसों के वाल्व कमजोर हो जाते हैं और रक्त वापस सही दिशा में नहीं पहुंच पाता। इससे नसें फैल जाती हैं, सूज जाती हैं और त्वचा पर अल्सर या घाव बनने लगते हैं।डीवीटी में गहरी नसों में खून का थक्का जम जाता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है।
शुरूआत में दवा से भी इलाज संभव
इसमें शुरुआती इलाज दवाओं से होता है। वैरिकोज वेंस में दर्द निवारक, सूजन कम करने वाली दवाएं और रक्त परिसंचरण सुधारने वाली दवाएं दी जाती हैं। डीवीटी में रक्त पतला करने वाली दवाएं थक्कों को बढ़ने से रोकती हैं।जब दवाएं काम नहीं करतीं, घाव गहरा हो या थक्का बड़ा हो जाए, तब इंटरवेंशन प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं, जिनमें शामिल
फोम स्क्लेरोथेरेपी: दवा को झाग के रूप में प्रभावित नस में डाला जाता है, जिससे नस सिकुड़ जाती है।
लेजर एब्लेशन: लेजर किरणों से नस को अंदर से बंद किया जाता है, जिससे सूजन कम होती है और घाव जल्दी भरते हैं।
मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी: डीवीटी के थक्के को कैथेटर से हटाने की प्रक्रिया, जो तुरंत राहत देती है।
यह परेशानी तो तुरंत लें सलाह
-टांगों में लगातार दर्द
-सूजन या गर्माहट महसूस होना
-त्वचा पर नीले या गहरे रंग के धब्बे
-टांगों में गांठ या सूजी हुई नसें दिखना
-टांगों में घाव या अल्सर होना
-पैरों में कमजोरी या भारीपन महसूस होना
यह करके कम कर सकते हैं आशंका:
-वजन नियंत्रित रखें
-लंबे समय तक बिना हिले-डुले न बैठें और न खड़े रहें
प्रो अंकुर भटनागर
डॉ बृजेश सिंह
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