नई तकनीक से हिप रिप्लेसमेंट में नहीं होगा पैर छोटा न बड़ा: एवैस्कुलर नेक्रोसिस से ग्रस्त युवक की हुई सर्जरी
पीजीआई ने स्थापित किया हिप प्रत्यारोपण के लिए एंटीरियर एप्रोच तकनीक
कुमार संजय
लखनऊ के तेलीबाग क्षेत्र के 27 वर्षीय युवक को एवैस्कुलर नेक्रोसिस (एवीएन) बीमारी का सामना था, जिसमें हड्डियों को रक्त आपूर्ति नहीं मिल पाती और हड्डी धीरे-धीरे मरने लगती है चलने , उठने -बैठने में परेशानी के साथ दर्द होता है। इस स्थिति में हिप रिप्लेसमेंट ही एकमात्र उपचार है। युवक का एक महीने पहले एक कूल्हे का ऑपरेशन किया गया था, और अब इसी सप्ताह दूसरे कूल्हे का सफल प्रत्यारोपण किया गया।
इस सर्जरी की खास बात यह थी कि नई एंटीरियर एप्रोच तकनीक से ऑपरेशन किया गया, जिससे मरीज के पैर की लंबाई में कोई कमी नहीं आई, जो आमतौर पर हिप रिप्लेसमेंट में एक बड़ी समस्या होती है। यह सफलता संजय गांधी पीजीआई के एपेक्स ट्रामा सेंटर के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. केशव कुमार और उनकी टीम के प्रयासों का परिणाम है। डॉ. कुमार के अनुसार, इस तकनीक से ऑपरेशन के बाद मरीज केवल चार-पाँच दिन में चलने-फिरने में सक्षम हो जाते हैं।
नई एंटीरियर एप्रोच तकनीक: कैसे है यह खास?
पहले हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी पीठ की ओर से की जाती थी, जिसमें मांसपेशियों को काटना पड़ता था। इसके कारण खून बहने का खतरा और रिकवरी में देरी होती थी। कई बार ऑपरेशन के बाद पैर छोटा हो जाता था, जिससे मरीज को शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता था। लेकिन एंटीरियर एप्रोच, यानी पेट की ओर से की जाने वाली सर्जरी ने इन समस्याओं को हल कर दिया है। इस तकनीक में मांसपेशियों को काटने की बजाय केवल अलग किया जाता है, जिससे शरीर पर कम दबाव पड़ता है और रिकवरी तेज होती है।
ऑपरेशन के दौरान सी-आर्म की मदद से यह सुनिश्चित किया जाता है कि पैर की लंबाई में कोई बदलाव नहीं हो रहा। इस तकनीक के कारण अब तक 14 मरीजों की हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी सफलतापूर्वक की जा चुकी है।
मरीजों के लिए क्या हैं फायदे?
पैर छोटा होने की समस्या नहीं होगी: नई तकनीक से ऑपरेशन के बाद मरीज के पैर की लंबाई में कोई बदलाव नहीं आता।
जल्दी रिकवरी: मरीज को जल्दी अस्पताल से छुट्टी मिलती है, और वह अपनी सामान्य दिनचर्या में जल्दी लौट सकते हैं।
कामकाजी लोगों के लिए उपयुक्त: खासतौर पर युवाओं और कामकाजी लोगों के लिए यह तकनीक वरदान साबित हो रही है, क्योंकि वे जल्द ही अपने कार्यों पर लौट सकते हैं।
बच्चों में बढ़ रही हिप समस्या
डॉ. कुमार ने बताया कि अब बच्चों में भी कूल्हे की समस्याएं बढ़ रही हैं, जो जन्मजात विकृति, संक्रमण या चोट के कारण होती हैं। एंटीरियर एप्रोच इन मामलों में भी बेहद कारगर साबित हो रही है।
सर्जरी टीम
आर्थोपेडिक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केशव कुमार
एनेस्थीसिया एडिशनल प्रोफेसर गणपत प्रसाद
एनेस्थीसिया रेजीडेंट डॉ. उत्कर्ष उपाध्याय
एनेस्थीसिया डॉ. अर्पण मिश्रा
डॉ. योगेश साहू
नर्सिंग ऑफिसर अंकित
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